Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 03:17 PM
पंजाब में सत्ता पलटने के करीब एक साल बाद भी सूबे में ‘बादलों’ भी पूरी चढ़ाई ने कप्तानी मंत्रालय में हलचल पैदा की हुई है।
चंडीगढ़ः पंजाब में सत्ता परिवर्तन के करीब एक साल बाद भी सूबे में ‘बादलों’ की चढ़त ने कप्तानी मंत्रिमंडल में हलचल पैदा कर दी है। इस का प्रभाव गत दिनों मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की मीटिंग दौरान देखने को मिला। भरोसेयोग सूत्रों का बताना है कि तीन सीनियर मंत्रियों नवजोत सिंह सिद्धू, मनप्रीत सिंह बादल और तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने मुख्यमंत्री को कहा है कि कांग्रेस सरकार के आने के बाद बादल परिवार के व्यापार में ही विस्तार नहीं हुआ बल्कि सिविल और पुलिस प्रशासन पर भी अकालियों की पकड़ मजबूत हुई है। जिसका खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव दौरान भुगतना पड़ सकता है।
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने बादलों की चढ़ाई बारे बात बसों के मामले से शुरू की और वित्त मंत्री ने यहां तक कह दिया कि यदि यही हाल रहा तो आने वाले लोकसभा चुनाव दौरान केवल लंबी विधानसभा हलके से ही अकाली दल के उम्मीदवार की लीड 70 हजार वोटों तक हो सकती है। पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्दर सिंह बाजवा ने भी वित्त मंत्री की हां में हां मिलाई और निर्मल सिंह काहलों की चढ़ाई का मामला मंत्रालय के सामने रखा।
सूत्रों का बताना है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने कैबिनेट एजैंडा खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री से खास बात करने की इजाजत मांगी, जिसे कैप्टन ने मंजूरी दे दी। इसके बाद श्री सिद्धू ने कहा कि जिस तरह लुधियाना में लोग इंसाफ पार्टी के विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने बादलों की बसों का बोलबाला होने पर सरकारी कंट्रोल वाली बसें किनारे करने का मामला सोशल मीडिया के द्वारा मशहूर किया। उसने सरकार के सम्मान को चोट मारी । श्री सिद्धू ने कहा कि ट्रांसपोर्ट के मामले पर लोगों के साथ जो वायदे किए थे वह वफा नहीं हो सके। सिद्धू के बाद मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि सभी क्षेत्रों में बादलों की बल्ले-बल्ले है। उन्होंने कहा कि बादल गांव में मुक्तसर के डिप्टी कमिश्नर और एसएसपी दोनों बादलों के सत्ता में होने पर वाला ही प्रभाव मानते हैं।