Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 11:27 AM
पिम्स इम्प्लाइज यूनियन और पिम्स प्रबंधन के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। पिम्सपर एक बार फिर से हड़ताल के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि इम्प्लाइज यूनियन द्वारा प्रबंधन को दिया गया 15 दिन का अल्टीमेटम समाप्त हो चुका है। अस्पताल के एम.एस....
जालंधर(अमित): पिम्स इम्प्लाइज यूनियन और पिम्स प्रबंधन के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। पिम्सपर एक बार फिर से हड़ताल के बादल मंडराने लगे हैं, क्योंकि इम्प्लाइज यूनियन द्वारा प्रबंधन को दिया गया 15 दिन का अल्टीमेटम समाप्त हो चुका है। अस्पताल के एम.एस. को इस संंबंधी सूचना देने के लिए पिम्स इम्प्लाइज यूनियन की तरफ से शनिवार को एक पत्र भेजा गया, जिसमें कर्मचारियों द्वारा सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की बात कही गई है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि हड़ताल तब तक खत्म नहीं होगी जब तक बर्खास्त किए गए दोनों कर्मचारियों को वापस नहीं ले लिया जाता। यूनियन की तरफ से इसकी एक कापी पिम्स सोसायटी (सरकारी) के डायरैक्टर डा. विमल सीकरी, पिम्स के रैजीडैंट डायरैक्टर, डायरैक्टर प्रिंसीपल, चीफ सैक्रेटरी पंजाब. डी.सी. और एम.सी.आई. को भी भेजी गई है।
जातिसूचक शब्द बोलने संबंधी शिकायत है पैंडिंग
यूनियन की तरफ से अस्पताल के पूर्व रैजीडैंट डायरैक्टर डा. कंवलजीत सिंह और एच.आर. मैनेजर हरनीत कौर पर कर्मचारियों को जातिसूचक शब्द कहने और धक्केशाही करने के आरोप लगाए गए थे। दोनों पर यूनियन लीडर नरिंदर कुमार और धर्मिंद्र कुमार को बिना किसी कारण जाति सूचक शब्द बोलते हुए नौकरी से बर्खास्त करने का आरोप लगाया गया था, क्योंकि दोनों कर्मचारी अनुसूचित जाति के साथ संबंध रखते हैं। यूनियन द्वारा दोनों अधिकारियों के खिलाफ जातिसूचक शब्द बोलने को लेकर बनती कानूनी कार्रवाई करने और दोनों कर्मचारियों को बहाल करने की मांग रखी गई थी, जिसकी जांच पुलिस के पास पैंडिंग पड़ी हुई है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग में भी दायर हुई है शिकायत
पिम्स अस्पताल इम्प्लाइज यूनियन का विवाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के दरबार में पहुंच चुका है। आर्गेनाइजेशन फार प्रोटैक्शन आफ ह्यूमन राइट्स के पंजाब प्रदेश प्रधान संदीप शर्मा ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पास एक जनहित याचिका एवं शिकायत-पत्र दायर किया है, जिसमें पिम्स प्रबंधन पर अनुसूचित जाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 एवं अधिनियम 1995 अनुच्छेद 4, 5 और 6 एवं भारत के संविधान के अनुच्छेद - 15 एवं 21 के तहत कठोर से कठोर कार्रवाई किए जाने के लिए जालंधर प्रशासन को हिदायतें जारी करने की गुहार लगाई गई है।
बिना हस्ताक्षर वाला पत्र मिला है, हड़ताल करेंगे साफ नहीं : अमित सिंह
रैजीडैंट डायरैक्टर अमित सिंह का कहना है कि उनकोबिना हस्ताक्षर वाला एक पत्र मिला है, जिससे उसकी वैधता का पता लगाना मुश्किल है। इसके साथ ही कर्मचारी हड़ताल करेंगे यह भी साफ नहीं है। मगर फिर भी ऐसा कुछ होता है तो प्रबंधन अस्पताल के मरीजों को किसी किस्म की परेशानी नहीं होने देगा। हमारे पास पर्याप्त स्टाफ है, जो हड़ताल में भाग नहीं लेता है। जहां तक हड़ताल का कानूनी पहलू है, इसपर भी विचार किया जाएगा कि अगर कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं, तो वह कहीं गैर-कानूनी तो नहीं है।