जोशी के फैसलों पर पानी फेरने बारे सिद्धू की मुहिम को एक और झटका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 11:40 AM

navjot singh sidhu local body minister

एक तरफ जहां अकाली-भाजपा सरकार के समय अनिल जोशी से प्रमोशन हासिल करने वाले लोकल बॉडीज विभाग के अफसरों को नए मंत्री नवजोत

लुधियाना (हितेश): एक तरफ जहां अकाली-भाजपा सरकार के समय अनिल जोशी से प्रमोशन हासिल करने वाले लोकल बॉडीज विभाग के अफसरों को नए मंत्री नवजोत सिद्धू द्वारा रिवर्ट करने की मुहिम लगातार जारी है। वहीं, सिद्धू के ऐसे फैसलों को कोर्ट में झटके लगने का सिलसिला भी नहीं रुक रहा है। उसके तहत इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों के 11 एक्सियनों को वापस एस.डी.ओ. बनाने बारे 5 जुलाई को जारी आदेश हाईकोर्ट में चैलेंज होने पर सरकार को खुद वापस लेने पड़े हैं। इसमें कोर्ट द्वारा मुलाजिमों को निजी सुनवाई का मौका देने सहित नियमानुसार डी.पी.सी. बुलाकर प्रमोशन देने का फैसला करने का आदेश दिया गया है।

अफसरों ने सरकार के ऑर्डर को कोर्ट में किया चैलेंज 
इस मामले में लोकल बॉडीज विभाग की ज्वाइंट सैक्रेटरी के हवाले से 5 जुलाई को जारी आदेशों में साफ किया गया कि पिछली सरकार के समय विकास कार्यों में पारदर्शिता यकीनी बनाने व मोनीटरिंग के लिए स्टाफ की कमी को आधार बनाकर 4 साल तक काम कर चुके इम्प्रूवमैंट ट्रस्टों के एस.डी.ओज को अस्थायी तौर पर एक्सियन बनाया गया था। लेकिन उसमें डिपार्टमैंट प्रमोशन कमेटी से मंजूरी लेने की लाजमी प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। इस कारण अनियमितताओं के दायरे में आते प्रमोशन संबंधी जनवरी में जारी आदेशों को मौजूदा मंत्री की मंजूरी के साथ रद्द करने का फैसला किया गया। हालांकि सरकार ने रिवर्ट किए गए अफसरों को इतनी राहत जरूर दी कि जल्द ही डी.पी.सी. की मीटिंग बुलाकर नियमों व वरिष्ठता सूची के आधार दोबारा प्रमोशन की जाएगी। लेकिन उन अफसरों ने सरकार के ऑर्डर कोर्ट में चैलेंज कर दिए। जिनके मुताबिक कोई नोटिस या निजी सुनवाई का मौका दिए बिना रिवर्ट कर दिया गया। इस पर कोर्ट ने सरकार के आदेशों पर स्टे लगा दिया और फिर अगली सुनवाई पर सरकार ने ही डिमोशन आर्डर वापस लेने की सूचना कोर्ट में दे दी। जिनको आदेश जारी हुए हैं कि संबंधित मुलाजिमों को निजी सुनवाई का मौका देने सहित नियमों मुताबिक दोबारा से डी.पी.सी. बुलाकर प्रमोशन देने का फैसला किया जाए।  

डिमोशन के लिए यह दी थी गई दलील 
सरकार ने अफसरों की डिमोशन करने के लिए यह दलील दी कि जनवरी में प्रमोशन करते हुए रोस्टर प्वाइंट चैक न करने कारण वैल्फेयर डिर्पाटमैंट के नियमों की अनदेखी हुई है और टैंपरेरी सीनियोरिटी लिस्ट के मुताबिक तरक्की देना वैसे ही गलत है। इससे बढ़कर बिना डी.पी.सी. की मीटिंग किए प्रमोशन करने से अयोग्य अफसर भी फायदा लेने में कामयाब हो गए। जबकि उनके द्वारा दी गई ऑप्शन से साफ होता है कि इस तरह तरक्की करने बारे कोई रूल्स ही नहीं हैं।

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