Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jun, 2017 10:20 AM
महाराज रणजीत सिंह की बरसी मनाने जा रहे 300 सिख श्रद्धालुअों के जत्थे को अाज फिर अटारी पर रोक दिया गया। उन्हें कहा गया कि वहां पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध न होने के नाते उन्हें वहां नहीं जाने दिया जा रहा ।
अमृतसर(पुरी):: भारत सरकार द्वारा अटारी बार्डर पर आज भी वाघा बार्डर से आने वाली स्पैशल ट्रेन में जत्थे को चढऩे की इजाजत नहीं दी गई। यह जत्था महाराजा रणजीत सिंह की 29 जून को 178वीं बरसी मनाने के लिए सुबह 8 बजे ही अटारी रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया था, जिसमें 240 के करीब यात्री थे।
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने पहले ही सुरक्षा के मुद्दे पर केंद्र सरकार को जिम्मेदारी उठाने की शर्त पर वीजे अप्लाई नहीं किए थे। पाकिस्तान सरकार द्वारा आज भी सुरक्षा और अन्य प्रबंधों का हवाला देकर कहा गया है कि भारत सरकार यात्रियों को बिना किसी डर के पाकिस्तान भेजे। वाघा बार्डर पर ओकाफ बोर्ड के चेयरमैन सदीक उल फारूक, एडीशनल चेयरमैन फराज अब्बास, इमरान गौंदल, पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान तारा सिंह, पूर्व प्रधान बिशन सिंह, साहिब सिंह पेशावर वाले आदि जत्थों के स्वागत के लिए सुबह से ही इंतजार में थे। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के मैंबर गोपाल सिंह चावला ने एक वीडियो जारी करके कहा है कि भारत जानबूझ कर सिख श्रद्धालुओं को नहीं भेज रहा।
ननकाना साहिब सिख यात्री जत्थों के प्रधान सर्वन सिंह गिल ने कहा है कि दोनों सरकारों की आपसी राजनीतिक रंजिश के कारण श्रद्धालुओं को परेशान किया जा रहा है। शिरोमणि कमेटी द्वारा सिख श्रद्धालुओं को वीजे से इंकार किए जाने के बाद ननकाना साहिब सिख यात्री जत्था और इंटरनैशनल भाई मर्दाना यादगारी सोसायटी द्वारा वीजे अप्लाई किए गए, जिनमें से 240 लोगों को वीजे मिले थे। वीजे मिलने के बावजूद पाकिस्तान न जाने वाले श्रद्धालुओं में रोष है।
इन यात्रियों को 10 दिन का पाकिस्तान का वीजा मिला था। इसके अंतर्गत संगत ने आज रवाना होकर 29 जून को महाराजा रणजीत सिंह की बरसी मनाने उपरांत लाहौर और ननकाना साहिब के अलग-अलग गुरुधामों के दर्शन करने थे और 7 जुलाई को वापस भारत लौटना था।