Edited By Vatika,Updated: 04 May, 2018 10:50 AM
नैशनल रैसलिंग चैम्पियनशिप पुणे में गोल्ड मैडल हासिल कर अब 8 से 13 मई के बीच उज्बेकिस्तान के शहर ताशकंद में होने वाली एशियन रैसलिंग चैम्पियनशिप की तैयारी में जुटे नरेन्द्र चीमा का सपना है कि गोल्ड मैडल हासिल कर देश के साथ-साथ पंजाब व होशियारपुर का...
होशियारपुर(अमरेन्द्र): नैशनल रैसलिंग चैम्पियनशिप पुणे में गोल्ड मैडल हासिल कर अब 8 से 13 मई के बीच उज्बेकिस्तान के शहर ताशकंद में होने वाली एशियन रैसलिंग चैम्पियनशिप की तैयारी में जुटे नरेन्द्र चीमा का सपना है कि गोल्ड मैडल हासिल कर देश के साथ-साथ पंजाब व होशियारपुर का नाम रोशन करूं। होशियारपुर जिले के चब्बेवाल कस्बे के साथ लगते गांव पट्टी के रहने वाले नरेन्द्र चीमा (110 किलोग्राम) की उम्र अभी सिर्फ 17 साल है पर उसके सपनों की उड़ान को पूरा करने में परिवार के साथ-साथ कोच का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। नरेन्द्र चीमा का कहना है कि एक दिन अपने आदर्श रैसलर सुशील कुमार की तरह देश का नाम रोशन करूं यही मेरी तमन्ना है।
गांव में चीमा परिवार को पहलवान परिवार के तौर पर जानते हैं लोग
गौरतलब है कि पट्टी गांव में आज भी चीमा परिवार को लोग पहलवान के परिवार के तौर पर याद करते हैं। नरेन्द्र चीमा के परदादा जगत सिंह चीमा अपने समय के मशहूर पहलवान थे लेकिन बाद की पीढ़ी पहलवानी को छोड़ खेतीबाड़ी की तरफ ध्यान देने लगी। नरेन्द्र चीमा के पिता त्रिलोचन सिंह जहां खेतीबाड़ी करते हैं वहीं मां बलवंत कौर गृहिणी हैं। घर में बड़े भाई गुरकमल सिंह व दो बहनें गुरप्रीत कौर व मनदीप कौर के बाद नरेन्द्र सबसे छोटा है। चाचा पलविन्द्र चीमा को गायकी पसंद है पर उन्होंने बचपन में ही नरेन्द्र का कुश्ती की तरफ लगाव देख प्रोत्साहित करना शुरू कर दिया। अखाड़े में नरेन्द्र ने कुश्ती का दाव-पेंच कोच राजेन्द्र सिंह की देखरेख में सीखा।
पंजाब छोड़ नरेन्द्र ने किया हरियाणा का रुख
नैशनल रैसलिंग चैम्पियनशप में गोल्ड मैडल हासिल करने के बाद सरकार ने नरेन्द्र चीमा को बेहतर अखाड़े की सुविधा देने के लिए सोनीपत बुला लिया जहां वह प्रैक्टिस रोहतक के अखाड़े में कर रहा है। चाचा पलविन्द्र चीमा का कहना है कि पंजाब में अखाड़े व कोच की कमी की वजह से अन्य खेलों की ही तरह पहलवान भी हरियाणा का रुख करने लगे हैं क्योंकि हरियाणा सरकार खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित बेहतर ढंग से कर रही है। हमें उस समय सबसे अधिक दुख हुआ जब नरेन्द्र पुणे में गोल्ड मैडल हासिल कर घर पहुंचा तो स्वागत तो दूर की बात, खेल विभाग और प्रशासनिक अधिकारी ने हाल भी नहीं पूछा।