पंजाब गहरे वित्तीय संकट की ओर, कर्ज 2.11 लाख करोड़ पारःबादल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Mar, 2018 03:48 PM

punjab towards deep financial crisis 2 11 lakh crore transit

पंजाब में वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य पर कर्ज का बोझ 2,11,523 करोड़ तक पहुंच जाने के अनुमान के साथ ही गम्भीर आर्थिक हालात से झूझ रही राज्य सरकार ने आयकर अदा करने वाले पेशेवरों, व्यापारियों और सेवाओं पर 200 रुपए प्रतिमाह ‘विकास कर’ लगाने का बजट में...

चंडीगढ़ (वार्ता) : पंजाब में वर्ष 2018-19 के दौरान राज्य पर कर्ज का बोझ 2,11,523 करोड़ तक पहुंच जाने के अनुमान के साथ ही गम्भीर आर्थिक हालात से झूझ रही राज्य सरकार ने आयकर अदा करने वाले पेशेवरों, व्यापारियों और सेवाओं पर 200 रुपए प्रतिमाह ‘विकास कर’ लगाने का बजट में प्रस्ताव किया है।  वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने राज्य विधानसभा में  कांग्रेस सरकार के कुल 1,29,698 करोड़ रुपए के आकार का दूसरा बजट पेश करते हुए इसमें अतिरिक्त स्रोतों से 1500 करोड़ रुपए जुटाने के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की तर्ज पर राज्य में पहली बार पेशेवर लोगों, व्यापारियों और सेवा प्रदाताओं पर प्रति माह 200 रुपए ‘विकास कर’लगाने प्रस्ताव किया है जिसके लिए अलग से कानून बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकास कर से सरकार को लगभग 150 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे तथा शेष राशि अन्य स्रोतों से जुटाई जाएगी।   

 

बजट पेश करने के बाद पत्रकारों के सवालों पर श्री बादल ने विकास कर को बेहद मामूली बताया लेकिन यह खुलासा नहीं किया कि इसके दायरे में कौन-कौन से लोग आएंगे। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रस्तावित में कानून में ही विस्तृत जानकारी उपलब्ध होगी।   राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अगले तीन वर्ष इसके लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य के कमजोर बर्गों के उत्थान के लिये एक समर्पित कोष सृजित करने के लिये सामाजिक सुरक्षा कानून लाने पर विचार कर रही है। लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद गैर वित्त पोषित स्रोत में 4175 करोड़ रुपए का अंतर बरकरार रहेगा।  


 
 श्री बादल ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के निर्देशानुसार सभी राज्यों को उनका वित्तीय घाटा उनके सकल राज्य घरेलू उत्पाद(जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत के दायरे में रखना अनिवार्य है  लेकिन पिछली अकाली-भाजपा सरकार जाते जाते 31 दिसम्बर तक राज्य पर 30584.11 करोड़ रुपए के कर्ज का अतिरिक्त बोझ डाल गई जिसकी प्रति वर्ष अदायगी ही 3240 करोड़ रुपए है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन और खर्चों में कटौती की बदौलत सरकार वित्तीय घाटा 2016-17 के 12.18 प्रतिशत के मुकाबले इसे 2017-18 में 4.36 प्रतिशत तक लाने में सफल रहेगी। 

 

वर्ष 2018-19 में इसे 3.81 प्रतिशत तक नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है।  उन्होंने कहा कि सरकार अपनी वित्तीय दूरदर्शिता से ओवर ड्राफ्ट पर रहने के दिनों में कटौती कर रही है। वर्ष 2016-17 के 179 दिनों की तुलना में वर्ष 2017-18 में ओवर ड्राफ्ट 98 दिन तक ही रहा तथा इससे कम से कम पांच करोड़ रुपए ब्याज के रूप में देनदारी कम हुई।   वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में विकास आदि कार्यों के लिए पूंजीगत खर्च 2017-18 के 4389 करोड़ रुपए से बढ़ा कर 2018-19 में 6385 करोड़ रुपए किया गया है। इसी तरह प्रस्तावित वर्ष के दौरान राजस्व प्राप्तियां वर्तमान के 102680 करोड़ रुपए के मुकाबले केंद्रीय और राज्य करों सहित 1,22,923 करोड़ रुपए होने तथा कुल खर्च 1,12,797 करोड़ रुपए बढ़ कर 1,29,698 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।   उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार अपने बेहतर वित्तीय प्रबंधन प्रयासों से 2018-19 में राजस्व घाटा 12539 करोड़ रुपए लाने सफल रहेगी। जो 2017-18 में 14310 करोड़ रुपए तक रहने का अनुमान है। इसी तरह वित्तीय घाटे को भी 20,821 करोड़ रुपए से 19720 करोड़ रुपए तक लाने का लक्ष्य रखा गया है।  
 

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