Edited By Updated: 04 Nov, 2016 04:45 PM
देश में गेहूं का गंभीर संकट पैदा हो गया है। यदि गेहूं के बफर स्टाक की तुलना गत वर्ष के स्टाक से की जाई तो यह करीब 34 प्रतिशत कम है।
जालंधर (नरेश अरोड़ा): देश में गेहूं का गंभीर संकट पैदा हो गया है। यदि गेहूं के बफर स्टाक की तुलना गत वर्ष के स्टाक से की जाई तो यह करीब 34 प्रतिशत कम है। गत वर्ष अक्तूबर में देश में 324.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं था लेकिन इस वर्ष अक्तूबर में बफर स्टाक का यह आंकड़ा 34 प्रतिशत कम होकर 213.28 लाख मीट्रिक टन रह गया है। स्टाक में कमी का सीधा असर गेहूं की कीमतों पर पड़ रहा है। देश में गेहूं की अगली फसल अप्रैल, 2017 में आएगी लिहाजा नई फसल के बाजार में आने तक गेहूं की कीमतों में कमी के आसार नजर नहीं आ रहे।
खाने वाले बढ़े 17 करोड़, स्टाक वर्ष 2008 के स्तर पर
देश में गेहूं का बफर स्टाक 8 वर्ष के लो लैवल तक पहुंच गया है। वहीं 1 सितम्बर, 2008 को देश में गेहूं का बफर स्टाक 232.59 लाख मीट्रिक टन था जो इस वर्ष 1 सितम्बर को 242.45 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। इस दौरान देश की आबादी करीब 117 करोड़ थी जो अब बढ़ कर 134 करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। देश में खाने वाले 17 करोड़ लोग बढ़े हैं लेकिन गेहूं का बफर स्टाक कम होता जा रहा है।
बाजार खाली, गेहूं सिर्फ एफ.सी.आई. के पास
सामान्य तौर पर जुलाई तक किसानों का गेहूं बाजार में जाता है और एफ.सी.आई. द्वारा ओपन मार्कीट में बेचे जाने वाले गेहूं में कमी का कोई असर नहीं होता लेकिन जुलाई के बाद खरीद का काम पूरा होने के चलते सारा गेहूं एफ.सी.आई. के पास चला जाता है और बाजार एफ.सी.आई. द्वारा नीलाम किए जाने वाले गेहूं के दम पर ही चलता है। यदि एफ.सी.आई. गेहूं की नीलामी के कोटे में कमी करती है तो इससे बाजार प्रभावित होता है। बताया जा रहा है कि पंजाब से बड़ी मात्रा में गेहूं अन्य राज्यों में भेजा जा रहा है। स्पैशल ट्रेन के जरिए भेजे जा रहे इस गेहूं को गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों में वितरित किया जाता है।
11 लाख टन गेहूं हो चुका है इम्पोर्ट
गेहूं की कीमतें बेकाबू होते देख सरकार ने फैस्टिव सीजन में गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटा कर 25 प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत कर दिया था। गेहूं पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी के बाद अब तक लगभग 11 लाख टन गेहूं भारत पहुंच चुका है। दक्षिण भारत की फ्लोर इंडस्ट्री को पहले से ही गेहूं उत्पादन में भारी-भरकम कमी का अंदाजा था लिहाज उन्होंने शुरुआत से ही गेहूं इम्पोर्ट जारी रखा था। इस बीच जब ओपन मार्कीट सेल स्कीम से गेहूं कम मिला तो उत्तर भारतीय फ्लोर मिलों ने भी इंपोर्ट शुरू कर दिया। इसके बाद जब इंपोर्ट ड्यूटी घटी तो सौदे तेज हो गए।
एफ.सी.आई. जब तक ओपन मार्कीट में गेहूं का कोटा नहीं बढ़ाती तब तक दाम कम होने के आसार नहीं हैं। गेहूं सिर्फ एफ.सी.आई. के पास है। बाजार में गेहूं आएगा तो दाम कम होंगे। - राजेंद्र सिंह मिगलानी, ट्रेडर (जालंधर मंडी)
वर्ष |
गेहूं का स्टाक |
2005 |
116 |
2006 |
67 |
2007 |
110.08 |
2008 |
232.59 |
2009 |
300.73 |
2010 |
उपलब्ध नहीं |
2011 |
336.21 |
2012 |
461.60 |
2013 |
383.60 |
2014 |
354.98 |
2015 |
344.74 |
2016 |
242.45 |
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