Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Jul, 2017 11:19 AM
हलका गिद्दड़बाहा के गांव कुराईवाला के निवासी छप्पड़़ों की सही ढंग से सफाई न होने के चलते इन में से उठती बदबू से परेशान हैं। इस संबंधी गांव कुराईवाला के गोरा सिंह, दर्शन सिंह, नछत्तर सिंह, जलंधर सिंह, भलविन्दर सिंह, जैल सिंह, ठाना सिंह ग्रंथी,...
गिद्दड़बाहा (कुलभूषण): हलका गिद्दड़बाहा के गांव कुराईवाला के निवासी छप्पड़़ों की सही ढंग से सफाई न होने के चलते इन में से उठती बदबू से परेशान हैं। इस संबंधी गांव कुराईवाला के गोरा सिंह, दर्शन सिंह, नछत्तर सिंह, जलंधर सिंह, भलविन्दर सिंह, जैल सिंह, ठाना सिंह ग्रंथी, हरगोबिन्द सिंह, सुखदर्शन सिंह, चरना सिंह और सुरजीत कौर आदि ने बताया कि उनके गांव में 2 छप्पड़़ हैं। एक छप्पड़़ पीपल वाली सत्थ के समीप, जबकि दूसरा छप्पड़़ गांव के मध्य है जिसको झिड़ी वाला छप्पड़़ भी कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि उक्त छप्पड़ों की सफाई के लिए ड्रेनेज विभाग ने गत वर्ष सफाई का ठेका दिया था। दोनों छप्पड़ों की सफाई के लिए करीब 72 लाख रुपए मंजूर हुए थे जबकि डी-वॉटरिंग के लिए अलग से करीब साढ़े 4 लाख रुपए मंजूर हुए थे। उन्होंने बताया कि संबंधित विभाग और ठेकेदार ने उक्त छप्पड़ों की केवल 2 दिन ही जे.सी.बी. मशीन से कुछ हिस्सों की सफाई की जबकि दोनों ही छप्पड़़ों की डी-वॉटरिंग नहीं की गई। गांव के दोनों छप्पड़़ों की सफाई न होने के चलते गांव वासी विशेष तौर पर इन छप्पड़ों के आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं।
छप्पड़़ों से हर समय बदबू आती रहती है और लोगों को इनके पास से नाक बंद कर गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि छप्पड़़ों का पानी बेहद गंदा और बदबूदार होने के कारण गांव निवासी इनमें अपने पशुओं को नहलाने के लिए भी नहीं ले जा सकते। गांव वासियों ने मांग की कि उक्त छप्पड़ों की सफाई के काम में हुई मनमानियों की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और इनकी विभाग के उच्चाधिकारियों की उपस्थिति में सफाई करवाई जाए।
दूसरी ओर छप्पड़ों की सफाई संबंधी यदि झिड़ी वाले छप्पड़ के बीच और इसके आसपास उगी काई की बात करें तो जितनी मात्रा में काई उगी हुई है उसे उगने के लिए करीब 2 से अढ़ाई साल का समय लगता है। ऐसे में विभाग की तरफ से करवाई गई छप्पड़ों की सफाई वास्तव में सवालों के घेरे में है।
क्या कहना है सरपंच का
जब इस संबंधी गांव के सरपंच मक्खन सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि छप्पड़ों की सफाई का काम पंचायत से संबंधित नहीं था, बल्कि ड्रेनेज विभाग ने छप्पड़ों की सफाई के समय पंचायत से किसी भी तरह का कोई संपर्क कायम नहीं किया और पंचायत को इस काम संबंधी कोई भी जानकारी नहीं है कि यह काम कितनी राशि में और किस प्रकार पूरा हुआ है।
क्या कहते हैं ड्रेनेज विभाग के एक्सियन
जब इस पूरे मामले संबंधी ड्रेनेज विभाग के एक्सियन अमरजीत गुप्ता से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि गांव कुराईवाला के छप्पड़ों की सफाई का काम उस समय के एस.डी.ओ. सुखजीत सिंह रंधावा द्वारा करवाया गया था। छप्पड़़ों की सफाई का काम लगभग 72 लाख रुपए की लागत से ठेकेदार बिक्रम अरोड़ों को दिया गया था जबकि डी-वॉटरिंग का काम करीब 4 लाख 44 हजार रुपए की लागत से अमरजीत सिंह ठेकेदार से दिया गया था।
उन्होंने बताया कि वह पहले गिद्दड़बाहा में दूसरी डिवीजन में बतौर एस.डी.ओ. तैनात थे और पिछले महीने ही तरक्की के बाद एक्सियन बने हैं और उक्त कार्यों बारे अभी उन्होंने अपने स्तर पर जांच नहीं की है और जांच के बाद इन कार्यों में यदि किसी भी तरह की बेनियमियां पाई गईं तो संबंधितों के विरुद्ध सख्त विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मेल नहीं खाते एस.डी.ओ. और सरपंच के बयान
उक्त सारे मामले संबंधी जहां सरपंच खुद को कोई भी जानकारी ड्रेनेज विभाग की तरफ से न दिया जाना बता रहे हैं, वहीं ही एस.डी.ओ. सुखजीत सिंह अनुसार पंचायत की तरफ से छप्पड़ों की सफाई तसल्लीबख्श ढंग से होने संबंधी लिखकर दिया गया है। सच क्या है? इस बारे तो शायद उच्च स्तरीय जांच के पश्चात ही पता लग सकेगा।
क्या कहते हैं तत्कालीन एस.डी.ओ.
उक्त काम को करवाने वाले एस.डी.ओ. सुखजीत सिंह रंधावा जो इस समय भटिंडा में तैनात हैं, ने मोबाइल पर बात करते हुए बताया कि उक्त काम पूरी तरह नियमों अनुसार हुआ है। पहले कुएं वाले छप्पड़ की सफाई करवाई गई थी जबकि गुरुद्वारा साहिब वाले छप्पड़ में पंचायत की तरफ से मछलियां छोड़ी हुई थीं जिस बारे पंचायत ने मछलियां निकलवाने के बाद उसकी सफाई करने को कहा था। उन्होंने बताया कि पंचायत की ओर से मछलियां निकलवाने के बाद उक्त छप्पड़ की भी पूरी तरह सफाई करवा दी गई थी।
उन्होंने कहा कि उक्त काम के संदर्भ में सरपंच मक्खन सिंह द्वारा यह बयान देना सरासर गलत है कि उन्हें काम बाबत जानकारी नहीं थी। काम तसल्लीबख्श ढंग से होने के बारे में पंचायत की तरफ से विभाग को लिखकर भी दिया गया है जिसको वह जरूरत पडऩे पर पेश कर सकते हैं। जहां तक अब छप्पड़ों में से बदबू आने का सवाल है तो इस बारे पंचायत द्वारा पंचायती राज की मोटरों द्वारा पानी निकालना होता है और बारी अनुसार नया पानी डालना होता है जोकि पंचायत की जिम्मेदारी है।