Edited By Updated: 27 Feb, 2017 11:48 AM
पंजाब के अलग-अलग जिलों में स्कूल वैन्स की दुर्घटनाओं में बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद जहां माननीय हाईकोर्ट व कमीशन फॉर प्रोटैक्शन ऑफ चाइल्ड सेफ्टी ने स्कूल बसों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने, स्पीड गवर्नर लगाने व हाईड्रोलिक दरवाजे लगाने के...
अमृतसर (नीरज): पंजाब के अलग-अलग जिलों में स्कूल वैन्स की दुर्घटनाओं में बच्चों की मौत के मामले सामने आने के बाद जहां माननीय हाईकोर्ट व कमीशन फॉर प्रोटैक्शन ऑफ चाइल्ड सेफ्टी ने स्कूल बसों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने, स्पीड गवर्नर लगाने व हाईड्रोलिक दरवाजे लगाने के आदेश दिए हैं, वहीं अब स्कूल बसों में महिला अटैंडैंट रखना भी जरूरी कर दिया है, जिसके चलते जिला परिवहन विभाग भी हरकत में आ गया है। इतना ही नहीं सी.बी.एस.ई. की तरफ से यू.पी. में हुई स्कूल वैन दुर्घटना के बाद स्कूल बसों व वैन्स में उक्त सभी औपचारिकताएं पूरी करने के आदेश दे दिए गए हैं, ताकि बच्चों की सुरक्षा में किसी प्रकार की कोई कमी न रह जाए। चाइल्ड कमीशन की तरफ से तो राज्य के सभी परिवहन विभागों से अप्रैल 2017 तक रिपोर्ट भी मांगी गई है, जिस पर परिवहन विभाग कार्रवाई कर रहा है।
माननीय हाईकोर्ट की तरफ से भी महानगर के दो बड़े स्कूलों को सेफ स्कूल वैन पॉलिसी का उल्लंघन करने के मामले में नोटिस जारी किया जा चुका है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट ने डिप्टी कमिश्रर अमृतसर के जरिए कार्रवाई करने के आदेश जारी किए हुए हैं, जिसके बाद प्रशासन की तरफ से भी न सिर्फ स्कूलों को शो कॉज नोटिस जारी किए गए बल्कि समूह स्कूल मुखियों व प्रबंधकों के साथ बैठक भी की गई, लेकिन मौजूदा हालात में चुनावी सीजन होने के चलते सभी सरकारी काम ठप्प पड़े हुए हैं और सारे अभियान भी ठंडे बस्ते में चल रहे हैं। पिछले वर्षों के दौरान सेफ स्कूल वैन अभियान के तहत प्रशासन ने सभी स्कूल प्रबंधकों कोअपने-अपने स्कूलों में चलने वाली वैनों व अन्य वाहनों का ब्यौरा देने के लिए निर्देश जारी किए। यह अवधि समाप्त होने के बाद प्रशासन की तरफ से सेफ स्कूल वैन पॉलिसी का उल्लंघन करने वाली स्कूल वैनों को बंद करने की कार्रवाई की भी गई। एस.डी.एम., डी.टी.ओ. व जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से संयुक्त रूप से जिले के स्कूल मुखियों व प्रबंधकों के साथ बैठक हुई।
स्कूल वैन चालकों को पूरा मौका दे चुका है प्रशासन
स्कूल वैनों के मामले में बताते चलें कि शुरूआत में जब परिवहन विभाग की तरफ से स्कूल वैनों को बंद किया जा रहा था तो स्कूल वैन यूनियन ने प्रशासन से वैनों को ठीक करने के लिए समय मांगा था उस समय के अनुसार दीवाली-2015 तक की रियायत दे दी गई थी और उसके बाद भी रियायत दी गई है लेकिन अब परिवहन विभाग ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वाली स्कूल वैनों को नहीं बख्शेगा और सख्त से सख्त कार्रवाई करेगा, क्योंकि हाईकोर्ट, चाइल्ड कमीशन के साथ-साथ अब सी.बी.एस.ई. भी स्कूलों से जवाब-तलब कर सकती है। इतना ही नहीं हाईकोर्ट उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई करेगा जो अदालती आदेशों का पालन नहीं करेंगे। इसमें डिप्टी कमिश्रर से लेकर एस.डी.एम. व डी.टी.ओ. के अलावा अलग-अलग प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं।
स्कूलों को तीन कैटेगरी में देना होता है ब्यौरा
सेफ स्कूल वैन अभियान के तहत स्कूलों की तरफ से दिए गए ब्यौरे के आधार पर ही प्रशासन की तरफ से स्कूल वैनों की चैकिंग की जाती है और उन पर कार्रवाई की जाती है। स्कूलों को तीन कैटेगरी में अपना-अपना ब्यौरा देना होता है। पहली कैटेगरी में लिखना होता है कि संबंधित स्कूल वैन का मालिक स्कूल है और संबंधित वैन स्कूल की तरफ से खरीदी गई है। दूसरी कैटेगरी में लिखकर देना होता है कि स्कूल ने कांट्रैक्ट पर स्कूल वैन रखी हुई हैं, यह दूसरा प्रोफॉर्मा इसलिए बनाया गया है, क्योंकि आमतौर पर जब परिवहन विभाग किसी स्कूल वैन को पकड़ता है तो स्कूल प्रबंधक यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि यह वैन उनकी नहीं है लेकिन एक बार दूसरी कैटेगरी में लिखकर देने के बाद स्कूल प्रबंधक अपना पल्ला नहीं झाड़ पाएंगे।
इस ब्यौरे में तीसरी कैटेगरी में यह लिखकर देना होता है कि बच्चों के अभिभावकों ने अपनी जिम्मेदारी पर स्कूल वैन लगा रखी है। इस कैटेगरी में सारी जिम्मेदारी बच्चों के अभिभावकों पर आ जाएगी। सी.बी.एस.ई. की तरफ से जारी आदेशों में स्कूल वैन्स संबंधी स्कूलों के मुखी ही हर प्रकार के हालात के लिए जिम्मेदार होंगे। पिछले वर्ष सेफ स्कूल वैन अभियान के तहत सभी स्कूलों को 10 दिन के भीतर यह ब्यौरा जमा करवाने के लिए कहा गया था, लेकिन फिलहाल प्रशासन की तरफ से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
हाईकोर्ट की टीम भी कर चुकी है छापेमारी
सेफ स्कूल वैन के मामले में माननीय हाईकोर्ट की तरफ से बहुत गंभीरता दिखाई गई है और हाईकोर्ट द्वारा गठित टीम ने सिर्फ अमृतसर ही नहीं, बल्कि पंजाब के अन्य जिलों में भी स्कूल वैनों की जांच करने के लिए छापेमारी की थी। हाईकोर्ट की टीम में बाकायदा आई.ए.एस. अधिकारियों को शामिल किया गया और इस टीम ने अमृतसर में छापेमारी करने के बाद स्कूल वैन चालकों को 15 दिन का समय दिया था, ताकि वे अदालत के आदेशानुसार अपनी वैनों को दुरुस्त कर सकें, लेकिन मौजूदा हालात में जिस प्रकार की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए स्कूल वैन्स मालिकों को कहा जा रहा है, उसको पूरा कर पाना हर स्कूल वैन मालिक के लिए संभव नहीं है।