Edited By Vatika,Updated: 26 Mar, 2019 04:29 PM
अगर बठिंडा तेल डिपो के बाहर पैट्रोल टैंकर को लगी आग पर समय रहते काबू न पाया जाता तो बठिंडा शहर ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों के तबाह होने की नौबत भी आ सकती थी।
बठिंडा (विजय): अगर बठिंडा तेल डिपो के बाहर पैट्रोल टैंकर को लगी आग पर समय रहते काबू न पाया जाता तो बठिंडा शहर ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों के तबाह होने की नौबत भी आ सकती थी।
जानकारी के अनुसार आज सुबह (नं. पी.बी.-09, एक्स-3362) पैट्रोल का भरा टैंकर बठिंडा तेल डिपो निकट एक गोदाम में खड़ा था, जिसको अचानक आग लग गई, जिस कारण लोगों में भगदड़ मच गई क्योंकि तेल का टैंकर किसी भी समय फट सकता था परन्तु हिंदुस्तान पैट्रोलियम तेल डिपो की फायर टीम व फायर बिग्रेड बठिंडा की टीम भी मौके पर पहुंची। दोनों टीमों ने एकजुट होकर दो घंटों की मेहनत उपरांत आग पर काबू पाया।
पुलिस सख्ती के बावजूद तेल बेचने का धंधा जारी
भले आग लगने के सही कारणों बारे अभी कुछ भी कहना मुश्किल है परन्तु गौर है कि तेल डिपो निकट ट्रकों-टैंकरों की मुरम्मत के नाम पर कई गोदाम बने हुए हैं, जिनमें बहुत से टैंकरों से अवैध तौर पर तेल निकालकर आगे बेचा जाता है। कई गोदामों में तेल चोरी का धंधा पकड़ा भी गया है, पर यह धंधा कभी भी रुक नहीं सका, जिससे शक होता है कि इसमें ट्रक चालक या गोदाम मालिक ही नहीं, बल्कि कुछ पुलिस कर्मी भी मिले हुए हैं, इसलिए पुलिस की सख्ती के बावजूद यह धंधा जारी है। संभावना है कि आज भी तेल निकाला जा रहा था, जिस कारण आग लग गई। शक और भी गहरा होता है कि आग लगने उपरांत टैंकर ड्राइवर-कंडक्टर व गोदाम मालिक फरार हो गए।
सख्त कार्रवाई होगी: एस.एस.पी.
डा. नानक सिंह एस.एस.पी. बठिंडा ने कहा कि मामला संदिग्ध है, क्योंकि तेल भरकर गोदाम में खड़े करना गलत है। गोदामों में तेल निकालने का धंधा पहले चलता रहा है, जिसको बंद करवाने के लिए पुलिस सख्ती करती रही है, जो अब भी जारी है। इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है। मामला गंभीर है, इसलिए कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा।
बड़ा हादसा होने से हुआ बचाव
तेल टैंकर को आग लगना दुर्भाग्यपूर्ण था और अगर समय पर आग पर काबू न डाला जाता तो बड़ा हादसा हो सकता था, क्योंकि आग टैंकर के सिर्फ अगले हिस्से में ही थी अगर आग पीछे तेल तक पहुंच जाती तो इस पर काबू डालना नामुमकिन हो सकता था। यहीं बस नहीं, तेल का टैंकर फटता तो नजदीक अन्य टैंकरों को भी अपनी चपेट में ले लेता, जबकि यह आग तेल डिपो के बड़े टैंकरों तक भी पहुंच सकती थी। कुछ ही दूरी पर बङ्क्षठडा छावनी का असला डिपो भी है।