ट्रांसपोर्ट पॉलिसी की उड़ रही हैं धज्जियां, ट्रैफिक पुलिस से नहीं डरते बस चालक!

Edited By Updated: 23 May, 2017 05:29 AM

transport policy is flying the driver is not afraid of traffic police

महानगर जालंधर सहित देहात क्षेत्रों से लेकर पंजाब के प्रत्येक शहर में ट्रांसपोर्ट पॉलिसी की...

जालंधर(पुनीत डोगरा): महानगर जालंधर सहित देहात क्षेत्रों से लेकर पंजाब के प्रत्येक शहर में ट्रांसपोर्ट पॉलिसी की धज्जियां उड़ रही हैं लेकिन प्रशासन का इस प्रति ध्यान नहीं जा रहा जिस कारण कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। ट्रैफिक पुलिस और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनदेखी के चलते पब्लिक को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। 

ट्रांसपोर्ट पॉलिसी के मुताबिक बसें केवल बस अड्डे पर सवारियां चढ़ा व उतार सकती हैं लेकिन शहर में जहां देखो वहां बसें रुकती देखी जा सकती हैं। पी.ए.पी. चौक के पास जालंधर में प्रवेश करने से पहले करीब 10 फुट ऊंचा एक बोर्ड लगा है जिस पर साफ शब्दों में लिखा है ‘नो स्टॉपिंग, नो स्टैंङ्क्षडग’। इसके बावजूद यहां पर बसों में सवारियां बिठाई भी जाती हैं और उतारी भी जाती हैं। हालांकि इस स्थान के बिल्कुल सामने ट्रैफिक पुलिस का पक्का नाका है जहां पर दिन के समय हर वक्त ट्रैफिक पुलिस मौजूद रहती है क्योंकि यह अमृतसर-दिल्ली हाईवे होने के साथ-साथ जालंधर में प्रवेश का मुख्य मार्ग है। 

पब्लिक को ट्रैफिक संबंधी होने वाली परेशानियों को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं है। पंजाब केसरी टीम ने आज शहर में विभिन्न स्थानों का निरीक्षण किया तो यही देखने में आया कि बस चालकों को ट्रैफिक पुलिस सहित प्रशासन का कोई डर नहीं है जिसके चलते वह जहां चाहे वहां पर बसें रोककर सवारियां उठाते हैं और जहां दिल किया बसें रोक देते हैं। जल्दी-जल्दी में चलती बस में सवारियों को बिठाया व उतारा जाता है जिसके चलते कई बार हादसे भी हुए हैं। पी.ए.पी. चौक, रामा मंडी, पठानकोट चौक आदि इलाकों में कई बार बीच सड़क पर बस के रुकने कारण पीछे से आ रहे वाहन आपस में टकरा चुके हैं जिसके चलते कई बार झगड़े तक हो चुके हैं। हैरानी की बात तो यह है कि जब प्रशासन ही नियमों को तोडऩे वालों पर अंकुश नहीं लगा रहा तो जनता को किससे उम्मीद रहेगी? 

सवारियों के कारण भी गहरा रही ट्रैफिक समस्या
बसों के साथ-साथ सवारियों के कारण भी ट्रैफिक समस्या गहरा रही है। सवारियां वाहनों की परवाह किए बिना सड़क पर से इस तरह गुजरती हैं जैसे पार्क में सैर कर रही हों। सवारियां इतना भी इंतजार नहीं करतीं कि रैड लाइट होने पर संबंधित लाइन को क्रॉस करें। अपनी अमूल्य जिंदगी की कीमत जानते हुए जनता को भी अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए नियमों के विपरीत नहीं जाना चाहिए क्योंकि एक स्वच्छ व जागरूक समाज की नींव तभी रखी जा सकेगी जब हम स्वयं सिस्टम को ठीक करने में योगदान डालेंगे। 

नियमों के विपरीत बसों के ऊपर बिठाते हैं सवारियां
बस चालक अपने लाभ के लिए बसों के ऊपर सवारियां बिठाने से भी गुरेज नहीं करते जोकि सरासर नियमों के विपरीत है। देखने में आता है कि जिन सवारियों के पास सामान अधिक होता है उन्हें उनके सामान के साथ बस के ऊपर बिठा दिया जाता है और सवारी से टिकट लेने के साथ-साथ उसके सामान का शुल्क भी लिया जाता है। मात्र कुछ पैसे देकर कई लोग बिना बिल के सामान को एक शहर से दूसरे शहर ले जाते हैं जिससे सरकार को टैक्स के रूप में मिलने वाले राजस्व की भी चपत लगती है।

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