परिवहन मंत्री के शहर का बस अड्डा बना खंडहर

Edited By Updated: 06 Dec, 2016 11:29 AM

transport minister bus stand

बस अड्डे जैसे सार्वजनिक स्थल किसी भी शहर या कस्बे की पहचान होते हैं। बाहर से आने वाले लोग इन सार्वजनिक  स्थलों

शाहकोट (मरवाहा, अरुण, त्रेहन): बस अड्डे जैसे सार्वजनिक स्थल किसी भी शहर या कस्बे की पहचान होते हैं। बाहर से आने वाले लोग इन सार्वजनिक  स्थलों को देखकर ही उस शहर के विकास का अंदाजा लगा लेते हैं। अगर ऐसा सार्वजनिक स्थल उस क्षेत्र के विधायक तथा उस विभाग के मंत्री के हलके का हो तो लोगों को यह अपेक्षा होती है कि यह इमारत बहुत बढिय़ा होगी, लेकिन शाहकोट आने वाले लोगों को पंजाब के परिवहन मंत्री अजीत सिंह कोहाड़ के शहर के खंडहर बने बस स्टैंड को देखकर निराशा ही होती है। पंजाब सरकार के विकास तथा पंजाब को कैलीफोर्निया बनाने के सभी दावे खोखले लगते हैं। 

 

मालवा से दोआबा क्षेत्र में दाखिल होने पर यहां से गुजरने वाले लोगों विशेषकर बसों में सवार लोगों के दिल में यह विचार आता है कि परिवहन मंत्री का क्षेत्र है यहां का बस अड्डा देखने वाला होगा परंतु शहर में दाखिल होने के बाद वे बस अड्डे को ही तलाशते रहते हैं, न मिलने पर किसी से पूछने पर पता लगता है कि अड्डा तो पीछे निकल गया खंडहर-सा। यह जानकर लोगों को भारी निराशा का सामना करना पड़ता है। अगर किसी के यहां कोई रिश्तेदार आना हो तो वह उसे थाने के बाहर बस स्टॉप से ही उतार कर घर ले जाते हैं। अगर कोई रिश्तेदार बस स्टैंड के बाहर उतर जाए व अड्डे की खस्ता हालत देखकर बात करता है तो स्थानीय लोगों को बहुत शर्म महसूस होती है। अनेक लोग, जोकि बाहर से पहली बार यहां आते हैं बस स्टैंड पर उतरने के चक्कर में मलसियां या सतलुज दरिया के पार कमालके पहुंच जाते हैं, क्योंकि कोई भी बस अड्डे के अंदर नहीं जाती। 

 

बस अड्डे के अंदर बनी शैड तथा कमरे टूट चुके हैं। यात्रियों के बैठने के लिए कोई प्रबंध नहीं। शौचालय भी बंद हो चुके हैं। अड्डे के अंदर लोगों ने वाहन खड़े कर,अपना सामान रखकर तथा कूड़ा फैंक कर अवैध कब्जे कर रखे हैं। अड्डे के अंदर नशेड़ी लोग घूमते रहते हैं, जोकि इस जगह को नशा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। अड्डे के अंदर बसें न जाने के कारण यात्रियों को ठंड, तेज धूप या बारिश के मौसम में अड्डे के बाहर राष्ट्रीय राजमार्ग पर खड़े होकर बसों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। बसों के बाहर खड़े होने के कारण मुख्य सड़क पर अक्सर जाम लगा रहता है, जिस कारण प्रतिदिन सड़क हादसे भी होते रहते हैं। स्थानीय प्रशासन ने अड्डे में आने-जाने वाली बसों की पर्ची काटने का ठेका करीब 6 लाख रुपए में दे रखा है। सुविधाएं तो दूर की बात है सरकार या प्रशासन ने बस अड्डे में यात्रियों को बैठने के लिए 6 हजार रुपए के बैंच तक भी नहीं लगवाए। ठेकेदार के कर्मी बसों की पर्ची बाहर से ही काट देते हैं। क्षेत्र निवासियों ने पंजाब सरकार से मांग की है कि सभी बसों का अड्डे के अंदर आना तथा रुकना अनिवार्य बनाया जाए। 

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