हर गांव में 550 पौधे लगाने का लक्ष्य प्राप्त करने वाला पहला जिला बना पठानकोट

Edited By Vaneet,Updated: 09 Aug, 2019 01:31 PM

pathankot first district achieve goal of 550 plants

सूबा सरकार की तंदुरुस्त पंजाब मुहिम के तहत श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समॢपत हरेक गांव में 550 पौधे लगाने ....

पठानकोट(शारदा): सूबा सरकार की तंदुरुस्त पंजाब मुहिम के तहत श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समॢपत हरेक गांव में 550 पौधे लगाने की शुरू की गई कवायद के तहत जिला पठानकोट समूचे राज्य में ऐसा पहला जिला बन गया है, जिसमें सभी 414 गांवों में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा घोषित 550 पौधे लगाने की योजना क्रियान्वित हो चुकी है। पठानकोट एक महत्वपूर्ण जिला है जो एक ओर हिमाचल प्रदेश व दूसरी ओर जम्मू कश्मीर तथा तीसरी ओर पाकिस्तान से सटा है। वन विभाग जिला पठानकोट को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने पर्यावरण संकट का संज्ञान लेते हुए गत 2-3 वर्षों के दौरान कुछेक ऐसे कार्य किए गए हैं जिससे लोगों में उम्मीद की किरण जगी है तथा भारी संख्या में लोग वन विभाग के साथ उनके इस प्रोजैक्ट से जुड़े हैं। जिला उपायुक्त रामवीर व वन विभाग के डी.एफ.ओ. डा. संजीव तिवारी ने मिलकर ऐसी व्यूह रचना की है कि देखते ही देखते कस्बों व देहात क्षेत्र में हरियावल की ऐसी मुहिम शुरू हुई जो आने वाले वर्षों में अपने रंग दिखाएगी व समूचे सूबे का मार्ग दर्शन करेगी। 

पंजाब के कई अन्य जिलों में यह कार्य रूरल डिवैल्पमैंट विभाग द्वारा किया जा रहा है परन्तु जिला पठानकोट वन विभाग ने इस कार्य को अमलीजामा पहनाया है और रूरल डिवैल्पमैंट के बी.डी.पी.ओ. व सरपंचों की सेवाएं मात्र भूमि के निर्धारण व उनके रख-रखाव के लिए महिलाओं का चडी.एफ.ओ. डा. संजीव तिवारी ने इस संबंध में बताया कि गत वर्ष जिला पठानकोट में उन्होंने ट्रॉयल बेस पर मनरेगा का एक ऐसा मॉडल तैयार किया था जिसके माध्यम से पौधे लगाने, उनकी देखभाल करने के लिए महिलाओं को जिम्मेदारी दी गई थी कि हर 100 पौधे लगने पर एक महिला को उस जगह का चार्ज दिया जाएगा। उसका कार्य लगाए गए पौधे की देखभाल करना होगा। संबंधित महिला को इस कार्य के लिए 1920 रुपए प्रति महीना मानभत्ता दिया जाएगा। जो महिलाएं घर में कार्य करती हैं, उनके लिए यह एक प्रकार से रोजगार होगा जो पांच वर्षों तक लागू रहेगा। 5 वर्ष होने पर संबंधित महिलाओं के पास इतना तजुर्बा आ जाएगा कि वे अन्य योजनाओं में कार्य करने लगेंगी। इसका अर्थ यह है कि महिलाओं को लंबे समय तक रोजगार मिला रहेगा। यन तक रही हैं। 

तकनीकी ढंग से तालमेल करके लगाए जा रहे हैं पौधे
डा. तिवारी ने बताया कि वन विभाग के 50 के लगभग कर्मी गार्ड, रेंजर व अन्य अधिकारी इस कार्य को चुनौतीपूर्ण ढंग से कर रहे हैं। वे बी.डी.पी.ओ. व पंचायतों से तालमेल बनाकर सबसे पहले गांव का सर्वे करते हैं। उसके पास कौन से पौधे की किस्म लगनी है, का चयन होता है। भारत सरकार की योजना के तहत उसकी सैटेलाइट से जी.ओ. टैङ्क्षगग होती हैं। उसके बाद सरपंचों से कार्य करने वाली महिलाओं का नाम लेकर उनका मस्टरोल लागू करना होता है। पैसे सीधे काम करने वाली महिलाओं के खातों में आते हैं। 15 प्रतिशत पौधे फलदार व शेष समान प्रजाति के लगाए जा रहे हैं। 

दो-तीन करोड़ के प्रोजैक्ट में लगेंगे 2 लाख 32 हजार पौधे, 3 लाख पौधे अतिरिक्त लगाएगा विभाग
डा. तिवारी ने बताया कि करोड़ों के इस प्रोजैक्ट में सार्थक परिणाम लाने व लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योजना पर दिल से कार्य किया जा रहा है, परन्तु लोगों के सहयोग की नितांत आवश्यकता है। कुछ स्थानों पर बाड़ लगाई हुई है। अगर उसमें कोई टूट होती है तो जनता विभाग को सूचित करे। जानवरों से बचाने में सामान्य लोग भी साथ दें। किसी के पास कोई अन्य सुझाव है तो वह क्षेत्र में हरियावल पैदा करने के लिए विभाग का साथ दें। 414 गांवों में 2 लाख 32 हजार पौधे लगा दिए गए हैं। विभाग इसके अतिरिक्त 3 लाख पौधे और लगा रहा है। यह पिछले कुछ सालों की सबसे बड़ी प्लांटेशन की मुहिम है। उन्होंने कहा कि ट्री गार्ड भी विभाग खुद बनवा रहा है। जो सैल्फ हैल्प ग्रुप धारकलां व अन्य क्षेत्रों में चल रहे हैं वे बैंवों के वृक्ष से ट्री गार्ड बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि नगर में पांच नानक बगीची बन चुकी हैं तथा लोगों में इसको लेकर बड़ी उत्सुक्ता है। 

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