Edited By Vatika,Updated: 17 Sep, 2018 11:58 AM
जलालाबाद इंडस्ट्रीयल एरिया होने के कारण पूरे राज्य में मशहूर है, परंतु चावल उद्योग के तौर पर अपनी अलग पहचान बना चुकी इंडस्ट्रीज द्वारा नियमों के उल्लंघन के कारण शैलरों से निकलने वाली राख (फ्लाई एश) शहर की जनता और राहगीरों के लिए भारी मुश्किलें पैदा...
जलालाबाद(बंटी): जलालाबाद इंडस्ट्रीयल एरिया होने के कारण पूरे राज्य में मशहूर है, परंतु चावल उद्योग के तौर पर अपनी अलग पहचान बना चुकी इंडस्ट्रीज द्वारा नियमों के उल्लंघन के कारण शैलरों से निकलने वाली राख (फ्लाई एश) शहर की जनता और राहगीरों के लिए भारी मुश्किलें पैदा कर रही है।
पिछले लंबे समय से समाज सेवी संस्थाओं द्वारा उक्त समस्या के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है और जिस संबंधी संबंधित विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। किसान भाइयों से भी अपील है कि वे आने वाले समय में नाड़ और पराली को आग न लगाएं नहीं तो प्रदूषण में और विस्तार होगा। समाज सेवी नीरज बबूटा (बबलू), विजय दहूजा (लड्डू), जसविंदर वर्मा, डा. हकवन और विपन चकती ने कहा कि शैलरों से निकलने वाली यह राख खुलेआम सड़कों पर फैंकने और ट्रालियों पर एक जगह से दूसरी जगह ले जाते समय उल्लंघन कारण यह सारा दिन धूल के रूप में उड़ती रहती है।
यह राख (फ्लाई ऐश) आंखों में पडऩे के कारण लोगों के लिए किस कद्र परेशानी का कारण बन रही है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना शैलरों से निकलने वाली यह राख घरों की छतों और कारों या बाहर ठहरे व्हीकलों पर एक काली चादर की तरह बिछी होती है। उन्होंने कहा कि उक्त समस्या के कारण शहर में लोग आंखों, दमे और कई अन्य बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई शैलरों वालों ने प्रदूषण रोकू यंत्र नहीं लगाए, जो बहुत जरूरी है, जिस कारण यह समस्या विकराल रूप धारण कर रही है, उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले फोग के चलते इस समस्या में और विस्तार हुआ था।