Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Aug, 2017 10:20 AM
मंगलवार को विभिन्न बैंक यूनियन्स द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर की गई सरकारी बैंकों की हड़ताल ने......
कपूरथला (भूषण, मल्होत्रा): मंगलवार को विभिन्न बैंक यूनियन्स द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर की गई सरकारी बैंकों की हड़ताल ने जहां कारोबार जगत पर भारी असर डाला। वहीं इस एक दिन की हड़ताल से ही कपूरथला शहर के सरकारी बैंकों में करीब 40 से 50 करोड़ रुपए की ट्रांजैक्शन रुकने से व्यापारियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जिस कारण ज्यादातर बैंक पूरी तरह से सुनसान नजर आए, जिसका ज्यादा असर बैंकों के मुख्य केन्द्र माल रोड में देखने को मिला।
नहीं हो सके करोड़ों रुपए के चैक व ड्राफ्ट क्लीयर
मंगलवार को हुई हड़ताल इस कदर सफल साबित हुई कि किसी भी सरकारी बैंक के न खुलने के कारण इन बैंकों में ट्रांजैक्शन के लिए आए करोड़ों रुपए के चैक व ड्राफ्ट क्लीयर नहीं हो सके, जिसका प्रभाव उद्योग व कारोबार जगत पर देखने को मिला। इस दौरान सदा ग्राहकों से भरे रहने वाले सभी बैंक परिसर पूरी तरह से बंद नजर आए।
शहर में बंद रहे सभी सरकारी बैंक
भूषण के अनुसार सरकारी बैंकों की राष्ट्रीय स्तर पर की गई हड़ताल के दौरान समूह बैंक कर्मचारियों ने माल रोड में भारतीय स्टेट बैंक के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया। धरना-प्रदर्शन को यूनियन के सचिव राजन बाबू, प्रधान जी.एस. टोहरा, वरिष्ठ उप-प्रधान अश्विनी भल्ला, शाम सुंदर गुप्ता व आर.के. कौशल ने भी सम्बोधित किया।
अपने सम्बोधन में विभिन्न वक्ताओं ने सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों का निजीकरण न करने, विलय तथा बैंकों के एकीकरण की योजना बंद करने, कार्पोरेट के एन.पी.ए. को खारिज न करने, जानबूझ कर बैंक ऋणों का भुगतान न करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करने, एन.पी.ए. वसूली पर संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करने, अशोध ऋणों के लिए शीर्ष प्रबंधन की जिम्मेदारी तय करने, प्रस्तावित एफ.आर.डी.आई. बिल को हटाना, बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करना, बैंक ग्राहकों पर कार्पोरेट एन.पी.ए. का बोझ न डालना व जी.एस.टी. के नाम पर सेवा शुल्क न बढ़ाने की मांग की।
एन.आर.आइज सहित छात्रों को आई भारी दिक्कत
शहर के सभी सरकारी बैंक बंद रहने के कारण एन. आर.आइज के गढ़ कपूरथला शहर में जहां विदेशों से आए आप्रवासी भारतीयों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। वहीं पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे उन विद्याॢथयों को भारी तंगी का सामना करना पड़ा, जिन्होंने अपने बैंक खातों की मदद से विदेशी करंसी की खरीदारी करनी थी।