Edited By Updated: 28 Feb, 2017 02:15 PM
डी.टी.ओ. कार्यालय की बड़ी अजब माया है क्योंकि यहां पर जिस चीज का महत्व अधिक है उसको कम आंका जाता है और जिसका कम उसको अधिक महत्व दिया जाता है। यहां आम जनता से पैसे तो चार्ज कर लिए जाते हैं मगर उन पैसों के बदले सही सॢवस प्रदान नहीं की जाती। हाल ही में...
जालंधर (अमित): डी.टी.ओ. कार्यालय की बड़ी अजब माया है क्योंकि यहां पर जिस चीज का महत्व अधिक है उसको कम आंका जाता है और जिसका कम उसको अधिक महत्व दिया जाता है। यहां आम जनता से पैसे तो चार्ज कर लिए जाते हैं मगर उन पैसों के बदले सही सॢवस प्रदान नहीं की जाती। हाल ही में परिवहन विभाग द्वारा लाइसैंसों की फीसें दो से चार गुणा तक बढ़ाई गई, मगर हैरानी की बात है कि इतने बड़े स्तर पर फीसें बढ़ाने के बावजूद आज तक उक्त सुविधाओं की क्वालिटी में कोई सुधार नहीं लाया जा सका।
इसका जीता जागता उदाहण है विदेश जाने वाले लोगों को जारी किया जाने वाला इंटरनैशनल ड्राइविंग लाइसैंस, जिसकी फीस तो एकदम से दोगुनी कर दी गई, मगर उसकी क्वालिटी में कोई सुधार नहीं किया गया।इस इंटरनैशनल लाइसैंस की मयाद लगभग 1 साल होती है और विदेश जाने वाले लोगों को आम तौर पर लाइसैंस की आवश्यकता को देखते हुए आवेदन वाले दिन ही लाइसैंस डिलीवर कर दिया जाता है। हैरानी वाली बात यह है कि उक्त लाइसैंस एक सादे कागज पर प्रिंट करके दे दिया जाता है जिसकी मयाद काफी कम होती है, जबकि इसके उल्ट डी.टी.ओ. कार्यालय से अगर आप अपना ड्राइविंग लाइसैंस बनवाते हैं तो आपको एक बहुत सुंदर प्लास्टिक कार्ड वाला चिप लगा हुआ लाइसैंस जारी किया जाता है जिसे संभालना बहुत आसान है।
कुछ देशों में लाइसैंस की मान्यता पर लग जाते हैं प्रश्न चिन्ह
इस तरह से महज एक कागज का टुकड़ा लेकर विदेश में गाड़ी चलाने पर होने वाली चैकिंग के दौरान भी इस लाइसैंस को प्रस्तुत करने से अपने देश की साख पर भी गहरा धक्का लगता है और कुछ देशों में तो इसकी मान्यता पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाते हैं, क्योंकि एक बार देखने पर यह केवल कागज का टुकड़ा मात्र प्रतीत होता है और इसकी सत्यता पर भी जल्दी यकीन नहीं होता।
कम से कम इस लाइसैंस का रंगीन प्रिंट तो दिया ही जा सकता है
चिप वाला लाइसैंस जहां लगभग 1900 रुपए फीस लेकर जारी किया जा रहा है वहीं सादे कागज पर ब्लैक एंड व्हाइट प्रिंट निकालकर दिया जा रहा इंटरनैशनल ड्राइविंग लाइसैंस जारी करने के लिए 1000 रुपए फीस वसूली जा रही है जोकि चिप वाले लाइसैंस से कुछ ही कम है। लोगों का कहना है कि अगर इंटरनैशनल लाइसैंस चिप वाला जारी नहीं किया जा सकता है तो कम से कम इस लाइसैंस का रंगीन पिं्रट तो दिया ही जा सकता है, जिससे विदेश में इसे प्रस्तुत करने पर इसकी सत्यता प्रमाणित करने में कोई परेशानी पेश न आए।