साफ-सफाई के साथ इलाज में भी औसत ही है महानगर का सिविल अस्पताल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Sep, 2017 01:52 PM

ludhiana civil hospital

औद्योगिक नगरी और स्मार्ट सिटी में शामिल देश के प्रमुख शहरों की लिस्ट में शुमार लुधियाना के इकलौते अस्पताल में मरीजों के लिए जहां दवाओं का टोटा है

लुधियाना (पंकज): औद्योगिक नगरी और स्मार्ट सिटी में शामिल देश के प्रमुख शहरों की लिस्ट में शुमार लुधियाना के इकलौते अस्पताल में मरीजों के लिए जहां दवाओं का टोटा है, वहीं 24 घंटे में डाक्टरों द्वारा ज्यादातर वार्डों में लगाए जाने वाले एकमात्र राऊंड के बाद मरीजों की जिंदगियां निचले स्टाफ के हाथों में रहती हैं। 30 लाख से अधिक आबादी वाले महानगर में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की तादाद कहीं अधिक है। 

इन परिवारों के लिए प्राइवेट व महंगे अस्पतालों में इलाज करवाना किसी स्वप्न से कम नहीं है। यही वजह है कि सिविल अस्पताल की ओ.पी.डी. हो या फिर बर्न अथवा जच्चा-बच्चा विभाग, मरीजों की लंबी लाइनें टूटने का नाम ही नहीं लेतीं। ऐसे में बेशक सरकार अस्पताल परिसर से अधिकतर दवाएं मिलने का दावा करती हो परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। अस्पताल में डाक्टरों द्वारा मरीजों को लिखी दवाओं में आधे से अधिक बाहर खुली कैमिस्ट की दुकानों से मिलती है। जहां पर ग्राहकों को अपनी ओर खींचने की इतनी होड़ लगी रहती है कि कारिंदों द्वारा इशारे करने व आवाजें लगाने से मरीज भी घबरा जाते हैं। 

टांग में फ्रैक्चर पर खाने पड़े धक्के
सर्जरी वार्ड में दाखिल दुगरी निवासी 61 वर्षीय परमिंद्र सिंह ने बताया कि दुर्घटना में उसकी टांग में फ्रैक्चर आ गया। इस पर वह इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गया परंतु सर्जरी वाली टीम ने पहले उसे राजिंद्रा अस्पताल पटियाला व फिर पी.जी.आई. चंडीगढ़ रैफर कर दिया परंतु वहां से उसे वापस यहां भेज दिया गया। कई दिनों तक धक्के खाने के कारण उसकी तबीयत और खराब हो गई। 

हर्नियां से परेशान, टैस्ट के पैसे नहीं 
पेट में फैल चुकी हर्नियां  से गुब्बारे की तरह फूल चुके पेट के साथ बिस्तर पर पड़े कराह रहे शिवपुरी निवासी ईश्वरदास ने बताया कि उसके पास टैस्ट करवाने के लिए पैसे नहीं हैं इसलिए वह पिछले 3 दिनों से बैड पर पड़ा दर्द से कराह रहा है परंतु उसका इलाज नहीं हो रहा। 

पेट में इंफैक्शन पर डाक्टर नहीं आया 
पेट में इंफैक्शन के चलते अस्पताल में दाखिल 45 वर्षीय पम्मी ने बताया कि पिछले 3 दिनों से डाक्टर एक बार भी उसके पास नहीं आए। नीचे वाला स्टाफ ही दवाएं देकर इलाज कर रहा है।

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