Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 03:19 PM
जिला श्री मुक्तसर साहिब के किसान धान की पराली को आग न लगाकर बल्कि जमीन की जोताई कराकर इससे निपट सकते हैं और साथ ही इससे खाद की कमी भी वे पूरी कर सकते हैं। यह कहना है किसान तिरलोचन सिंह का।
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा,खुराना,दर्दी): जिला श्री मुक्तसर साहिब के किसान धान की पराली को आग न लगाकर बल्कि जमीन की जोताई कराकर इससे निपट सकते हैं और साथ ही इससे खाद की कमी भी वे पूरी कर सकते हैं। यह कहना है किसान तिरलोचन सिंह का।
संवाददाता से बातचीत करते हुए तिरलोचन सिंह पुत्र कृष्ण सिंह गांव चक दूहेवाला तहसील जिला श्री मुक्तसर साहिब ने कहा कि फसलीय विभिन्नता के तहत व वातावरण संभाल के लिए उसने एक ओर जहां 15 एकड़ रकबे में पापुलर लगाए हुए हैं वहीं वह धान की पराली को भी नहीं जलाता है। तिरलोचन सिंह का कहना है कि वह जिस रकबे में धान/बासमती की बिजाई करता है उसमें उसने गत 8 वर्षों से कभी भी धान की पराली को आग नहीं लगाई। अब तो उसने 3 बेलर रैक मशीनें व 7 ट्रैक्टर भी बना लिए हैं।
इससे वह अपने खेतों की पराली की गांठें बनाने के अतिरिक्त और किसानों के खेतों की पराली की भी गांठें बना रहा है। वह बेलर मशीनों से धान की पराली की गांठें बनाकर गत कई वर्षों से मालवा पॉवर प्लांट गांव गुलाबेवाला को सप्लाई कर रहा है, जिससे उसे 1000 से 1500 रुपए प्रति एकड़ फायदा होता है। तिरलोचन सिंह कहता है कि वह गत काफी समय से खेतीबाड़ी विभाग से तालमेल करके खेती करता आ रहा है। उसने बताया कि खेतीबाड़ी विभाग द्वारा उसे गत समय के दौरान इन बेलर मशीनों पर सबसिडी भी दी गई है।
इसके अतिरिक्त वह हैप्पी सीडर, जीरो टिलज ड्रिल से जमीन को बिना जोताई किए गेहूं की बिजाई करता है, जिससे उसे तकरीबन 1500 रुपए प्रति एकड़ का फायदा होता है। उसने किसान भाइयों से अपील करते हुए कहा कि वह आगे से धान की पराली को आग न लगाएं, बल्कि इसे जमीन में जोत कर खाद की कमी को पूरा कर सकते हैं। इससे जमीन की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। इस संबंधी जिला खेतीबाड़ी अधिकारी बलजिंद्र सिंह ने किसानों को अपील की है कि वे खेतीबाड़ी विभाग की सिफारिशों के अनुसार पराली को बिना जलाए इसका प्रबंधन करें।