किसानों के लिए मीठी और आम लोगों के लिए कड़वी हो रही सब्जियां

Edited By Vaneet,Updated: 22 May, 2019 03:18 PM

bitter vegetables for common people

इस वर्ष फरवरी-मार्च दौरान हुई बारिश ने जहां कई इलाकों में गेहूं की फसल का भारी नुक्सान किया था, उसके विपरीत सब्जी के काश्तकारों के लिए पिछले ....

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): इस वर्ष फरवरी-मार्च दौरान हुई बारिश ने जहां कई इलाकों में गेहूं की फसल का भारी नुक्सान किया था, उसके विपरीत सब्जी के काश्तकारों के लिए पिछले महीनों दौरान हुई बारिश वरदान साबित हुई है। भले ही बारिश के कारण पंजाब के कई इलाकों में सब्जियों का भारी नुक्सान हुआ था मगर जिन किसानों की सब्जियां इस बारिश से बच गईं, उनके लिए यह सीजन मोटी कमाई का साधन बन रहा है। ऐसी स्थिति में टमाटर और हरी मिर्च जैसी कई फसलों के मूल्य पिछले वर्ष के मुकाबले 3 गुणा बढ़ गए हैं, जबकि गोभी की काश्त करने वाले किसानों की भी इस बार चांदी रही है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष सब्जी के काश्तकारों की हुई दुर्दशा की इस वर्ष से तुलना की जाए तो यह वर्ष सब्जियों के काश्तकारों के लिए तो लाभदायक रहा है, मगर आम खपतकारों के लिए सब्जियों का स्वाद फीका और कड़वा रहा है।

पिछले वर्ष गिरे थे सब्जियों के मूल्य 
पिछले वर्ष गर्मियों का मौसम शुरू होने से पहले ही गर्मियों की सब्जियों के मूल्य गिर गए थे। इसके अंतर्गत कई किसानों को गोभी जैसी फसल खेतों में जोतनी पड़ी थी। उस समय गोभी, खीरा, हरी मिर्च, आलू, टमाटर, कद्दू, शिमला मिर्च, करेला और काली तोरी आदि सब्जियों के मूल्य भी बहुत कम हो गए थे। 

टमाटरों के रेट में 3 से 4 गुणा बढ़ौतरी
गुरदासपुर से संबंधित सब्जियों के काश्तकार किसान हनी बहल ने बताया कि पिछले वर्षों में आम तौर पर इन दिनों दौरान टमाटरों का करीब 22 किलो का क्रेट 50 से 100 रुपए में मिलता रहा था, मगर इस बार इस क्रेट का मूल्य 400 रुपए से भी अधिक है। इसी तरह हरी मिर्च पिछले साल बड़ी मुश्किल से 15 रुपए के करीब बिकी थी, मगर इस साल इसका मूल्य 35 से 40 रुपए है। उन्होंने बताया कि जिन किसानों ने इस साल बारिश के बाद गोभी की काश्त की थी, उन्हीं किसानों ने प्रति एकड़ खेत में से 2-2 लाख रुपए की कमाई की है, जबकि पिछले साल इन दिनों गोभी में मंदी ने किसानों की कमर तोड़ दी थी। इतना ही नहीं, खेतों में तैयार किया गया सीडलैस खीरा 20 रुपए किलो बिक रहा है, जबकि ग्रीन शैड में तैयार किए गए इस खीरे का मूल्य 50 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल रहा है। उन्होंने बताया कि ङ्क्षभडी का मूल्य 30 रुपए, घीया 25 रुपए मिल रहा है। यह रेट मंडी के हैं, जबकि परचून के मूल्य इससे भी अधिक हैं।

क्यों बढ़े इस बार सब्जियों के मूल्य
हनी बहल ने बताया कि इस बार फरवरी और मार्च महीने दौरान हुई बारिश ने सब्जियों की बिजाई को बुरी तरह से प्रभावित किया था जिससे कई किसान समय पर बिजाई नहीं कर सके, जिन किसानों ने पहले रोपाई की थी, उनमें से कई किसानों की फसलें बारिश के कारण खराब हो गईं जिससे किसानों को फिर से बिजाई करनी पड़ी। इसी तरह एक ही समय पर सभी किसान सब्जियों की काश्त नहीं कर सके जिससे बिजाई के समय में बड़ा अंतर रहने से अब मंडियों में आने वाली फसल की मात्रा भी कम है। 

रामपुरा फूल में टमाटर की खेती का हुआ नुक्सान
बहल ने बताया कि मालवा के रामपुरा फूल में बहुत अधिक टमाटर होता है, मगर इस बार बेमौसमी बारिश ने इस इलाके में टमाटर को बड़ा नुक्सान पहुंचाया था जिससे अब उस इलाके से टमाटर कम आने के कारण मूल्य काफी बढ़ गए हैं। इसी तरह हरी मिर्च के प्रतिदिन 50 से 70 ट्रक अहमदाबाद के लिए जा रहे हैं जिससे पंजाब में हरी मिर्च के मूल्य भी अधिक हैं।

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