करोड़ों की कैथ लैब मशीन बनी सफेद हाथी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 11:46 AM

white elephant made of cab lab machine of crores

पंजाब सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके मरीजों को सुविधा के लिए गुरु नानक देव अस्पताल में भेजी गई कैथ लैब मशीन सफेद हाथी साबित हो रही है। 7 माह  बीत जाने बाद में जहां उक्त मशीन मरीजों की सेवा के लिए काम शुरू नहीं कर सकी वहीं मरीजों को लाखों रुपए...

अमृतसर (दलजीत) : पंजाब सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके मरीजों को सुविधा के लिए गुरु नानक देव अस्पताल में भेजी गई कैथ लैब मशीन सफेद हाथी साबित हो रही है। 7 माह  बीत जाने बाद में जहां उक्त मशीन मरीजों की सेवा के लिए काम शुरू नहीं कर सकी वहीं मरीजों को लाखों रुपए खर्च करके प्राइवेट अस्पतालों से इलाज करवाना पड़ रहा है। जानकारी अनुसार पंजाब सरकार की तरफ से आज से तकरीबन 7 माह पहले गुरू नानक देव अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए 5 करोड़ रुपए से अधिक की लागत के साथ कैथ लैब मशीन भेजी थी।

मशीन के साथ दिल की अलग-अलग बीमारियों के टैस्ट और इलाज की सुविधा थी परन्तु अफसोस की बात है कि 7 माह बीत जाने के  बाद में भी मरीजों को सरकार द्वारा खर्च किए करोड़ों रुपए भी फायदा नहीं मिला है। मशीन न चलने के कारण मरीजों को अभी भी दिल के अलग अलग रोगों के इलाज के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं जबकि उक्त मशीन के साथ हजारों रुपए का खर्च आना है। मैडीकल कालेज प्रशासन की तरफ से गंभीरता न दिखाने के कारण मरीजों का घान हो रहा है। 

क्या कहते हैं मैडीकल कालेज के प्रिंसीपल
मैडीकल कालेज के प्रिंसीपल डा. सोहन सिंह के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मीटिंग में हैं, बाद में बात करते हैं, काफी समय इंतजार करने के बाद उन के साथ संपर्क नहीं हो सका।

कई बार हुई ट्रेनिंग
मैडीकल कालेज प्रशासन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि कैथ लैब मशीन को चलाने के लिए संबंधित डाक्टरों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग करवाई गई हैं परंतु कालेज प्रशासन की तरफ से किया गया दावा एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि यदि ट्रेनिंग करवाई गई हैं तो मशीन अभी तक चालू क्यों नहीं हुई?

डाक्टर नहीं चाहते मशीन चले
आर.टी.आई. एक्टिविस्ट पं. रवीन्द्र शर्मा ने मैडीकल कालेज के प्रिंसीपल को आज की शिकायत में कहा है कि कुछ डाक्टरों की प्राइवेट अस्पतालों के साथ मिलीभगत है, प्राइवेट अस्पतालों को अस्पताल के कुछ डाक्टर मरीज भेजते हैं और उसके एवज में कमीशन खाते हैं। मशीन यदि चालू हो जाती है तो डाक्टरों की कमीशनखोरी बंद हो जाएगी, इसलिए वह नहीं चाहते कि यह मशीन शुरू हो। शर्मा ने कहा कि मरीजों को मशीन के चलने के साथ काफी लाभ होगा। उन्होंने विभाग के डायरैक्टर और सचिव को भी इस संबंधी आज शिकायत भेजी है।

सरकार के मनसूबों पर अधिकारी फेर रहे हैं पानी
पंजाब सरकार की तरफ से लाख कोशिश करके पर करोड़ों रुपए की मशीनरी मरीजों की सुविधा के लिए खरीदी जाती है परन्तु कई बार आधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार के मनसूबों पर पानी फिर जाता है। गुरू नानक देव अस्पताल में अकेली कैथ लैब मशीन ही नहीं बल्कि ओर भी काफी मशीनरी है जिसकी लागत करोड़ों में है, जो कि मरीजों के भूमिगत कमरा भी काम नहीं आ रही है।

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