Festival Season में खाद्य वस्तुओं की कीमतों को लेकर अहम खबर

Edited By Vatika,Updated: 20 Oct, 2023 02:10 PM

important news regarding prices of food items in festival season

भारत सरकार ने एचएस कोड 17011490 तथा 17019990 के अंतर्गत चीनी (कच्ची चीनी, सफेद चीनी, परिष्कृत चीनी और जैविक चीनी) के निर्यात पर प्रतिबंध की तिथि 31 अक्टूबर, 2023 से अगले आदेश तक बढ़ा दी है।

जैतो( रघुनंदन पराशर): खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने आज यहां संवाददाताओं बातचीत में कहा कि त्योहारों के सीजन में आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर बनी रहेंगी, क्योंकि सरकार द्वारा मूल्य को स्थिर रखने के लिए अनेक कदम उठाए गये हैं। चीनी --भारत सरकार ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए पूरे वर्ष उचित मूल्य पर चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अगले आदेश तक चीनी निर्यात पर प्रतिबंध जारी रखा है। सरकार के इस कदम से देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक भी सुनिश्चित होगा और पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम के अंतर्गत हरित ईंधन की दिशा में भारत के प्रयासों में निरंतरता बनी रहेगी।विदेश व्यापार महानिदेशालय की दिनांक 18 अक्टूबर, 2023 की अधिसूचना संख्या 36/2023 के अंतर्गत भारत सरकार ने एचएस कोड 17011490 तथा 17019990 के अंतर्गत चीनी (कच्ची चीनी, सफेद चीनी, परिष्कृत चीनी और जैविक चीनी) के निर्यात पर प्रतिबंध की तिथि 31 अक्टूबर, 2023 से अगले आदेश तक बढ़ा दी है।

सरकार ने इस नीति के साथ 140 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपभोक्ताओं को चीनी की उपलब्धता में किसी तरह की बाधा न हो। यह महत्त्वपूर्ण है कि भारत में अंतरराष्ट्रीय चीनी का मूल्य 12 वर्ष की ऊंचाई पर होने के बावजूद भारत में चीनी विश्व में सबसे सस्ती है और देश में खुदरा चीनी की कीमतों में केवल मामूली बढ़ोतरी हुई है, जो किसानों के लिए गन्ने के एफआरपी में वृद्धि के अनुरूप है।खुदरा चीनी की कीमतों में पिछले 10 वर्षों में औसत मुद्रास्फीति लगभग 2 प्रतिशत प्रति वर्ष रही है।इसके अतिरिक्त सरकार घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चीनी मिलों के मासिक डिस्पैच की निगरानी कर रही है। सभी व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बिग चेन रिटेलर, चीनी प्रसंस्करणकर्ताओं को अपने चीनी स्टॉक की स्थिति की जानकारी पोर्टल पर देने के लिए निर्देश दिया गया है ताकि सरकार देश भर में चीनी स्टॉक की निगरानी कर सके। इन उपायों का उद्देश्य चीनी क्षेत्र की बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने तथा बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति को सुगम बनाना है।

भारत सरकार जमाखोरी तथा सट्टेबाजी रोककर एक संतुलित और उचित चीनी बाजार बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। इन प्रयासों का उद्देश्य देश भर के सभी उपभोक्ताओं के लिए सस्ती चीनी सुनिश्चित करना है। सरकार के सक्रिय उपाय एक स्थिर और न्यायसंगत चीनी बाजार वातावरण को बढ़ावा देने के लिए इसके समर्पण को रेखांकित करते हैं। चीनी निर्यात की यह नीति चीनी आधारित फीडस्टॉक से इथेनॉल उत्पादन के प्रति स्थिरता भी सुनिश्चित करेगी। ईएसवाई 2022-23 में भारत ने लगभग 43 एलएमटी चीनी को इथेनॉल की ओर डाइवर्ट कर दिया है। इससे चीनी आधारित डिस्टिलरी को लगभग 24,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। इस राजस्व से चीनी उद्योग को समय पर किसानों के गन्ने के बकाये का भुगतान करने तथा चीनी क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता मिली है।गन्ने और चीनी को लेकर उचित सरकारी नीतियों से चीनी मिलों ने लगभग 1.09 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया है और इस प्रकार चीनी सीजन 2022-23 के 95 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया का भुगतान किया है, जबकि पिछले सीजन के 99.9 प्रतिशत गन्ना बकाया का भुगतान किया गया है। इस प्रकार गन्ने का बकाया अब तक के न्यूनतम स्तर पर है और शेष बकाया राशि को भी जल्द से जल्द चुकाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

चावल--- सरकार ने घरेलू मूल्यों को नियंत्रित रखने तथा घरेलू खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत से चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करने के लिए पहले से कई उपाय किए हैं। टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और 9 सितंबर 2022 को गैर-बासमती सफेद चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया था। इसके बाद 20 जुलाई 2023 को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था।भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में 1.78 मिलियन टन गैर-बासमती चावल और 4.6 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया था। गैर-बासमती चावल निर्यात में से लगभग 7.8-8 मिलियन टन चावल उबला हुआ था। 25 अगस्त, 2023 से उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया गया है। यह शुल्क प्रारंभ में 15 अक्टूबर, 2023 तक लगाया गया था, जिसे अब 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। उबले हुए चावल पर शुल्क व्यवस्था का विस्तार करने का उद्देश्य इस महत्वपूर्ण चावल की कीमतों को नियंत्रित रखना और घरेलू बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखना है। सरकार द्वारा इस वर्ष अगस्त में किए गए इस उपाय का वांछित प्रभाव दिखता है क्योंकि उबले चावल के मामले में मात्रा के संदर्भ में 65.50 प्रतिशत और मूल्य के संदर्भ में 56.29 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त सीमा शुल्क प्राधिकारियों को कठोर आवश्यक जांच के निर्देश दिए गए हैं ताकि उबले हुए चावल की आड़ में किसी अन्य किस्म के चावल का निर्यात न किया जा सके। भारत ने गैर-बासमती सफेद चावल पर प्रतिबंध के बावजूद विशिष्ट देशों को गैर-बासमती सफेद चावल की विशिष्ट मात्रा के निर्यात पर प्रतिबंधों में ढील देने का फैसला किया है। इस चावल निर्यात के पात्र देशों में नेपाल (95,000 मीट्रिक टन), कैमरून (1,90,000 मीट्रिक टन), मलेशिया (1,70,000 मीट्रिक टन), फिलीपींस (2,95,000 मीट्रिक टन), सेशेल्स (800 मीट्रिक टन), कोर डी आइवोर (1,42,000 मीट्रिक टन), और गिनी गणराज्य (1,42,000 मीट्रिक टन), संयुक्त अरब अमीरात (75,000 मीट्रिक टन), भूटान (79,000 मीट्रिक टन) सिंगापुर (50,000 मीट्रिक टन) तथा मॉरीशस (14,000 मीट्रिक टन) शामिल हैं।

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