Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 10:40 AM
किसान कर्जा माफी का प्रोग्राम तो कांग्रेस ने नकोदर हलके में रखा था मगर इस प्रोग्राम का निशाना शाहकोट उपचुनाव था। प्रोग्राम की पहले नींव शाहकोट हलके में ही रखी गई थी ताकि शाहकोट उपचुनाव को भुनाया जा सके मगर अचानक अवैध माइनिंग का खेल उजागर होने और...
जालंधर (रविंदर): किसान कर्जा माफी का प्रोग्राम तो कांग्रेस ने नकोदर हलके में रखा था मगर इस प्रोग्राम का निशाना शाहकोट उपचुनाव था। प्रोग्राम की पहले नींव शाहकोट हलके में ही रखी गई थी ताकि शाहकोट उपचुनाव को भुनाया जा सके मगर अचानक अवैध माइनिंग का खेल उजागर होने और उसमें कांग्रेसी नेताओं का नाम आने के बाद पार्टी को शाहकोट की बजाय नकोदर में प्रोग्राम रखना पड़ा। परंतु पार्टी का निशाना फिर भी शाहकोट उपचुनाव ही था।
शाहकोट में लंबे समय से अकाली दल का एकछत्र राज रहा है। अकाली दल के बड़े नेता अजीत सिंह कोहाड़ को इस सीट से कभी भी कांग्रेस हरा नहीं पाई थी। चाहे अकाली दल की लहर हो या फिर कांग्रेस की लहर हो, हर बार अजीत सिंह कोहाड़ ने ही अपना सिक्का जमाया। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जब प्रदेश भर में कांग्रेस की आंधी चली और पार्टी को 77 सीटें मिलीं तब भी शाहकोट से कोहाड़ ने ही जीत प्राप्त की। अचानक कोहाड़ के देहांत हो जाने के बाद अब यह सीट खाली हो चुकी है। 6 महीने के भीतर यहां उपचुनाव होना है। कांग्रेस अभी से इस उपचुनाव को जीतने की नींव तैयार कर रही है। एक तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और ऊपर से कोहाड़ के देहांत के बाद कांग्रेस को लग रहा है कि अकाली दल के इस किले को इस बार ध्वस्त किया जा सकता है।
यही कारण है कि इस विधानसभा सीट से कांग्रेस के कई नेता मैदान में उतरने को तैयार दिखाई दे रहे हैं। कई हारे हुए नेताओं की उमंग भी दोबारा जाग चुकी है। गुपचुप मीटिंगों से लेकर अभी से नुक्कड़ मीटिंगों का दौर शुरू हो चुका है। नकोदर में बुधवार को हुए कर्जा माफी प्रोग्राम के दौरान भी टिकट के कई दावेदारों ने अपना जमकर शक्ति प्रदर्शन मुख्यमंत्री के सामने किया। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के किस दावेदार की शक्ति काम आएगी।