दुष्कर्म करने वालों के खिलाफ शीघ्र फांसी की सजा का कानून बनाए पंजाब सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 12:19 PM

rape case

देश के तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान व मध्य प्रदेश की सरकारों ने बच्चियों से दुष्कर्म के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए ठोस कदम उठाते हुए ऐसे बिल पास किए हैं जिनमें आरोपी को मौत की सजा की तजवीज रखी गई है। ऐसे सख्त कानून होने से बच्चियों से हो रही...

बरनाला(विवेक सिंधवानी, गोयल): देश के तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान व मध्य प्रदेश की सरकारों ने बच्चियों से दुष्कर्म के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए ठोस कदम उठाते हुए ऐसे बिल पास किए हैं जिनमें आरोपी को मौत की सजा की तजवीज रखी गई है। ऐसे सख्त कानून होने से बच्चियों से हो रही दुष्कर्म की घटनाओं को नकेल पड़ेगी क्योंकि ऐसी घिनौनी हरकत करने वालों को फांसी की सजा होगी परंतु पंजाब सरकार इस प्रकार का फैसला लेने में पीछे क्यों रह गई है यह चर्चा आजकल हर व्यक्ति की जुबान पर है।

पंजाब का शायद ही कोई ऐसा जिला हो जिसमें ऐसे मामले न हुए हों। पंजाब के छोटे से जिले बरनाला में ही गत वर्ष 2017 में दुष्कर्म के कुल 18 केस दर्ज हुए जिनमें से 12 केस केवल छोटी बच्चियों से दुष्कर्म के हैं। जिस कारण देवी के तौर पर हर वर्ष नवरात्रों में पूजी जाने वाली कन्याओं को ऐसे घिनौने अपराध से बचाने के लिए पंजाब में भी अन्य राज्यों की भांति फांसी जैसे सख्त कानून की जरूरत महसूस होने लगी है।

पंजाब केसरी’ द्वारा पंजाब सरकार को अपनी जिम्मेदारी की ओर ध्यान देने के लिए अभियान शुरू किया गया है जिस तहत आज पंजाब केसरी की टीम ने मास्टर माइंड इंस्टीच्यूट का दौरा किया व इस मुद्दे को लेकर संस्था के एम.डी. शिव सिंगला के नेतृत्व में बैठक की गई। बैठक में पंजाब केसरी की ओर से महिला सुरक्षा व खास तौर पर छोटी आयु की बच्चियों से होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। इंस्टीच्यूट में पढ़ रही व पढ़ा रही अध्यापिकाओं ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए हर संभव सहयोग किया जाएगा व लोगों को जागरूक करने के लिए एक विशेष अभियान चलाया जाएगा। 

फांसी की सजा सभी आयु के लोगों के लिए बराबर होनी चाहिए : सिंगला 
मास्टर माइंड के एम.डी. शिव सिंगला ने कहा कि बच्चियों से दुष्कर्म के केसों में आरोपी पाए गए व्यक्तियों की आयु के मद्देनजर सजा की व्यवस्था न होकर एक बराबर हो। सजा की व्यवस्था में आरोपी यदि 18 वर्ष से कम आयु का भी हो तो उससे किसी प्रकार की नर्मी का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि नाबालिग लड़कों को जेल की बजाय जुवेनाइल भेजा जाता है जहां उनको सख्त सजा नहीं मिलती। जिससे नाबालिग अपराधी को कोई सबक नहीं मिलता। इसलिए कम से कम फांसी की सजा होनी चाहिए व यह सजा सभी आयु वर्गों के लिए बराबर होनी चाहिए। 

 फांसी से रोकी जा सकती हैं दुष्कर्म की घटनाएं
एक्टिव वूमैन क्लब की अध्यक्षा किम गर्ग ने कहा कि छोटी बच्चियां कंजकों का रूप होती हैं व आजकल माता के नवरात्रे चल रहे हैं। यदि छोटी बच्चियों से ऐसी घटनाएं होंगी तो समाज के लिए इससे अधिक शर्म की बात नहीं है। अब नवरात्रों के बीच ही पंजाब में विधानसभा की कार्रवाई भी चल रही है। ऐसे में पंजाब सरकार को चाहिए कि वह तुरंत विधानसभा में ऐसे घिनौने कार्य करने वालों के लिए फांसी की सजा का कानून बनाए ताकि ऐसे घटनाओं को रोका जा सके। 

ऐसे बिल पास करने से बच्चियां सुरक्षित महसूस करेंगी
घरेलू महिला गोल्डी बांसल ने कहा कि पंजाब सरकार ऐसे कानून पास करने में बहुत देरी कर रही है। सरकार को यह बिल बहुत समय पहले ही पास कर देना चाहिए था क्योंकि पिछले वर्षों से राज्य में महिलाओं व छोटी बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं में वृद्धि हुई है व यह सब इसलिए हुआ है क्योंकि अपराधी को पता है कि उसको कुछ नहीं होगा। ऐसा बिल पास करने से जहां बच्चियां सुरक्षित महसूस करेंगी वहीं ऐसे अपराध करने वालों के मन में भी कानून का डर पैदा होगा। 

छोटी बच्चियों से दुष्कर्म किसी की हत्या करने से भी अधिक संगीन जुर्म 
भारतीय महावीर दल के प्रधान एडवोकेट राजीव मित्तल ने कहा कि छोटी बच्चियों से दुष्कर्म किसी की हत्या करने से भी अधिक संगीन माना जाना चाहिए। धरती पर इससे बड़ा गुनाह और कोई नहीं। ऐसे अपराधी के लिए कम से कम मौत की सजा होनी चाहिए ताकि हमारी बच्चियां सुरक्षित माहौल में पल-बढ़ सकें। 

 

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