Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 07:49 AM
पंजाब सरकार एक तरफ गन्ने के अधीन क्षेत्रफल दोगुना करने की कोशिश कर रही है परन्तु दूसरी तरफ पंजाब में करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा गन्ना अभी भी खेतों में खड़ा होने के कारण गन्ना काश्तकारों को दोहरा नुक्सान हो रहा है। गन्ना काश्तकारों की सबसे बड़ी...
गुरदासपुर (हरमनप्रीत सिंह): पंजाब सरकार एक तरफ गन्ने के अधीन क्षेत्रफल दोगुना करने की कोशिश कर रही है परन्तु दूसरी तरफ पंजाब में करीब 25 प्रतिशत से ज्यादा गन्ना अभी भी खेतों में खड़ा होने के कारण गन्ना काश्तकारों को दोहरा नुक्सान हो रहा है। गन्ना काश्तकारों की सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि न तो सरकार की तरफ से उनकी कोई सुनवाई की जा रही है और न ही निजी और सहकारी मिलों की तरफ से उनकी फसल पूरे मूल्य पर खरीद कर समय पर अदायगियां की जा रही हैं। इस तरह वे परेशानी के आलम में से गुजर रहे हैं। और तो और अब जब गर्मी बढऩी शुरू हो गई है जिससे गन्ने का भार कम होना शुरू हो गया है व दूसरी तरफ मजदूरों ने रेट बढ़ा दिए हैं।
मिलों को पैसे देने की बजाय क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए मीटिंगें कर रहे हैं मनप्रीत बादल: वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की तरफ से पंजाब के अतिरिक्त मुख्य सचिव कृषि, डायरैक्टर कृषि, शूगरफैड के एम.डी. और केन कमिश्नर समेत अलग-अलग अधिकारियों के साथ मीटिंग करके गन्ने का क्षेत्रफल बढ़ाने का विचार-विमर्श किया है। इस दौरान संबंधित अधिकारियों ने बादल को बताया कि यदि पंजाब की सभी 16 मिलों को करीब 180 दिन चलाना है तो इसके लिए अंदाजन 900 लाख किं्वटल गन्ने की जरूरत पड़ती है परन्तु पंजाब में गन्ने के अधीन मौजूदा क्षेत्रफल सिर्फ 94 हजार हैक्टेयर है।इसके साथ ही ‘पंजाब केसरी’ के साथ बातचीत करते हुए एक अधिकारी ने बताया कि मीटिंग के दौरान खजाना मंत्री को इस बात से भी स्पष्ट रूप में जानकारी दी गई है कि यदि पंजाब में गन्ने के अधीन क्षेत्रफल बढ़ जाता है तो मिलों की तरफ से किसानों को पूरा रेट नहीं दिया जाता जिस कारण अगले साल फिर गन्ना काश्तकार गन्ने की काश्त से मुंह मोड़ लेते हैं।
इसी तरह किसानों की तरफ से की जा रही मांग के अनुसार यह मामला भी उठाया गया कि हरियाणा की तर्ज पर गन्ने का रेट 330 रुपए प्रति क्विंटल देकर किसानों को गन्ने की काश्त की तरफ उत्साहित किया जा सकता है। करीब 556 करोड़ रुपए की अदायगियां रुकीं: कृषि विभाग के डायरैक्टर जसबीर सिंह बैंस ने बताया कि इस साल पंजाब की 16 मिलों में करीब 1,634 करोड़ रुपए का गन्ना आया है जिसमें से 1,078 करोड़ रुपए की अदायगियां की गई हैं जबकि बाकी अदायगियों के लिए अपेक्षित कार्रवाई जारी है। इसी तरह इस सीजन के करीब 556 करोड़ रुपए बकाया होने के अलावा पंजाब की सहकारी मिलों ने उससे पिछले साल 2016-17 के 45 करोड़ 6 लाख रुपए भी अदा नहीं किए।
कई किसानों ने बताया कि इस साल चाहे मिलों की तरफ से तुरंत अदायगियां करने के दावे किए जा रहे हैं मगर असलीयत यह कि बहुत से किसानों को 30 दिनों में भी अदायगी नहीं हो रही। उन्होंने बताया कि ज्यादा बकाया राशि सहकारी मिलों के साथ संबंधित है क्योंकि सरकार की तरफ से अदायगियां न की किए जाने से ये मिलें बेहद पतली हालत में से गुजर रही हैं। यह भी पता चला है कि मनप्रीत बादल के साथ मीटिंग के दौरान संबंधित अधिकारी ने कहा कि सहकारी मिलों के नवीनीकरण के लिए करीब 500 करोड़ रुपए की जरूरत है।
मिलों और सरकार के दावे बयानबाजी तक सीमित : गन्ना काश्तकार
जिला गुरदासपुर के प्रसिद्ध गन्ना काश्तकार गुरदीप सिंह, लखविन्द्र सिंह, करतार सिंह आदि ने कहा कि मिलों और सरकार के दावे बयानबाजी तक सीमित हैं जबकि बहुत से स्थानों पर सिर्फ चहेते किसानों को पर्ची दी जा रही है। यहां तक कि कई प्राइवेट मिलों ने अपनी मिलों के अधीन आने वाले गन्ने को छोड़कर बाहर वाली मिलों का गन्ना खरीदने को प्राथमिकता दी है। अब जब खेतों में 25 से 30 प्रतिशत गन्ना खड़ा है तो कई इलाकों में से लेबर के चले जाने के कारण किसान और भी परेशान हैं, जिसके चलते 35 से 40 रुपए प्रति किं्वटल काम करने वाली लेबर अब 45 से 55 रुपए प्रति किं्वटल मांग रही है।