सिद्धू ने ढोल बजाया, जाखड़ ने डाला भंगड़ा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 11:34 PM

sidhu plays drums jakhar gets bragged

कांग्रेसी उम्मीदवार सुनील जाखड़ की जीत पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ढोल बजाया तथा सुनील जाखड़ ने भंगड़ा डाल पर अपनी जीत की खुशी मनाई। जैसे ही कांग्रेसी उम्मीदवार सुनील जाखड़ की जीत की घोषणा की गई तो कांग्रेसी वर्कर द्वारा लाए गए...

गुरदासपुर(दीपक,विनोद): कांग्रेसी उम्मीदवार सुनील जाखड़ की जीत पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ढोल बजाया तथा सुनील जाखड़ ने भंगड़ा डाल पर अपनी जीत की खुशी मनाई। 

जैसे ही कांग्रेसी उम्मीदवार सुनील जाखड़ की जीत की घोषणा की गई तो कांग्रेसी वर्कर द्वारा लाए गए ढोल को नवजोत सिद्धू ने गले में डाल कर जम कर बजाया। नवजोत सिद्धू के ढोल की ताल पर सुनील जाखड़ ने अपने वर्करों व कुछ विधायकों के साथ भंगड़ा डाला। 

7,587 लोगों ने नोटा बटन का प्रयोग किया 
लोकसभा चुनाव में 7,587 लोगों ने नोटा बटन का प्रयोग करके प्रदर्शित किया कि उन्हें किसी भी पार्टी का उम्मीदवार स्वीकार्य नहीं है और वे किसी को वोट डालना पसंद नहीं करते। 

कांग्रेस की जीत के मुख्य कारण  
-कांग्रेस ने अपना चुनाव प्रचार बहुत ही योजनावद्ध ढंग से चलाया।
-भाजपा ने चुनाव प्रचार में हर वह ढंग अपनाया जो चुनाव जीतने के लिए जरूरी होता है।
-कांग्रेस ने अपने तरकश से ऐसे तीर छोड़े जिसका अकाली व भाजपा नेता जवाब देने में ही व्यस्त रहे।
-कैप्टन द्वारा विधायकों को चेतावनी दी गई थी कि जिस हलके से कांग्रेस हारी, उस विधायक का आगामी चुनाव में टिकट कटेगा।
-विधायकों ने यह चुनाव विधानसभा चुनाव की तरह लड़ा तथा अपने-अपने हलकों में केन्द्रित रहे। 

भाजपा की हार के मुख्य कारण 
-भाजपा अपना चुनाव प्रचार अभियान सही ढंग से नहीं चला पाई।
-भाजपा की केन्द्रीय लीडरशिप ने अपने आपको चुनाव से दूर रखा तथा अकाली दल के नेताओं के दम पर चुनाव लड़ा।
-भाजपा अपने वर्करों तक पहुंच ही नहीं सकी।
-भाजपा गुटबंदी का शिकार रही तथा काम करने वाला वर्कर घर में बैठा रहा।
-भाजपा से संबंधित अधिकतर परिवार वोट डालने ही नहीं गए। 
-सुच्चा सिंह लंगाह की दुष्कर्म सी.डी. तथा स्वर्ण सलारिया की आपत्तिजनक फोटो भी भाजपा की हार का कारण बनी। 

आम आदमी पार्टी की शर्मनाक हार का कारण लोग क्या बताते हैं
आम आदमी पार्टी ने इस लोकसभा चुनाव में बहुत ही बढिय़ा उम्मीदवार सेवा-मुक्त मेजर जनरल सुरेश खजूरिया को चुनाव मैदान में उतारा था। इस लोकसभा हलके में लगभग 1 लाख 50 हजार पूर्व सैनिक रहते हैं। मेजर जनरल खजूरिया की अपनी छवि भी बेहतर मानी जाती है, परंतु इस चुनाव में आम आदमी पार्टी का कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार के लिए नहीं आया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस चुनाव में अपने उम्मीदवार के लिए कोई अपील तक नहीं की। केवल सुखपाल खैहरा तथा भगवंत मान के दम पर चुनाव लड़ा गया। लोगों ने आम आदमी पार्टी को अब पूरी तरह से इस हलके में नकार दिया है। 

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