सरकारी अस्पताल में TB ब्रांच अलग नहीं, बैक्टीरिया फैलने का खतरा

Edited By Vatika,Updated: 15 Sep, 2018 12:44 PM

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जिला हैडक्वार्टर पर बने सरकारी अस्पताल की बिल्डिंग में ही टी.बी. वार्ड होने के कारण किसी भी वक्त वॉयरस एक मरीज से अन्य में फैल सकता है, जिसको लेकर विभाग बिल्कुल भी सुचेत नहीं है। एक तरफ विभाग द्वारा करोड़ों खर्च कर टी.बी. जागरूकता व मरीजों की देखभाल...

फिरोजपुर(जैन): जिला हैडक्वार्टर पर बने सरकारी अस्पताल की बिल्डिंग में ही टी.बी. वार्ड होने के कारण किसी भी वक्त वॉयरस एक मरीज से अन्य में फैल सकता है, जिसको लेकर विभाग बिल्कुल भी सुचेत नहीं है। एक तरफ विभाग द्वारा करोड़ों खर्च कर टी.बी. जागरूकता व मरीजों की देखभाल हेतु खर्च किए जा रहे हैं। दूसरी तरफ विभाग खुद ही इसके प्रति जागरूक नजर नहीं आ रहा है। पता चला है कि टी.बी. वार्ड का अलग होना जरूरी माना जाता है, क्योंकि यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे में प्रवेश कर सकता है, लेकिन यहां के अस्पताल में ऐसा कुछ भी नहीं है। तपेदिक से जूझ रहे मरीजों को अपना ब्लड सैंपल, एक्स-रे करवाने के लिए पूरे अस्पताल का चक्कर लगाकर गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है। ऐसे में किसी को भी यह रोग लगने के अंदेशे से मना नहीं किया जा सकता है। 

क्या है टी.बी.
टी.बी. का पूरा नाम ट्यूबरकुल बेसिलाई है और यह छूत का रोग है व इसे शुरूआती दौर में न पकड़ा जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। इसे तपेदिक, क्षय नाम से भी जाना जाता है। जागरूकता की कमी के कारण रोजाना कई लोग इसके शिकार हो जाते हैं। यह बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण माना जाता है और इससे फेफड़ों का रोग भी कहते हैं। यह सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। 

लक्षण
बुखार, खांसी, थकावट, टायफाइड, फेफड़ों का काम न करना, भूख न लगना, बेचैनी व सुस्ती तथा सीने में दर्द, हल्का बुखार, खून का बलगम में आना, गर्दन में सूजन इसके मुख्य लक्षण माने जाते हैं। 

जागरूकता का अभाव है इसका कारण
जागरूकता का अभाव टी.बी. का सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा गाय-भैंस का बिना उबला दूध पीना, भीड़ वाले स्थानों में बिना मुंह ढंके जाना, जगह-जगह थूकने के अलावा जिस व्यक्ति को टी.बी. है उसके आसपास रहने से तथा स्लेट की फैक्टरी में काम करने से यह रोग फैलता है।  

मरीजों का पूरा ध्यान
जिस मरीज में टी.बी. की पुष्टि पाई जाती है, उसे फ्री दवाई, फ्री टैस्ट के अलावा उसे खुराक के लिए खर्चा तक दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो शहीदों के शहर में टी.बी. मरीजों की संख्या करीब 480 है और एम.डी.आर. जोकि दवाई लेने के बावजूद भी ठीक नहीं हो रहे ऐसे मरीजों की संख्या 25 है। विभाग द्वारा जहां जिला टी.बी. अधिकारी के अलावा 16 लोगों का स्टाफ मरीजों की सहायता के लिए उपस्थित है, वहीं हर मरीज को दवाई समय पर लेने और उसका हालचाल जानने के लिए यहां के स्टॉफ द्वारा बढिय़ा कार्य किया जा रहा है। 

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डा. सुरिन्द्र कुमार ने कहा कि मामला उनके ध्यान में है कि यहां की टी.बी. शाखा अस्पताल की इमारत में संयुक्त रूप से चल रही है। 
उन्होंने कहा कि टी.बी. शाखा को अलग करने की प्लाङ्क्षनग चल रही है और जल्द इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा व बकायदा तौर पर स्थान निश्चित कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि टी.बी. मरीजों की देखभाल के लिए उनका स्टॉफ हमेशा सतर्क रहता है। 

मरीज को मिलता है पूरा ट्रीटमैंट : ओबराय
जिला टी.बी. अधिकारी डा. सतिन्द्र ओबराय के मुताबिक टी.बी. मरीजों को पूरा ट्रीटमैंट मिल रहा है और उनकी ब्रांच के सदस्य मरीजों से अपडेट लेते रहते हैं। उन्होंने कहा कि सभी मरीजों की वे अ‘छे से जांच करते हैं और यहां पर टी.बी. के टैस्ट लैब में नि:शुल्क किए जाते हैं। विभाग द्वारा जागरूकता फैलाने के अलावा सरकार द्वारा मिलने वाली सभी सहूलियतें मरीजों को उपलब्ध करवाई जाती है। विभागीय जानकारी के मुताबिक जिस मरीज को टी.बी. की शिकायत पाई जाती है उसका पूरा रिकार्ड विभाग द्वारा अपने पास रखा जाता है।  

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