Edited By Updated: 25 Feb, 2017 08:31 AM
पंजाब में सरकारी व सियासी गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प पड़ी हुई हैं।
जालंधर (धवन): पंजाब में सरकारी व सियासी गतिविधियां पूरी तरह से ठप्प पड़ी हुई हैं। एस.वाई.एल. के मामले में भी सियासी गतिविधियां केवल हरियाणा की ओर से ही शुरू हुई। पंजाब के सियासी दल सक्रियता से इसमें शामिल नहीं हुए। सियासी नेताओं का मानना था कि फिलहाल तो वे जनता के फतवे का इंतजार कर रहे हैं। चुनावों तथा मतगणना के बीच में एक महीने का समय होने के कारण प्रत्येक सियासी दल की नजरें आने वाले संभावित चुनावी नतीजों की तरफ टिकी हुई हैं। सियासी दलों व उनके नेताओं में रोजाना चर्चा का विषय संभावित चुनावी नतीजे ही हैं।
सियासी दलों का कहना था कि जनता का फतवा सामने आने के बाद ही सियासी गतिविधियां शुरू होंगी। चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद सियासी नेताओं के मध्य आरोप/ प्रत्यारोपों का दौर फिर से शुरू होगा। अभी तो वे केवल ‘वेट एंड वॉच’ की स्थिति में हैं। प्रत्येक दल अपने हिसाब से सीटों का अनुमान लगा रहा है। यही हालत चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों की है। उनका ध्यान भी सियासी गतिविधियों की बजाय संभावित चुनावी नतीजों की तरफ है।
यह भी कहा जा रहा है कि प्रशासनिक अधिकारी भी संभावित नतीजों को लेकर परेशान हैं। अलग-अलग अधिकारी विभिन्न तरीके से अनुमान लगाने में लगे हुए हैं। स्पष्ट तौर पर अधिकारी कुछ भी कह नहीं पा रहे हैं। अधिकारियों ने भी सियासी दलों से दूरी बनाकर रखी हुई है। चुनाव से पहले भी अधिकारी इस बार सियासी दलों से दूर रहे तथा अब भी दूर हैं। प्रशासनिक कामकाज भी तेजी नहीं पकड़ रहा है। सरकारी दफ्तर भी सुनसान रहते हैं। कम संख्या में ही लोग सरकारी दफ्तरों में आ रहे हैं। इस समय केवल पुलिस ही व्यस्त है। उसे एस.वाई.एल. के मुद्दे ने व्यस्त कर दिया। अन्यथा पुलिस अधिकारी भी संभावित सीटों का अनुमान लगाने में व्यस्त रहते। अब 11 मार्च को चुनावी नतीजे आने के बाद ही सियासी व सरकारी गतिविधियों में तेजी आ सकेगी, तब तक प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने हिसाब से अनुमान लगाने में ही व्यस्त रहेगा।