बिना मंजूरी सरकारी अस्पताल में चल रहा सीवरेज का काम

Edited By Anjna,Updated: 14 May, 2018 03:10 PM

work of sewerage in a non sanctioned government hospital

मलोट के सरकारी अस्पताल में पंजाब हैल्थ निगम या किसी अधिकृत अथॉरिटी की मंजूरी या टैंडर बिपस मरीजों के लिए शौचालय बनाने और सीवरेज पाइप लाइन डालने का कार्य करवाया जा रहा है। जानकारी अनुसार जिला मैडीकल कमिश्नर दफ्तर द्वारा अस्पताल प्रशासन को कार्य तुरंत...

मलोट (जुनेजा): मलोट के सरकारी अस्पताल में पंजाब हैल्थ निगम या किसी अधिकृत अथॉरिटी की मंजूरी या टैंडर बिपस मरीजों के लिए शौचालय बनाने और सीवरेज पाइप लाइन डालने का कार्य करवाया जा रहा है। जानकारी अनुसार जिला मैडीकल कमिश्नर दफ्तर द्वारा अस्पताल प्रशासन को कार्य तुरंत बंद करने के लिए नोटिस जारी होने के बावजूद कार्य बंद करने की जगह युद्ध स्तर पर करवाया जा रहा है जिस कारण अस्पताल के अधिकारियों की कारगुजारी सवालों में आ गई है। उधर एस.एम.ओ. इस कार्य को मामूली बता रहे हैं।

पूर्व एस.एम.ओ. डाक्टर गुरजंट सिंह सेखों का कहना है कि विभाग द्वारा सरकारी अस्पताल के एस.एम.ओ. को अस्पताल से संबंधित किसी भी तरह का कार्य करवाने के लिए केवल 25 हजार रुपए खर्च करने की पावर होती है। इससे ज्यादा बजट वाले कार्य के लिए विभाग की मंजूरी जरूरी होती है। यदि कार्य निर्माण या सीवरेज से संबंधित हो तो उसके लिए पंजाब हैल्थ सिस्टम निगम का इंजीनियर विंग एस्टीमेट तैयार कर टैंडर जारी करके विभाग अपने इंजीनियर की देखरेख में कार्य करवाता है। उधर अस्पताल के एस.एम.ओ. गुरचरन सिंह ने फोन पर ही अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अस्पताल में ड्यूटी करते डाक्टरों और स्टाफ नर्सों के लिए रिहायश और सीवरेज की समस्या थी जिसको अस्पताल के स्टाफ द्वारा अपने खर्च पर करवाया जा रहा है।

उन्होंने ज्यादा जानकारी के लिए डा. कामना जिन्दल के साथ संपर्क करने के लिए कहा। वहीं डा. कामना जिन्दल ने कहा कि यह कार्य नगर कौंसिल का सीवरेज बोर्ड कर रहा है जबकि अस्पताल में नए चैंबर बनाकर नई पाइप लाइन डलवाने के लिए फर्श को उखाड़ा जा रहा था। उधर इस संबंधी सीवरेज बोर्ड के एस.डी.ओ. राकेश मोहन भी तसल्लीबख्श जवाब नहीं दे सके जबकि सिविल सर्जन सुखपाल सिंह का कहना था कि वह मामले की पड़ताल करवाएंगे। इन सभी मामलों के चलते अस्पताल प्रबंधक पर सवाल उठ रहे हैं कि अस्पताल के फर्श को खोदकर नई सीवरेज पाइप लाइन डालने पर खर्च होने वाले लाखों रुपए कहां से आएंगे? यदि सीवरेज बोर्ड जरिए यह कार्य करवाया भी जा रहा है तो खर्च होने वाला बजट कहां से आया? जिसका जवाब कोई भी देने को तैयार नहीं।
 

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