Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 02:14 PM
बड़ी पुरानी कहावत है कि ‘चोर के पैर नहीं होते’। देर से ही सही मगर दोषी व्यक्ति फंसता अवश्य है। इसका जीता-जागता उदाहरण तब देखने को मिला जब पिछले कई सालों से पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों के नाम पर आर.टी.ए. दफ्तर (पूर्व डी.टी.ओ. कार्यालय) में की जा...
जालंधर(अमित): बड़ी पुरानी कहावत है कि ‘चोर के पैर नहीं होते’। देर से ही सही मगर दोषी व्यक्ति फंसता अवश्य है। इसका जीता-जागता उदाहरण तब देखने को मिला जब पिछले कई सालों से पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों के नाम पर आर.टी.ए. दफ्तर (पूर्व डी.टी.ओ. कार्यालय) में की जा रही अवैध वसूली का पता कुछ समय पहले ही तैनात हुए उच्चाधिकारी को लग गया। अपने सख्त स्वभाव और काम करने के अलग तरीके के लिए जाने जाते पुलिस अधिकारी को मामले का पता लगने की देर थी कि उन्होंने तुरंत नीचे से लेकर ऊपर तक सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सबसे पहले वह अपने विभाग के उन कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लेंगे जो इस मामले में संलिप्त पाए जाएंगे। इसके बाद परिवहन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी जो बिना सोचे-समझे अपनी काली करतूतों को छुपाने के लिए रिश्वत देने जैसे गैर-कानूनी काम कर रहे हैं।
कर्मचारियों के पास काम कर रहे निजी कारिंदे भी निशाने पर
पुलिस के इस विभाग ने परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है और कर्मचारियों के पास गैर-कानूनी रूप से काम करने वाले निजी कारिंदे भी विभाग के निशाने पर हैं। इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, कि आने वाले कुछ दिनों में परिवहन विभाग में कई बड़े धमाके एक साथ सुनाई दे सकते हैं।
सीनियर अधिकारी ने परिवहन विभाग में पूरी फील्डिंग सैट करके रखी
उच्चाधिकारी के आदेश का असर इस बात से देखने को मिला कि पिछले कई दिनों से उक्त विभाग का कोई भी कर्मचारी परिवहन विभाग में पैसों की वसूली करने गया ही नहीं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने परिवहन विभाग में पूरी फील्डिंग सैट कर रखी है। जैसे ही कोई भी कर्मचारी रिश्वत देते या लेते हुए पकड़ में आएगा, तुरंत उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कई साल से हर महीने लाखों रुपए की रिश्वत का हो रहा था लेन-देन
परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो पुलिस विभाग से 2-3 कर्मचारी जो कई सालों से एक ही सीट पर तैनात थे, वे अपने उच्चाधिकारियों के नाम का अनुचित इस्तेमाल कर कर्मचारियों को डराते थे और कहते थे कि पैसे देने के बाद उनकी तरफ कोई देखेगा भी नहीं। उसके बाद हर कर्मचारी 10 हजार रुपए प्रतिमाह रिश्वत दे रहा था। इस प्रकार परिवहन विभाग से हर महीने लाखों रुपए की रिश्वत का लेन-देन होता था।