हुसैनीवाला भारत-पाक बार्डर बंद होने से फिरोजपुर की आर्थिकता हुई बर्बाद

Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Sep, 2017 10:26 AM

indo pak border

फिरोजपुर भारत-पाक बार्डर पर बसा है, जहां हुसैनीवाला सरहद पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, शहीद बी.के. दत्त और

फिरोजपुर (कुमार): फिरोजपुर भारत-पाक बार्डर पर बसा है, जहां हुसैनीवाला सरहद पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, शहीद बी.के. दत्त और पंजाब माता के स्मारक हैं। यहां हर साल 23 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर शहीदी कांफ्रैंस का आयोजन करके शहीदों को श्रद्धांजलियां दी जाती हैं और इस स्मारक पर पिछले कई सालों से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और केन्द्र व पंजाब सरकार के मंत्री फिरोजपुर के लोगों से बड़े-बड़े वायदे कर रहे हैं।  

फिरोजपुर का हुसैनीवाला बार्डर कभी व्यापार के लिए वाघा बार्डर से भी मशहूर हुआ करता था और फिरोजपुर बार्डर पर देश के बड़े-बड़े व्यापारी अपना व्यापार किया करते थे तथा हुसैनीवाला बार्डर पर ज्यादा अंगूर का व्यापार हुआ करता था। जब तक हुसैनीवाला बार्डर खुला था, तब तक फिरोजपुर आर्थिक तौर पर खुशहाल था और यहां रोजगार के साधन उपलब्ध थे। भारत-पाक 1971 की जंग में हुसैनीवाला बार्डर बंद कर दिया गया, जिसके चलते फिरोजपुर की आर्थिकता पूरी तरह से बर्बाद हो गई है और छोटे-बड़े व्यापारियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रही है। इसके साथ ही बेरोजगारी भी यहां काफी बढ़ गई है। 

हुसैनीवाला बार्डर 1971 की जंग के बाद व्यापार के लिए आज तक बंद पड़ा है, इस बात का केन्द्र व पंजाब सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। अगर यह बार्डर खुल जाता है तो पाकिस्तान को भेजे जाने वाले और पाकिस्तान से आने वाले सामान की ट्रांसपोर्ट का खर्च आधा रह जाएगा, क्योंकि हुसैनीवाला बार्डर पाकिस्तान के कसूर जिले के साथ लगता है और पंजाब, हरियाणा व राजस्थान से पाकिस्तान की ओर जाने तथा वहां से आने में किराए व समय की भारी बचत होती है।  

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