मनप्रीत ने पेश किया पंजाब की डरावनी आर्थिक स्थिति पर श्वेतपत्र

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jun, 2017 11:02 PM

manpreet launches white paper on the horror of punjab

पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने आज राज्य विधानसभा में प्रदेश....

चंडीगढ़(पराशर): पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने आज राज्य विधानसभा में प्रदेश की आॢथक स्थिति पर श्वेतपत्र जारी किया जिसमें राज्य के फाइनाइंसिस की डरावनी तस्वीर पेश की गई है। इसके साथ ही उन्होंने गवर्नैंस पर भी एक श्वेतपत्र जारी किया जिसमें प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों की आवश्यकता पर जोर दिया गया। 

143 पन्नों के श्वेतपत्र में पंजाब के सिर चढ़े भारी-भरकम कर्जे के बोझ तथा गत 10 वर्षों के अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सभी कायदे-कानूनों तथा नियमों को ताक पर रख कर सरकारी बही-खातों में ‘हेरा-फेरी की कला’ तथा प्रदेश के भविष्य को गिरवी रखने का विस्तार से जिक्र किया गया है। केंद्र से गेहूं और धान की खरीद के लिए प्राप्त हुई कैश क्रैडिट लिमिट को राज्य की खरीद एजैंसियों ने अपने आप ही डायवर्ट कर आटा-दाल स्कीम पर खर्चना शुरू कर दिया। इस स्कीम पर 31 मार्च 2017 तक 1,747 करोड़ रुपए बकाया हैं। 

पूर्व सरकार के बही-खाते सही नहीं
पिछली सरकार ने जान-बूझकर अकाऊंट्स की किताबों में कुछ इस ढंग से हेरा-फेरी की कि विभिन्न मदों से होने वाली आय को कंसॉलिडेटेट फंड में जमा करवाने की बजाय उसे कहीं और ही जमा करवाया जाता रहा, जहां से उसे अनियमित तथा अपनी मर्जी के मुताबिक खर्च किया जाता था। ये खर्चे न तो विधानसभा से मंजूर करवाए जाते थे और न ही कम्पट्रोलर तथा ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (कैग) से ऑडिट करवाए जाते थे। 

आर.बी.आई. का झटका
श्वेतपत्र में कहा गया है कि नई अमरेंद्र सरकार को एक बहुत ही विकट वित्तीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। नई सरकार ने 16 मार्च 2017 को पदभार ग्रहण किया है। सिर मुंडाते ही ओले पड़े और 29 मार्च को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने राज्य के सरकारी खजाने को लिमिट क्रॉस करने के कारण बंद कर दिया। फलस्वरूप ट्रेजरी में इकट्ठा हुए 7,791 करोड़ के बिल लैप्स कर गए। 

डी.ए. और बिजली सबसिडी का बकाया
सरकारी कर्मचारियों को गत 2 वर्ष से डी.ए. की किस्तें नहीं दी गईं जिसके चलते 2,773 करोड़ रुपए अभी भी बकाया हैं। बिजली पर सबसिडी का भी 2,342 करोड़ का बकाया है। अमरेंद्र सरकार द्वारा राज्य की बागडोर संभालते समय सरकार की देनदारी 13,039 करोड़ रुपए का आंकड़ा छू गई। इतना ही नहीं, सी.सी.एल. को लेकर केंद्र से पुराने झगड़े के कारण 29,919.96 करोड़ रुपए के कर्ज का भी सरकार को सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप राज्य को अब प्रति माह 270 करोड़ रुपए और प्रति वर्ष 3,240 करोड़ रुपए केंद्र को देने होंगे। 

गत 10 वर्षों में पंजाब वेतन बिल में भारी बढ़ौतरी
पंजाब सरकार के कर्मचारियों का वेतन अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं अधिक है। गत 10 वर्षों में वेतन बिल 5,783 करोड़ रुपए से बढ़ कर 19,758 करोड़ हो गया। इसी प्रकार पैंशन पर खर्चा 1,905 करोड़ से 8,749 करोड़ और ब्याज पर खर्चा 4,152 करोड़ से बढ़ कर 10,098 करोड़ हो गया। इस दौरान राज्य का रैवेन्यू डैफिसिट 1,749 करोड़ से बढ़ कर 8,550 करोड़ से भी अधिक हो गया। 

लंबी अवधि के कर्जे
इतना ही नहीं, राज्य सरकार ने 20,608.17 करोड़ की लंबी अवधि की गारंटी भी दे रखी है। इन गारंटियों को केंद्र की उदय स्कीम के तहत बाद में ऋण में तबदील कर दिया गया है। बजट अनुमानों पर वास्तविक खर्च 2006-07 में 143.80 प्रतिशत था जो 2011-12 में घटकर केवल 64.73 प्रतिशत रह गया है। उदय स्कीम के बावजूद पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड लगातार घाटे में चलती रही और इसका 31 मार्च 2017 को कुल घाटा 3,196 करोड़ पार कर गया। 

सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों पर कर्जे ही कर्जे
सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थानों पर कुल कर्जा 17,030.92 करोड़ का है। कुछ अन्य संस्थानों पर कर्जे का बोझ 22,593.95 करोड़ है। इसके अलावा 20,608.17 करोड़ के कर्जे सरकारी गारंटी पर लिए गए।

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