डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने दलजीत सिंह आहलूवालिया के अरैस्ट वारंट किए जारी

Edited By swetha,Updated: 12 Mar, 2020 08:49 AM

district consumer forum issued warrants against daljit singh ahluwalia

ट्रस्ट के खिलाफ आखिर क्या है अलॉटी का केस

जालंधर(चोपड़ा): डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम द्वारा ट्रस्ट से संबंधित विभिन्न केसों के तहत इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया और ई.ओ. जतिन्द्र सिंह के धड़ाधड़ अरैस्ट वारंट निकाले जा रहे हैं। परंतु कंज्यूमर के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाई गई डिस्ट्रिक्ट फोरम, स्टेट कमिशन व नैशनल कमिशन के आदेशों के हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि जहां एक तरफ ट्रस्ट चेयरमैन व ई.ओ इन अदालतों के आदेशों को दरकिनार कर रहे हैं, वहीं पुलिस प्रशासन ने भी पुलिस कमिश्रर के मार्फत जारी हुए अरैस्ट वारंटों को संजीदगी से लेना बंद कर दिया है। 


इसका प्रत्यक्ष प्रमाण बीबी भानी काम्पलैक्स से संबंधित अलाटी चंद्रकांता के केस में देखने को मिलता है,जिसमें फोरम ने चेयरमैन दलजीत सिंह आहलूवालिया के चौथी बार अरैस्ट वारंट जारी किए हैं। वहीं पहले 3 अरैस्ट वारंट जोकि पुलिस कमिश्रर के जरिए जारी करते हुए चेयरमैन को गिरफ्तार कर पेश करने को कहा गया था। पिछले 2 वारंटों में पुलिस कमिश्रर की तरफ से केस की सुनवाई के दौरान फोरम में रिपोर्ट पेश की गई थी कि  ‘चेयरमैन आऊट ऑफ सिटी ड्यूटी आफिस वर्क’। परंतु इस सुनवाई में तीसरे अरैस्ट वारंट को लेकर पुलिस कमिश्रर ने न तो चेयरमैन को गिरफ्तार किया और न ही अलाटी को ट्रस्ट ने भुगतान किया। वहीं पुलिस कमिश्रर की तरफ से वारंट की तामील संबंधी कोई रिपोर्ट भी फोरम में पेश नहीं की गई है। इसके बाद फोरम ने आहलूवालिया के 7 अप्रैल तक के लिए नए वारंट जारी किए हैं।

ट्रस्ट के खिलाफ आखिर क्या है अलॉटी का केस
इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने भगवानदास पुरा निवासी अलाटी चंद्रकांता पत्नी अशोक कुमार को बीबी भानी काम्पलैक्स में जनवरी 2010 में फ्लैट नंबर 86 फस्र्ट फ्लोर फ्लैट अलाट किया था। अलाटी ने फ्लैट के बदले 5,27,942 रुपए ट्रस्ट को जमा करवाए थे। ट्रस्ट ने जुलाई 2012 में फ्लैट का कब्जा देना था, परंतु  2017 तक भी वायदे के मुताबिक ट्रस्ट फ्लैटों का निर्माण पूरा नहीं कर सका। अलॉटी ने 19 जून 2017 को ट्रस्ट के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में केस दायर किया।  फोरम ने 1 मई 2019 को अलॉटी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट को चंद्रकांता की प्रिंसीपल अमाऊंट, बनते 12 प्रतिशत ब्याज के साथ 30000 रुपए मुआवजा और 7 हजार रुपए कानूनी खर्च अतिरिक्त देने के आदेश दिए। इन आदेशों के मताबिक ट्रस्ट ने अलॉटी को 12 लाख 50 हजार रुपए का भुगतान करना था। ट्रस्ट ने अलॉटी को भुगतान करने की बजाय स्टेट कमिशन में केस में अपील दायर की। परंतु कमीशन ने ट्रस्ट के खिलाफ नए आदेश देकर कहा कि ट्रस्ट पहले अलाटी को प्रिंसीपल अमाऊंट व 9 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करे उसके उपरांत ही ट्रस्ट की अपील एडमिट होगी। अलॉटी को भुगतान नहीं करने पर स्टेट कमिशन ने 4 सितम्बर 2019 को ट्रस्ट की अपील को डिसमिस कर दिया। अपील के डिसमिस होने के बाद चंद्रकांता ने जिला उपभोक्ता फोरम में एक्सीक्यूशन दायर की।

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