Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 09:21 AM
8 नवम्बर को नोटबंदी को एक साल पूरा होने जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी करते हुए देशवासियों से कुछ वायदे किए थे तो कुछ साथ और समय भी मांगा था। प्रधानमंत्री ने जहां नोटबंदी को लागू करते हुए इसे काले धन पर प्रहार बताया था और कहा...
जालंधर(रविंदर शर्मा): 8 नवम्बर को नोटबंदी को एक साल पूरा होने जा रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी करते हुए देशवासियों से कुछ वायदे किए थे तो कुछ साथ और समय भी मांगा था। प्रधानमंत्री ने जहां नोटबंदी को लागू करते हुए इसे काले धन पर प्रहार बताया था और कहा था कि इससे आतंकवाद की कमर टूट जाएगी वहीं देशवासियों से कहा था कि वह 3 महीने का वक्त दें, इसके बाद देशवासियों की किस्मत बदल जाएगी। नोटबंदी के साथ ही देशवासियों को कैशलैस की आदत सरकार ने डालनी शुरू की थी और इसके फायदे बताए थे।
इन सब बातों का देश व देशवासियों पर कितना असर हुआ और सरकार अपने दावे व वायदे पर कितनी सफल हुई, इसकी पड़ताल की पंजाब केसरी टीम ने। पंजाब केसरी ने पाया कि एक साल बाद भी नोटबंदी क्यों की गई, इसके बारे देशवासी अभी तक नहीं जान पाए हैं। न तो काले धन पर कोई प्रहार हो सका और न ही देश से आतंकवाद खत्म हो सका। सरकार एक साल बाद भी यह नहीं बता पाई कि कितना काला धन रुका और इसका देशवासियों को क्या फायदा हो सका। देश के प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के समय देशवासियों से 3 महीने का समय मांगा था, मगर एक साल बाद भी देशवासियों की किस्मत नहीं बदल सकी। देशवासी आज भी उसी मुहाने पर खड़े हैं, जहां एक साल पहले थे। उलटा जनता महंगाई की आग में तप रही है और जी.एस.टी. के बाद तो कइयों का व्यापार भी बंद हो चुका है। ऐसे में सरकार का नोटबंदी करते समय देशवासियों से किया हर वायदा धूमिल हो गया है और सरकार की छवि को भी लगातार धक्का पहुंच रहा है।
नोटबंदी का एक साल पूरा होने के मौके पर एक सवाल अब भी बना हुआ है कि देश कितना कैशलैस हुआ। अगर सीधे-सीधे बीते साल अक्तूबर से लेकर अगस्त तक के आंकड़े देखें तो क्रैडिट व डैबिट कार्ड से दुकानों पर खरीददारी 51,000 करोड़ से 71,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गई। वहीं मोबाइल वॉलेट से लेन देन करीब-करीब दो गुणा हो गया मगर यह आंकड़े ज्यादा उत्साहित करने वाले नहीं हैं। हकीकत यह है कि आज भी बाजार में 95 फीसदी के करीब लेन-देन नकद में होता है। नोटों का जलवा फिर से शबाब पर है, वह भी तब जब सरकार लगातार दावे करती रही है कि नोटबंदी के बाद देश कैशलैस की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है। मगर रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि चलन में नोट की तादाद बढ़ी ही है। मसलन बीते साल 14 अक्तूबर को बाजार में कुल 1,23,93,150 करोड़ रुपए चलन में थे जबकि इस साल 13 अक्तूबर को यह रकम 1,31,81,190 करोड़ रुपए रही। अनुमान है कि आज भी बाजार में 95 फीसदी के करीब लेन-देन नगद में होता है जबकि बीते साल यह आंकड़ा 96-97 प्रतिशत के करीब था।