Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 04:23 PM
इस बार के पंजाब नगर निगम-2017 के चुनावों के लिए नगर निगम जालंधर और जिले की म्यूनिसिपल कमेटियों भोगपुर व गोराया के साथ-साथ नगर पंचायत शाहकोट और बिलगां में वोटिंग होने जा रही है। इसके अंतर्गत लगभग 6 लाख वोटरों के लिए वोट डालते समय नोटा (इनमें से कोई...
जालंधर (अमित): इस बार के पंजाब नगर निगम-2017 के चुनावों के लिए नगर निगम जालंधर और जिले की म्यूनिसिपल कमेटियों भोगपुर व गोराया के साथ-साथ नगर पंचायत शाहकोट और बिलगां में वोटिंग होने जा रही है। इसके अंतर्गत लगभग 6 लाख वोटरों के लिए वोट डालते समय नोटा (इनमें से कोई नहीं) का विकल्प भी उपलब्ध है, जिसके तहत उनको चुनाव लड़ रहे सारे उम्मीदवारों को रद्द करने का अधिकार मिलेगा। इस संबंधी जानकारी देते हुए जिला चुनाव आफिसर-कम-डी.सी. वरिंदर कुमार शर्मा ने बताया कि इस प्रावधान के तहत अगर वोटर किसी भी चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार को सही नहीं समझते तो वे इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं। नगर निगम चुनावों में यह विकल्प पहली बार मतदाताओं को मिलेगा।
कुछ रोचक तथ्य
भारत नोटा लागू करने वाला या फिर चुनावों के दौरान इस विकल्प को देने वाला 12वां देश है। अन्य देश जहां पर यह विकल्प पहले से ही लागू है उनमें फ्रांस, बैल्जियम, ग्रीस, ब्राजील और बंगलादेश आदि शामिल हैं।
क्या है नोटा?
लोकसभा चुनाव 2014 में इस सुविधा की शुरूआत की गई थी। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए इस बार विधानसभा चुनावों में भी ई.वी.एम. में नोटा का बटन लगाया गया है, जिसके तहत अगर वोटर सभी उम्मीदवारों को रद्द करना चाहेगा तो ई.वी.एम. में दिए गए नोटा (इन में से कोई नहीं) वाले बटन को दबाएगा। माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चुनाव आयोग ने इस तरह का प्रबंध किया है कि वोटर अपने फैसले को गुप्त रखने के अपने अधिकार का उल्लंघन किए बिना अपने वोट डालने के अधिकार का इस्तेमाल कर सके।
गली-मोहल्ले में विकास कार्य न होने को लेकर रोष स्वरूप होगा नोटा का इस्तेमाल
नगर निगम चुनावों के अंदर मुख्य रूप से गली-मोहल्लों के अंदर विकास सबसे अहम मुद्दा होता है और पिछले लंबे समय से शहर के अंदर आम जनता को पेश आ रही मूलभूत सुविधाओं की कमी, सड़कों की बुरी हालत, रुके हुए विकास कार्य, सीवरेज, पीने वाले पानी की समस्या आदि कुछ ऐसे विषय हैं, जिनको लेकर बहुत बड़े वर्ग में राजनीतिक पार्टियों के प्रति गहरा रोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से वह विकास के लिए तरस रहे हैं, मगर उनकी परेशानियों की तरफ किसी भी राजनीतिक दल ने कोई खास ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते नोटा का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके इस्तेमाल से मतदान में बढ़ती है वोटरों की हिस्सेदारी
ई.वी.एम. में नोटा को शामिल करने का उद्देश्य वोट की गुप्तता को बनाए रखना है। 1998 में ई.वी.एम. शुरू होने से पहले वोट न डालने वाले चाहवान खाली मतपत्र मतदान बक्से में डाल देते थे पर ई.वी.एम. के आने पर ऐसे वोटरों की यह सुविधा खत्म हो गई थी और वोटर को भी किसी उम्मीदवार को वोट न डालने के बारे में प्रिजाइडिंग आफिसर को बताना पड़ता था। नोटा से वोटर के नकारात्मक वोट डालने को मान्यता मिलती है चाहे इस अधिकार के इस्तेमाल से चुनावी नतीजों पर कोई असर नहीं होता लेकिन इससे मतदान में वोटरों की हिस्सेदारी बढ़ती है। इसके साथ ही राजनीतिक पार्टियों पर भी दबाव बनता है कि वे बढिय़ा एवं साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवार ही खड़े करें जो कि दागी न हों। इससे भ्रमित वोटरों को भी आवाज उठाने का अवसर मिलता है और इससे आने वाले समय में लोकतंत्र की मजबूती पर असर पड़ेगा।
मतदान पत्र में कहां दिया जाएगा नोटा का विकल्प
सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार नोटा का विकल्प मतदान-पत्र पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के सबसे नीचे एक अलग पैनल पर पिं्रट होगा। इस मतदान पत्र को ई.वी.एम. के बैलेट यूनिट के साथ जोड़ा जाएगा और इसके शब्द उसी भाषा में लिखे जाएंगे जिसका इस्तेमाल उम्मीदवारों के नाम के लिए किया जाएगा। इस पैनल का आकार भी उम्मीदवारों के नाम वाले आकार जैसा होगा। चुनाव आयोग ने गिनती के समय इस्तेमाल में आने वाले फार्म 17सी के दूसरे हिस्से में जरूरी तबदीलियां की हैं और नतीजों की शीट फार्म 20 में अलग तौर पर दर्ज किया जाएगा कि कितने व्यक्तियों ने मुकाबले में खड़े उम्मीदवारों को वोट न देने का विकल्प चुना है।