नवीन शाहदरा: चुनाव गुरुद्वारे का, प्रतिष्ठा भाजपा की दाव पर

Edited By Updated: 24 Feb, 2017 12:42 AM

naveen shahdara gurdwara election bjp reputation at stake

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के 26 फरवरी....

दिल्ली/चंडीगढ़: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के 26 फरवरी को होने जा रहे चुनाव में वार्ड नं. 41 (नवीन शाहदरा) में इस बार ऐतिहासिक जंग छिड़ी है। इस वार्ड में 2 प्रमुख सियासी पाॢटयों के बीच कड़ी टक्कर है। यहां से मैदान में तो 4 कैंडीडेट उतरे हैं, लेकिन असली टक्कर शिअद, दिल्ली और सरना दल के बीच है। दोनों दलों के प्रत्याशी अनुभवी, पुराने और दिग्गज हैं। शिअद (बादल) ने अपने पुराने नेता एवं वर्तमान कमेटी सदस्य कुलवंत सिंह बाठ को मैदान में उतारा है। 

 

इस सीट पर शिअद से ज्यादा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रतिष्ठा भी दाव पर है। कुलवंत बाठ, चुनाव तो शिअद के चुनाव चिन्ह पर लड़ रहे हैं लेकिन हैं वह पक्के भाजपाई। वर्तमान में वह दिल्ली भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। उनको टक्कर देने के लिए शिरोमणि अकाली दल (शिअद-दिल्ली) ने ज्ञान सिंह को टिकट दिया है। ज्ञान सिंह भी सिख सियासत के दिग्गज नेता हैं। वह भी चौथा चुनाव लड़ रहे हैं। 46 सीटों पर हो रहे आम चुनाव के लिए कुल 3,80,091 वोटर मतदान करेंगे। इसमें 1,87,400 महिला वोटरों की भागीदारी होगी। 

 

नवीन शाहदरा,वार्ड नं. 41कुल मतदाता : 6,000 
राजधानी का यमुनापार क्षेत्र में पड़ता है। इसमें एक बड़ा ऐतिहासिक गुरुद्वारा एवं कई छोटे गुरुद्वारे हैं। दिल्ली का यह बड़ा वार्ड है, जो बड़े दायरे में फैला हुआ है। इस वार्ड में इस बार करीब 6,000 से ज्यादा मतदाता वोट डालेंगे। इसके लिए कुल 10 पोङ्क्षलग बूथ बनाए गए हैं। इस सीट पर 2 राजनीतिक एवं धार्मिक पाॢटयों के अलावा कुल 4 प्रत्याशी मैदान में हैं। ऐसा कह सकते हैं कि अकाली दल और सरना दल में सीधी टक्कर है। 

 

ज्ञान सिंह  (शिअद-दिल्ली)
हक में जाती बातें : शिअद, दिल्ली की कार पर सवार हुए ज्ञान सिंह चौथी बार दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का चुनाव लड़ रहे हैं। 3 बार चुनाव लड़े और 2 बार चुनाव जीते। वर्ष 2002 से सिख सियासत में कदम रखने वाले ज्ञान सिंह 2002 में हुए कमेटी चुनाव में आजाद उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और चुनाव जीते। वर्ष 2007 में वह सरना दल में शामिल हुए और इसी वर्ष हुए कमेटी चुनाव में विजय हासिल की लेकिन, वर्ष 2013 के कमेटी चुनाव में अकाली दल के प्रत्याशी कुलवंत सिंह बाठ से हार गए। वर्तमान में फिर दोनों प्रत्याशी आमने-सामने हैं। ज्ञान सिंह सरना के कार्यकाल में दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के वाइस प्रैजीडैंट बनाए गए। साथ ही इंडिया गेट और लोनी गेट स्थित गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूलों के चेयरमैन रहे। 

 

विरोध में जाती बातें: ज्ञान सिंह के विरोधी इनके पुराने केसों (भ्रष्टाचार एवं महिला के साथ दुव्र्यवहार) को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। हालांकि, मामला अदालत में विचाराधीन है, बावजूद इसके विरोधी इसी को मुद्दा बना रहे हैं।  

 

गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल लोनी रोड का स्टैंडर्ड दोबारा बहाल करेंगे। साथ ही स्कूल में सिख बच्चों को फिर से दाखिला करवाकर संख्या बढ़ाएंगे। वार्ड में पड़ते सिख कालोनियों और उसमें रहते लोगों की सत्ता में रहते हुए काफी मदद की है। अपने पुराने कामों और वर्तमान कमेटी की नाकामियों को सिख संगतों के बीच लेकर जा रहे हैं। अकाली दल ने 4 वर्ष तक गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूलों की हालत खराब कर दी है। हम सिख कौम के संस्थानों को अपग्रेड करेंगे और शिक्षा का स्तर बढ़ाएंगे।- ज्ञान सिंह

 

हक में जाती बातें: कुलवंत सिंह बाठ डी.एस.जी.एम.सी. का तीसरा चुनाव लड़ रहे हैं। वर्तमान में बाठ इसी वार्ड के सदस्य हैं। वह धार्मिक तौर पर शिअद की ओर से चुनाव जरूर लड़ रहे हैं लेकिन वह हैं पक्के भाजपाई। वर्तमान में भाजपा के दिल्ली के प्रदेश वाइस प्रैजीडैंट भी हैं इसलिए उन्हें शिअद के साथ-साथ क्षेत्र में भाजपा कार्यकत्र्ताओं का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। दिल्ली के अलावा पंजाब में भी बाठ पंजाब जेनको लि. (पंजाब सरकार) के वाइस चेयरमैन हैं। इसके अलावा लोनी रोड स्थित श्री गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल के चेयरमैन एवं बसंत विहार पॉलिटैक्निक की वाइस चेयरमैनी भी संभाल रहे हैं। राजनीतिक रूप से मजबूत कुलवंत सिंह बाठ की पत्नी गुरजीत कौर भी वर्ष 2012 में इलाके से पाषर्द$ के लिए चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, सफलता नहीं मिली। 

 

कुलवंत सिंह बाठ  (शिअद-बादल)
विरोध में जाती बातें : पंजाब विधानसभा चुनाव में हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा का समर्थन लेना, पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी नुक्सान पहुंचा सकती है। इसके अलावा कमेटी में भ्रष्टाचार को लेकर विपक्षी दल द्वारा लगाए गए संगीन आरोप भी हैं। 


‘‘पार्टी और कमेटी ने ऐतिहासिक कार्य किए हैं। लाल किले में फतेह दिवस, पहले सिख जरनैल बाबा बंदा सिंह बहादुर की शताब्दी, 1984 सिख दंगा पीड़ितों की याद में शहीदी यादगार बनवाया है। लोनी रोड के गुरु हरिकिशन पब्लिक स्कूल का रिजल्ट 89 प्रतिशत था जो उनके आने के बाद 100 प्रतिशत हुआ। एकैडमिक और प्रशासनिक सुधार किया गया। सत्ता में दोबारा आते हैं तो यमुनापार के लिए एक विशेष पैकेज दिलवाएंगे। साथ ही यमुनापार की लाखों सिख संगतों के लिए शादी-विवाह के लिए लक्खी शाह बंजारा हाल की तरह सामुदायिक भवन बनाएंगे।’’ - कुलवंत सिंह 
 

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