जोशी ने धर्मसोत के आरोपों को नकारा बोले ,पी.एल.पी.ए. 1900 की रत्ती भर जानकारी भी नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 10:37 AM

joshi rejected dharmasot allegations  plpa not even information

वन विभाग पंजाब के करप्ट अफसरों के हाथ में कठपुतली बन पंजाब सरकार के वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत कंडी इलाके के गरीब किसानों के साथ धक्का, अन्याय तथा गंदी राजनीति कर रहे हैं।

चंडीगढ़  (ब्यूरो): वन विभाग पंजाब के करप्ट अफसरों के हाथ में कठपुतली बन पंजाब सरकार के वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत कंडी इलाके के गरीब किसानों के साथ धक्का, अन्याय तथा गंदी राजनीति कर रहे हैं। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी पंजाब के प्रदेश सचिव विनीत जोशी का, जो कि धर्मसोत द्वारा 4 फरवरी को जारी किए गए प्रैस नोट में लगाए गए आरोपों का जवाब दे रहे थे। 


जोशी ने कहा कि उनके पास कई तथ्य यह बताने के लिए हैं कि धर्मसोत को पी.एल.पी.ए. 1900 पंजाब लैंड प्रीजर्वेशन एक्ट 1900 (पंजाब भूमि संभाल एक्ट 1900) की रत्ती भर जानकारी भी नहीं है और अगर वह बताने लगेंगे तो काफी समय व कागज लग जाएगा। जोशी ने कहा कि धर्मसोत ने जारी प्रैस नोट में पंजाब भूमि संभाल एक्ट के नाम को पंजाब भूमि सुरक्षा एक्ट 1900 लिखा है जो कि गलत है। इतना ही नहीं जिस एक्ट का वन क्षेत्र या वन्यजीव से कोई संबंध नहीं है, उसके लिए यह लिखना कि ‘वनों के खात्मे को रोकने में सहायक होगा, जिससे वन्यजीव भी सुरक्षित रहेंगे’ तथा ‘वनों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया’ यह दर्शा रहा है कि वन मंत्री ने एक्ट को ठीक से पढ़ा नहीं है। 


धर्मसोत ने यह लिखकर कि ‘पी.एल.पी.ए. शिवालिक के पहाड़ों में मिट्टी के कटाव से वनों को सुरक्षित रखने के लिए बनाया गया है’ बता दिया है कि उन्हें एक्ट की पूरी जानकारी नहीं है क्योंकि 1942 में लैजीस्लेटिव अमैंडमैंट (वैधानिक शोध) द्वारा पी.एल.पी.ए. को शिवालिक पहाडिय़ों की जगह पूरे पंजाब पर लागू कर दिया गया था। जोशी ने कहा कि धर्मसोत ने प्रैस नोट में यह भी गलत लिखा है कि ‘नोटीफिकेशन स्पष्ट तौर पर पाबंदियों को दर्शाता है जो कि जंगल के  रखरखाव की रुचि के लिए जरूरी है’ क्योंकि 1942 में पी.एल.पी.ए. की धारा 3 शोध कर इसमें से फोरैस्ट निकाल इसे सिर्फ भूमि का कटाव व गिरते पानी के स्तर को रोकने वाला एक्ट बना दिया था। 


वन मंत्री ने यह भी गलत लिखा है कि ‘कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने लगभग 56,000 एकड़ भूमि जो कृषि और आबादी के अधीन थी, को डीलिस्ट करवा कर पहले भी लोगों को भारी राहत दी थी’ क्योंकि यह भूमि की डी-लिसिं्टग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर हुई थी, न कि उस वक्त कांग्रेस सरकार के निर्णय के कारण। जोशी ने कहा कि बेतुकी बयानबाजी हम नहीं  बल्कि धर्मसोत कर रहे हैं। उन्होंने धर्मसोत को कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए पी.एल.पी.ए. 1900 को मोहाली जिले के 15 गांवों पर गैर-कानूनी तरीके से जो नोटीफिकेशन की है, उसे तुरंत वापस लें और अपनी गलती को सुधारें। 

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