Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Mar, 2018 09:46 AM
सरकारी मैडीकल कॉलेज अमृतसर में डायलिसिस किट घोटाले का जिन्न फिर बाहर निकल आया है। शिकायतकर्ता ने विजीलैंस विभाग पर आरोप लगाया है कि उक्त घोटाले में शामिल 4 अधिकारियों को चोर रास्तों से क्लीन चिट देकर बचा लिया गया है। पंजाब सरकार उक्त घोटाले की...
अमृतसर(दलजीत): सरकारी मैडीकल कॉलेज अमृतसर में डायलिसिस किट घोटाले का जिन्न फिर बाहर निकल आया है। शिकायतकर्ता ने विजीलैंस विभाग पर आरोप लगाया है कि उक्त घोटाले में शामिल 4 अधिकारियों को चोर रास्तों से क्लीन चिट देकर बचा लिया गया है। पंजाब सरकार उक्त घोटाले की गंभीरता से जांच करे तो कई हैरानीजनक खुलासे हो सकते हैं।
शिकायतकर्ता रविन्द्र सुल्तानविंड ने पत्रकार सम्मेलन दौरान कहा कि वर्ष 2012 में डायलिसिस किट घोटाले में की जांच के बाद विजीलैंस ब्यूरो ने मैडीकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसीपल डा. एस.एस. शेरगिल, लेखाकार जगमोहन सिंह व एक निजी कंपनी के कर्मचारी समवीज के खिलाफ केस दर्ज किया। नवम्बर-2017 में दर्ज हुए इस केस के तहत आरोपितों पर जालसाजी, भ्रष्टाचार व नकली दस्तावेज तैयार करने के आरोप में में धारा-420, 467, 867, 471, 468, 120-बी व पी.सी. एक्ट लगाया गया था। दूसरी तरफ डायलिसिस किटों की खरीद में शामिल परचेज कमेटी के दो वरिष्ठ प्रोफैसरों के अलावा उन डॉक्टरों को एफ.आई.आर. में शामिल नहीं किया गया, जिन्होंने उक्त किटों को खरीदा और फिर बाद में मरीजों को देने की बजाय बाजार में बेच दिया।
रविंद्र सुल्तानविंड ने कहा कि मैडीकल कॉलेज की परचेज कमेटी ने 1000 डायलिसिस किट्स खरीदी थीं। बैक्सटर इंडिया कंपनी द्वारा खरीदी गई एक किट का मूल्य 1750 रुपए बताया गया। जब उन्होंने डायलिसिस किट के मूल्य की पड़ताल करवाई तो एक किट की कीमत महज 460 रुपए बताई गई। इस तरह कॉलेज प्रशासन ने प्रति किट पर 1290 रुपए के हिसाब से लाखों का गबन किया। इतना ही नहीं परचेज कमेटी ने इस घपले को छुपाने के लिए बिल पर वैट भी दर्ज किया, लेकिन ये अधिकारी भूल गए कि सरकारी अस्पताल के लिए खरीदे गए चिकित्सा उपकरणों पर वैट दर्ज नहीं होता।
बस यहीं से उनकी कारस्तानी पकड़ी गई। मैंने इस मामले में आर.टी.आई. के तहत विभाग से जानकारी मांगी थी और घपले पर आशंका के बाद विभागीय जांच व विजीलैंस जांच की मांग की। विजीलैंस ने 3 लोगों पर केस दर्ज किया, लेकिन इस मामले में मैडीकल कॉलेज के 4 अन्य अधिकारी भी शामिल हैं। मरीजों के लिए भेजी गई इन किट्स में गोरखधंधा तो हुआ ही साथ ही मैडीकल कॉलेज के कुछ डॉक्टरों ने इन्हें मरीजों को देने की बजाय निजी मैडीकल स्टोर्स को बेच दिया, इसलिए इन लोगों के खिलाफ भी एफ.आई.आर. दर्ज होनी चाहिए। इस अवसर पर रजिन्द्र शर्मा, सतपाल सोखी, राजेश विज आदि उपस्थित थे।