Edited By Yakeen Kumar,Updated: 21 Feb, 2025 05:48 PM
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केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हमेशा ही संजीदा मुद्दों पर जहां साहसिक फैसले लिए हैं तो जनहित में नए प्रयोग करने से भी गुरेज नहीं किया। हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सरकारी नौकरियों में सिफारिश एवं रिश्वत पर...
नई दिल्ली (संजय अरोड़ा) : केंद्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हमेशा ही संजीदा मुद्दों पर जहां साहसिक फैसले लिए हैं तो जनहित में नए प्रयोग करने से भी गुरेज नहीं किया। हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने सरकारी नौकरियों में सिफारिश एवं रिश्वत पर अंकुश लगाया और मैरिट के आधार पर नौकरियां दीं। इसी तरह से पर्यावरण जैसे संजीदा मसले को लेकर भी उन्होंने बड़ी पहल करते हुए अनेक योजनाएं लागू की।
इसी कड़ी में अब केंद्रीय मंत्री बनने के बाद वे लगातार बिजली संबंधी परियोजना के संदर्भ में बैठकें कर रहे हैं। विशेषकर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भी लगातार प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में ऊर्जा दक्षता सुधार के उद्देश्य से दिल्ली में शुक्रवार को राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विभाग की एक पत्रिका का भी विमोचन किया। राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करने के बाद केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने टवीट करते हुए लिखा कि ‘आज सतत शीतलन और ऊर्जा दक्षता सुधार की दर को दोगुना करने पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति में तेजी लाने के लिए नवीन समाधानों, तकनीकी प्रगति और सहयोगात्मक प्रयासों पर चर्चा की गई। 2030 तक वैश्विक ऊर्जा दक्षता को दोगुणा करने की भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप, हम बिजली क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने के प्रयासों में तेजी ला रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण की दिशा में आगे बढ़ते हुए, ऊर्जा दक्षता सतत विकास और ऊर्जा सुरक्षा का एक प्रमुख चालक होगी।’ इसी तरह से केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने जानकारी दी कि 2014 से पहले देश के ग्रामीण इलाकों में औसतन साढ़े 12 घंटे बिजली आपूर्ति दी जा रही थी जो अब वर्तमान में 22.6 घंटे तक हो गई है। इसी तरह से शहरी इलाकों में औसतन 23.4 घंटे बिजली दी जा रही है, जो इन11 वर्षों में पहले की तुलना में लगभग दोगुणा हो गई है। सीमावर्ती क्षेत्रों एवं ट्राइबल इलाकों में भी विशेष योजनाओं जैसे पी.एम. जगमग योजना, वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के माध्यम से 10 लाख घरों में बिजली पहुंचाई जा रही है। मनोहर लाल ने कहा कि बिजली हर किसी के लिए हर समय उपलब्ध हो इस लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। सौभाग्य योजना के तहत 2.86 करोड़ घरों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की गई है। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम उत्थान योजना के तहत दूरदराज के 18,374 गांवों में बिजली पहुंचाई गई है।
देश के पहले वॢटकल बाइ-फेशियल प्लांट की हुई पहल
खास बात यह है कि दो दिन पहले ही केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने ओखला विहार मैट्रो स्टेशन पर मैट्रो वायडक्ट पर भारत के पहले वर्टिकल बाइ-फेशियल सोलर प्लांट की स्थापना और खैबर पास डिपो पर स्थापित 1 मैगावाट के रूफटॉप सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन किया। खास पहलू यह है कि बाइ-फेशियल पैनल दोनों तरफ से सूर्य की रोशनी को पकडऩे के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यह किसी अतिरिक्त भूमि का प्रयोग किए बिना सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए मैट्रो की एलिवेटेड संरचना का लाभ उठाएगा। यह मैट्रो रेल संचालन को अधिक टिकाऊ बनाने और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देने की दिशा में एक अभिनव कदम है। मनोहर लाल का कहना है कि जैसे-जैसे मानवता आगे बढ़ रही है, हमारे नवाचार अक्सर प्रकृति से संघर्ष कर रहे हैं, जिससे उन्नति और जोखिम दोनों आ रहे हैं। वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सैल्सियस से अधिक की वृद्धि वैश्विक चिंता का कारण बन गई है, जिसने राष्ट्रों को पैरिस समझौते जैसे समझौतों के तहत एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है। भारत ने भी 2070 तक शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की प्रतिबद्धता जताई है, जो इसके विकास को स्थिरता से जोड़ता है। शहरीकरण और औद्योगीकरण ने प्रदूषण बढ़ाया है, लेकिन दिल्ली मैट्रो जैसी पहल ने पर्यावरणीय प्रभाव को काफी कम कर दिया है, जो दर्शाता है कि विचारशील बुनियादी ढांचा प्रकृति की रक्षा करते हुए प्रगति को आगे बढ़ा सकता है।
ऊर्जा दक्षता और सौर ऊर्जा है समय की मांग: मनोहर लाल
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल का कहना है कि सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और स्वच्छ ऊर्जा समय की मांग है। थर्मल से नवीकरणीय ऊर्जा में बदलाव, सौर छतों का उपयोग, और महानगरों में पुनर्योजी ब्रेकिंग को लागू करना हरित भविष्य की ओर बदलाव का उदाहरण है। सौर पैनल और ऊर्जा-कुशल एल.ई.डी. सिस्टम जैसी तकनीकी प्रगति, टिकाऊ शहरी जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके अलावा, जिम्मेदार उपभोग-चाहे एयर कंडीशनिंग का उपयोग हो या बर्बादी को कम करना-ऊर्जा संरक्षण पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। स्वच्छ भारत मिशन का कभी मज़ाक उड़ाया जाता था, लेकिन अब इसने भारत के परिदृश्य को बदल दिया है, यह साबित करते हुए कि स्वच्छता और स्थिरता के लिए राष्ट्रीय प्रयासों को वैश्विक मान्यता मिली है।
प्रदूषण में कमी, जल संरक्षण और पर्यावरण के अनुकूल गतिशीलता केवल सरकारी जिम्मेदारियां नहीं हैं, बल्कि सामूहिक कर्तव्य हैं। मनोहर लाल का कहना है कि भारतीय मैट्रो रेल निगम ऊर्जा-कुशल, कम उत्सर्जन वाले सार्वजनिक परिवहन की पेशकश करके कम ऊर्जा के इस्तेमाल वाले और पर्यावरण अनुकूल निर्माण में योगदान दे रहे हैं, जिससे शहरी प्रदूषण और यातायात की भीड़ कम हो रही है। पूरे भारत में कई मैट्रो स्टेशन ऊर्जा-कुशल तकनीकों के साथ डिजाइन किए गए हैं और सौर ऊर्जा प्रणालियों का उपयोग करते हैं जो ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद करते हैं।