Edited By Vatika,Updated: 10 Apr, 2019 01:26 PM

तख्त श्री दमदमा साहिब में स्थित ऐतिहासिक शीशा संगत की बीमारियां दूर करता है। रोजाना बड़ी संख्या में संगत शीशे के दर्शन करने पहुंच रही है।
तलवंडी साबो (मुनीश): तख्त श्री दमदमा साहिब में स्थित ऐतिहासिक शीशा संगत की बीमारियां दूर करता है। रोजाना बड़ी संख्या में संगत शीशे के दर्शन करने पहुंच रही है।

शीशा देखने की विधि
तख्त साहिब के हैड ग्रंथी गुरजंट सिंह ने बताया कि हर एक बीमार व्यक्ति को 5 मिनट शीशे आगे बैठकर लगातार 3 दिन चने चबाने से उनको लकवे की बीमारी से छुटकारा मिलता है। उन्होंने बताया कि शीशे को तख्त साहिब के साथ एक सुंदर अलमारी में सुशोभित किया गया है। बीमार व्यक्तियों के अलावा आम संगत भी शीशे के दर्शन करने पहुंच रही है। तख्त साहिब के मैनेजर करण सिंह ने बताया कि 3 दिन शीशे के दर्शन करने आते बीमार व्यक्ति व उनके साथ आने वाले व्यक्तियों की रिहायश व लंगर का प्रबंध किया जाता है। उधर, पटियाला से आए एक बीमार व्यक्ति ने बताया कि उनको पता चला था कि तख्त साहिब में ऐतिहासिक शीशा है, जिसको देखकर लकवे की बीमारी दूर होती है वह दर्शन करने के लिए आए थे।

ऐतिहासिक शीशे का इतिहास
तख्त श्री दमदमा साहिब ऐतिहासिक पक्ष विशेष स्थान रखता है, जहां श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने काफी लंबा समय इस धरती पर रहकर बहुत सारे वचन किए थे जोकि आज भी पूरे हो रहे हैं। इनमें से ही एक है तख्त साहिब में ऐतिहासिक शीशा जिसको देखकर बीमार लोगों की बीमारियां दूर होती हैं। इतिहासकारों मुताबिक जब 10वें पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी दमदमा साहिब थे तो यहां दिल्ली की संगत ने गुरु जी को शीशा भेंट किया और कहा गुरु जी जब दस्तार सजाते हो तो दस्तार के पेच टेढ़े हो जाते हैं, शीशे में देखकर ठीक कर लिया करो। गुरु जी ने शीशा देखकर कहा कि दस्तार तो आम शीशे से भी सीधी हो जाएगी पर यह शीशा जिनके लकवे की बीमारी से मुंह टेढ़े हैं, उनके मुंह सीधे होंगे। उस समय से ही रोजाना देश-विदेश से संगत शीशा देखने आती है।