आवारा पशुओं का आतंक, गेहूं व अन्य फसलें हो रही बर्बाद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 12:04 PM

terror from stray animals

इस समय समूचा किसान वर्ग 2 समस्याओं में पूरी तरह घिरा हुआ है। पहली बात तो किसानों सिर चढ़े कर्जा की है और कर्जे की मार में आया देश का अन्नदाता खुदकुशियों के रास्ते पड़ा हुआ है जबकि दूसरी बड़ी समस्या किसानों के लिए बेसहारा पशुओं की बनी हुई है।

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): इस समय समूचा किसान वर्ग 2 समस्याओं में पूरी तरह घिरा हुआ है। पहली बात तो किसानों सिर चढ़े कर्जा की है और कर्जे की मार में आया देश का अन्नदाता खुदकुशियों के रास्ते पड़ा हुआ है जबकि दूसरी बड़ी समस्या किसानों के लिए बेसहारा पशुओं की बनी हुई है। इन बेसहारा पशुओं ने किसानों के नाक में दम कर रखा है। किसान वर्ग के लिए ये बेसहारा पशु भारी मुसीबत बने हुए हैं और यह अति गंभीर मामला है। जिसके हल के लिए सरकार व प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगेे।

बेसहारा पशुओं के फिरते हैं बड़े झुंड 
किसानों के खेतों में बेसहारा पशुओं के बड़े झुंड फिरते हैं। जिस खेत में ये पशु घुस जाते हैं वहां फसल का सफाया कर देते हैं। रात के समय ये बेसहारा पशु फसलों का अधिक नुक्सान करते हैं और दिन चढऩे तक पेट भर कर वापस आ जाते हैं। 

कई बेसहारा पशु हैं खतरनाक 
उल्लेखनीय है कि कई बेसहारा पशु खतरनाक किस्म के हैं। कुछ सांड मनुष्य को सींग मारकर घायल कर देते हैं। इसी तरह कई गऊंए भी किसानों को चोटिल कर देती हैं। किसानों का कहना है कि ये बेसहारा पशु गेहूं के साथ- साथ पशुओं के लिए बीजे हरे चारों और फसलों को भी चौपट कर रहे हैं। 

नहीं करते लोहे की तारों की परवाह  
भले ही किसानों ने अपने खेतों के आसपास कंटीले तार आदि लगा रखे हैं, परन्तु फिर भी ये बेसहारा पशु इन तारों की परवाह नहीं करते और इन तारों के ऊपर से छलांग मारकर खेतों में घुस जाते हैं। 

किसानों की आपस में होती है लड़ाई  
बेसहारा पशुओं को लैकर कई बार आसपास के गांवों के किसानों की आपस में लड़ाई हो जाती है और नौबत गोलियां चलाने तक पहुंच जाती है। क्योंकि किसान अपने गांव में बेसहारा पशु निकाल कर दूसरे गांवों में छोड़ आते हैं। 

किसान रातें बिताते हैं खेतों में  
अपनी फसलों को बेसहारा पशुओं से बचाने के लिए अनेक किसान रात समय खेतों में ही रहते हैं। कइयों ने झोंपडिय़ां डाली हैं और किसी ने अन्य प्रबंध ठंड से बचने के लिए किया है। 

सरकारों नेे नहीं समझा किसानों का दर्द
राज्य में गत समय दौरान शिरोमणि अकाली दल और भाजपा की थी, वहीं अब कांग्रेस सत्तासीन है परन्तु किसानों के दर्द को किसी ने भी नहीं समझा। बेसहारा पशुओं की समस्या की तरफ सरकारें ध्यान ही नहीं दे रहीं। वास्तव में सरकार इस मामले संबंधी गंभीर ही नहीं है।

कुछ गांवों ने बेसहारा पशुओं का दिया ठेका
कुछ ऐसे गांव भी हैं जहां कई किसानों ने परेशान होकर बेसहारा पशुओं से छुटकारा पाने के लिए घोड़े वालों को ठेका दे दिया है और सभी गांवों के किसानों से पैसे इकठ्ठा करके उनको दे दिए हैं। ये घोड़े वाले बेसहारा पशुओं को खदेड़ देते हैं। बेसहारा पशुओं की इस समस्या को लेकर किसान संगठन भी संघर्ष कर रहे हैं। प्रतिदिन रोष प्रदर्शन और धरने दि जाते हैं।

भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहा के राज्य कमेटी सदस्य गुरांदित्ता सिंह और भारतीय किसान यूनियन कादियां के जिलाध्यक्ष जगदेव सिंह कानियांवाली ने सरकार से मांग की कि इन बेसहारा पशुओं से किसानों को छुटकारा दिलाया जाए।

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