Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 07:26 AM
मौत के बाद किसी व्यक्ति के शव को जानवरों की तरह ढोया जाए तो इंसानियत शर्मसार होगी ही। ऐसा ही मामला तब देखने को मिला, जब थाना नं. 8 के इलाके में टांडा रोड के पास करीब 60 वर्षीय एक व्यक्ति की ठंड लगने से मौत हो गई। लोगों ने शव को देख कर पुलिस को सूचित...
जालंधर (शौरी): मौत के बाद किसी व्यक्ति के शव को जानवरों की तरह ढोया जाए तो इंसानियत शर्मसार होगी ही। ऐसा ही मामला तब देखने को मिला, जब थाना नं. 8 के इलाके में टांडा रोड के पास करीब 60 वर्षीय एक व्यक्ति की ठंड लगने से मौत हो गई। लोगों ने शव को देख कर पुलिस को सूचित किया। मौके पर पहुंचे ए.एस.आई. हरदयाल सिंह ने शव की शिनाख्त करने के काफी प्रयास किए लेकिन शिनाख्त नहीं हुई।
पुलिस ने शव को नियम के मुताबिक शिनाख्त के लिए सिविल अस्पताल में 72 घंटों तक रखना था। ए.एस.आई हरदयाल सिंह ने एक टैम्पो चालक को रोक कर शव टैम्पो में रख कर सिविल अस्पताल जाने को कहा लेकिन टैम्पो चालक ने साफ मना कर दिया। काफी टैम्पो वालों को पुलिस कर्मी रोकता और मिन्नतें करता रहा लेकिन कोई शव को टैम्पो में डालने को तैयार नहीं था। आखिरकार हरदयाल सिंह ने अपने जानकार टैम्पो चालक को सम्पर्क कर बुलाया और शव उसके टैम्पो में रखवाया। टैम्पो चालक ने स्पष्ट कह दिया कि उसे बाद में टैम्पो धोना पड़ेगा, जिसकी एवज में वह 150 रुपए लेगा।
आखिरकार ए.एस.आई. ने 150 रुपए दे दिए पर टैम्पो में शव रखने के बाद चालक ने उस पर 2 बड़े-बड़े धूल से भरे टायर रख दिए और फिर सिविल अस्पताल पहुंचा। इस पर अस्पताल में खड़े लोगों का कहना था कि आदमी तो बेचारा मर गया पर मरने के बाद भी उस पर जानवर की तरह बोझ लाद दिया गया।
नियम के मुताबिक सरकारी एम्बुलैंस नहीं उठाती शव
सरकार के आदेशों के मुताबिक मरीज को ही सरकारी एम्बुलैंस में डालकर अस्पताल लाया जा सकता है जबकि शव को एम्बुलैंस में डालकर लेकर जाने की परमिशन उनके पास नहीं है जिस कारण हालात ऐसे हो रहे हैं कि पुलिस जवानों को शव सिविल अस्पताल पहुंचाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और तो और जेब से पैसे भरने पड़ते हैं। पुलिस जवानों को अज्ञात शवों का पोस्टमार्टम करवाने के दौरान कम से कम 500 से लेकर 600 रुपए अपनी जेब से भरने पड़ते हैं, उन्हें कोई स्पैशल भत्ता इस मामले में नहीं दिया जाता। कुछ पुलिस जवानों का कहना है कि सरकार को चाहिए कि इस मामले को गंभीरता से लेकर शवों को अस्पताल पहुंचाने के लिए सरकारी गाड़ी का प्रबंध किया जाए।