Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Dec, 2017 12:34 PM
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्टील की लगातार बढ़ती डिमांड के चलते भारतीय बाजार में स्टील इंगट की कीमतों ने इस दशक की सबसे तेजी दर्ज करते हुए 40,000 रुपए प्रति मीट्रिक टन का आंकड़ा पार कर लिया है। इस सप्ताह शुक्रवार व शनिवार को 2 दिनों में ही स्टील इंगट...
लुधियाना(बहल): अंतर्राष्ट्रीय बाजार में स्टील की लगातार बढ़ती डिमांड के चलते भारतीय बाजार में स्टील इंगट की कीमतों ने इस दशक की सबसे तेजी दर्ज करते हुए 40,000 रुपए प्रति मीट्रिक टन का आंकड़ा पार कर लिया है। इस सप्ताह शुक्रवार व शनिवार को 2 दिनों में ही स्टील इंगट के रेटों में 2,000 रुपए टन का उछाल आ गया है।स्टील के रेटों में दिसम्बर माह में करीब 10 प्रतिशत की वृद्धि को चीन में बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए कई बढ़े स्टील प्लांटों को 6 माह के लिए शटडाऊन किए जाने के असर के तौर पर देखा जा रहा है। विश्व बाजार में स्टील के रेटों में तेजी के मद्देनजर सरकारी स्टील कम्पनी राष्ट्रीय इस्पात निगम ने अपने स्टील प्रोडक्ट्स के दामों में इस माह में करीब 2,500 रुपए प्रति टन की वृद्धि की है।
सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील कम्पनी ने एक माह में मांग को देखते हुए अपने उत्पादों में 4 बार वृद्धि की है। इसके अलावा इंडियन आयरन स्टील (इस्को) ने भी अपने कॉपर रॉड समेत अन्य स्टील प्रोडक्ट के रेटों में 2,000 रुपए प्रति टन की वृद्धि के बावजूद दिसम्बर माह में स्टील उपभोक्ताओं को माल उपलब्ध नहीं करवाया। स्टील प्लांटों द्वारा बिल्ट समेत अन्य प्रोडक्ट विदेशों को निर्यात होने कारण प्रीमिक्स प्रोडक्ट्स की डिमांड पूरी न होने से स्टील उपभोक्ता इंडस्ट्री को सैकेंडरी स्टील उत्पादों पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिससे रेटों में तेजी के चलते स्टील वायर रॉड, शीट्स, राऊंड एवं फ्लैट उत्पादों के दाम 50,000 रुपए प्रति टन का आंकड़ा पार कर गए हैं। जी.एस.टी. लागू होने के बाद से स्टील के रेटों में 7,000 रुपए की वृद्धि दर्ज हुई है।
ये हैं स्टील की कीमतों में तेजी के मुख्य कारण
जहां स्टील के रेटों में तेजी के लिए विश्व बाजार में स्टील की बढ़ती मांग के अलावा चीन में सैंकड़ों बड़े स्टील प्लांटों के कुछ महीनों के लिए बंद होने को माना जा रहा है। वहीं भारत में आयरन, स्पांज आयरन और कोयले के रेटों में वृद्धि भी स्टील की कीमतों में उछाल की वजह बन रही है।स्टील विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक कीमतों में बढ़ौतरी की आड़ में देश की बड़ी स्टील कम्पनियों ने कार्टल बनाकर अपने उत्पादों के दाम बढ़ाए हैं और अपना माल विदेशों में निर्यात करके देश में कृत्रिम शॉर्टेज पैदा कर दी है, जिससे भारत के निर्यातक महंगा माल खरीदने की वजह से एक्सपोर्ट में बढ़ौतरी का फायदा उठाने से वंचित रह गए हैं। जनवरी में भी स्टील उपभोक्ता इंडस्ट्री को स्टील के रेटों में वृद्धि से राहत मिलने की कम सम्भावनाएं नजर आती हैं।