Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Feb, 2018 08:55 AM
राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर एकछत्र राज करने वाली भाजपा अजमेर और अलवर लोकसभा सीटों पर बुरी तरह से हार गई है। राजस्थान में भाजपा नेताओं का घमंड इन्हें ले डूबा। फिल्म ‘पद्मावत’ मुद्दा राजस्थान में सरकार के गले की फांस बना। नाराज राजपूत वोटों पर...
जालंधर(रविंदर शर्मा): राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर एकछत्र राज करने वाली भाजपा अजमेर और अलवर लोकसभा सीटों पर बुरी तरह से हार गई है। राजस्थान में भाजपा नेताओं का घमंड इन्हें ले डूबा। फिल्म ‘पद्मावत’ मुद्दा राजस्थान में सरकार के गले की फांस बना। नाराज राजपूत वोटों पर सियासी गलियारों में तय की गई भाजपा की रणनीति फेल हो गई।
दरअसल सरकार से नाराज राजपूत संगठनों ने उपचुनाव से पहले वसुंधरा सरकार पर वायदाखिलाफी के आरोप लगाते हुए कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी।सरकार ने फिल्म पर बैन की घोषणा करने में ही 2 महीने लगा दिए। राजपूतों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने 20 नवम्बर को मौखिक रूप से फिल्म पर बैन लगाने की बात कही। मगर 2 महीने तक इसकी घोषणा नहीं की। इस दौरान राजपूतों की नाराजगी और बढ़ती गई। हालांकि 17 जनवरी को सरकार ने आधिकारिक घोषणा करते हुए फिल्म पर बैन लगा दिया। मगर अगले ही दिन 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ‘पद्मावत’ के रिलीज को हरी झंडी दे दी। राज्य सरकार ने फिर याचिका लगाई, जिसे भी खारिज कर दिया गया। राजस्थान में 2013 में विधानसभा चुनाव में रिकार्ड 163 सीटों की जीत के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में प्रदेश में लोकसभा चुनाव की अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। सभी 25 सीटों पर भाजपा ने प्रचंड बहुमत पाया था।
मगर उपचुनाव में कांग्रेस ने 2 सीटें छीन कर यह दिखा दिया है कि 2019 का फाइनल भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। भाजपा की हार के पीछे पिछले साल गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाऊंटर भी एक कारण रहा। राजपूत संगठन ने इस एनकाऊंटर को फर्जी बताते हुए हत्या करार दिया था और लोग सड़कों पर उतर आए थे। सरकार इस माहौल को भांप नहीं पाई और राजपूत समाज ने जनसभाओं में सरकार के खिलाफ जमकर विरोध किया। आनंदपाल प्रकरण को लेकर राजपूत संगठन की मांग थी कि आनंदपाल प्रकरण की सी.बी.आई. जांच हो। सरकार के विरोध में राजपूत समाज ने खुले तौर पर कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी।
बेरोजगारी पड़ी भारी
अधिकांश सरकारी भर्तियां कोर्ट में अटकी रहीं। भाजपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले 15 लाख नौकरियां देने का वायदा किया था जिसे पूरा करने में सरकार कामयाब नहीं रही। शुरूआती 3 साल में सरकारी विभागों में एक लाख से अधिक भॢतयां निकाली गईं, मगर इनमें से 12 विभागों में करीब 9,000 लोगों की ही नियुक्ति की गईं। कोर्ट में फंसने के कारण 48 हजार और एस.सी.-बी.सी. आरक्षण विवाद के कारण करीब 28 हजार भर्तियां अटक गईं। युवा बेरोजगारी से तंग है तथा किसानों को कर्ज माफी के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा। वह भी मात्र 50-50 हजार तक माफ करने की घोषणा की गई।
महंगाई व जी.एस.टी. भी रहा कारण
महंगाई, जी.एस.टी. और नोटबंदी ने भी राज्य में लोगों में गुस्सा पैदा किया। जी.एस.टी. में कई विसंगतियों और पेचीदगियों से परेशान लोगों में सरकार के खिलाफ माहौल बना और लोग विरोध में सड़कों पर भी उतरे। कांग्रेस ने भी महंगाई, जी.एस.टी. और नोटबंदी को आमजन पर अत्याचार बताते हुए सरकार के खिलाफ माहौल तैयार किया।