Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jan, 2018 09:31 AM
जिले के अति गरीब लोगों के साथ फूड सप्लाई विभाग लगातार अन्याय कर रहा है। हालात ये बन चुके हैं कि फूड सप्लाई विभाग कभी अमृतसर जिले के आटा-दाल लाभपात्री नीला कार्ड धारकों का लाखों क्विंटल गेहूं लैप्स कर दिया जाता है तो कभी करोड़ों रूपए का गेहूं सरैंडर...
अमृतसर(नीरज/ इन्द्रजीत): जिले के अति गरीब लोगों के साथ फूड सप्लाई विभाग लगातार अन्याय कर रहा है। हालात ये बन चुके हैं कि फूड सप्लाई विभाग कभी अमृतसर जिले के आटा-दाल लाभपात्री नीला कार्ड धारकों का लाखों क्विंटल गेहूं लैप्स कर दिया जाता है तो कभी करोड़ों रूपए का गेहूं सरैंडर कर दिया जाता है, लेकिन इस बार तो विभाग की लापरवाही ने गरीबों के साथ घोर अन्याय ही कर डाला है। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस बार फूड सप्लाई विभाग ने पंजाब के सभी प्रमुख जिलों को आटा-दाल योजना के तहत 6 महीने का अरबों रूपए का गेहूं का कोटा तो रिलीज कर दिया है, लेकिन अमृतसर जिले को अभी तक अपना गेहूं का कोटा नहीं मिला है, जबकि मार्च 2018 तक गेहूं को वितरण करने की तय समयसीमा है।
सरकार ने 2 रूपए किलो गेहूं वितरण योजना के तहत अक्तूबर 2017 से लेकर मार्च 2018 तक का गेहूं देना था, जो अधिकारियों की लापरवाही के कारण नहीं मिल रहा है। पता चला है कि फूड सप्लाई विभाग ने हाल ही में जो अप्रैल 2017 से लेकर सितम्बर-2017 तक की 6 महीने के गेहूं का वितरण किया है, उसमें नीला कार्ड धारकों से 2 रूपए किलो के हिसाब से वसूल किए गए सरकारी रूपए जमा नहीं करवाए, जिसके चलते विभाग ने गेहूं का अगला कोटा रिलीज नहीं किया। पता चला है कि इस मामले में कुछ इंस्पैक्टरों ने 2 रूपए किलो वाली गेहूं के रूपए जमा नहीं करवाए। कुछ दिन पहले ही सरकारी रूपए जमा करवाए गए हैं, लेकिन इन हालात में अगले कोटे पर फिलहाल ब्रेक लग गई है, जबकि अन्य जिलों में दिसम्बर 2017 में ही कोटा रिलीज कर दिया गया।
किन-किन जिलों को रिलीज हुआ गेहूं का कोटा
अमृतसर : फूड सप्लाई विभाग के ज्वाइंट डायरैक्टर की तरफ से जारी नोटीफिकेशन के अनुसार नैशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत बङ्क्षठडा जिले के लिए 7301.641 (मीट्रिक टन), फरीदकोट जिले के लिए 10472.30 (मीट्रिक टन), फाजिल्का जिले के लिए 19416.68 (मीट्रिक टन), होशियारपुर जिले के लिए 23223.45 (मीट्रिक टन), जालन्धर जिले के लिए 28395.27 (मीट्रिक टन), लुधियाना जिले के लिए 48092.83 (मीट्रिक टन), रूपनगर जिले के लिए 10713.98 (मीट्रिक टन) और अमृतसर के पड़ोसी जिलों के लिए 22830.99 (मीट्रिक टन) गेहूं आटा-दाल योजना के तहत कोटा रिलीज कर दिया है, लेकिन अमृतसर जिले का नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं है, क्योंकि विभाग की तरफ से दो रूपए किलो गेहूं के इकट्ठे किए गए सरकारी रूपए काफी देरी के बाद जमा करवाए गए, जिसके चलते अगला कोटा रिलीज नहीं किया गया। विभाग की तरफ से जारी नोटीफिकेशन में सभी जिलों के फूड सप्लाई कंट्रोलरों व अन्य अधिकारियों को यह भी आदेश दिए गए हैं कि गेहूं के वितरण पर पूरी सतर्कता बरती जाए और किसी प्रकार की लीकेज या अन्य शिकायत न मिले।
गेहूं की घपलेबाजी में अमृतसर जिले ने तोड़े सभी रिकार्ड
आटा-दाल योजना के तहत गेहूं वितरण के मामले में अमृतसर जिले का रिकार्ड देखा जाए तो पता चलता है इस जिले ने गेहूं की घपलेबाजी में अन्य जिलों के सभी रिकार्ड ही तोड़ दिए हैं। सभी 18 हजार किं्वटल गेहूं खुर्द-बुर्द हो जाता है तो कभी रइया गेहूं घोटाला सामने आ जाता है। रईया गेहूं घोटाले में तो खुद विभाग की ही विजीलैंस शाखा ने 14 इंस्पैक्टरों व 4 ए.एफ.एस.ओ. रैंक के अधिकारियों को सस्पैंड कर रखा है और कुछ अन्य उच्चाधिकारी भी इस घपले की जांच में चार्जशीट किए जा चुके हैं, जिनको विभाग आने वाले दिनों में सस्पैंड भी कर सकता है।
ईया गेहूं घोटाले की बात करें तो पूर्व गठबंधन सरकार के जाते ही जैसे ही सत्ता पलट हुआ और कांग्रेस सरकार आई तो एक बड़े नेता व डिप्टी कमिश्नर अमृतसर की तरफ से फूड सप्लाई विभाग को की गई शिकायत के बाद यह कार्रवाई की गई। इसमें कुछ इंस्पैक्टरों का जिला भी बदल दिया गया और अमृतसर से दूर के जिलों में तबादला कर दिया गया फिलहाल इस प्रकार के बड़े घपलों के सामने आने के बाद अमृतसर जिला पूरे विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है।
थंब मशीनों से मिला करेगा गेहूं
फूड सप्लाई विभाग ने गेहूं की घपलेबाजियों को रोकने के लिए अब थंब मशीन से गेहूं के वितरण का फैसला किया है। पॉयलैट प्रोजैक्ट्स के रूप में कई जिलों में थंब मशीन से गेहूं वितरण पूरी तरह से सफल रहा है। पटियाला सहित कुछ अन्य जिलों में भी इसको लागू किया जा रहा है और पता चला है कि आने वाले दिनों में अमृतसर सहित अन्य जिलों में भी मशीनों के जरिए ही गेहूं का वितरण किया जाएगा, ताकि गरीब का अनाज गरीब को ही मिले। नीला कार्ड धारक का मशीन पर अंगूठा लगने के बाद ही उसको गेहूं मिलेगा और सारी घपलेबाजी खत्म हो जाएगी।
3 लाख के करीब नीला कार्ड धारकों में से हो रही छंटनी
पूर्व सरकार की तरफ से विधान सभा चुनावों के दौरान अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए तूफान की रफ्तार से गरीब लोगों के नीले कार्ड बनाए, यहां तक कि कुछ विधायकों ने तो नए कार्डों पर अपनी फोटो तक चिपकाई, लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद फिर से इन नीले कार्डों की जांच का काम शुरू कर दिया है। पता चला है कि जिला अमृतसर के 3 लाख से ज्यादा नीला कार्ड धारकों में से जाली गरीबों की छंटनी की जा रही है, क्योंकि चुनावों दौरान अमीर लोग भी गरीब बन गए थे, जिनके अब कार्ड काटे जा रहे हैं। हालांकि सरकारी अनाज को खाने वाले व गरीबों का हक छीनने वाले जाली गरीबों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए।