Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Sep, 2017 09:31 AM
इंडियन ओवरसीज बैंक (चंडीगढ़ ब्रांच) में हुए 321 करोड़ के फ्रॉड के केस में ई.डी (इंफोर्समैंट डायरैक्टोरेट) की टीम ने अमृतसर में दस्तक देते हुए मुख्य आरोपी आशु मेहरा व उसके अन्य साथियों की अमृतसर में स्थित जायदाद को राजस्व विभाग के रिकार्ड में अटैच कर...
अमृतसर(नीरज): इंडियन ओवरसीज बैंक (चंडीगढ़ ब्रांच) में हुए 321 करोड़ के फ्रॉड के केस में ई.डी (इंफोर्समैंट डायरैक्टोरेट) की टीम ने अमृतसर में दस्तक देते हुए मुख्य आरोपी आशु मेहरा व उसके अन्य साथियों की अमृतसर में स्थित जायदाद को राजस्व विभाग के रिकार्ड में अटैच कर दिया है।
जानकारी के अनुसार ई.डी. अधिकारियों ने तहसील अमृतसर (टू) आकर तहसीलदार मनिन्द्र सिंह सिद्धू को आरोपियों की जमीन-जायदाद संबंधी जानकारी दी और तहसीलदार को विभाग के लिखित आदेश देते हुए अटैच करने को कहा, जिसके बाद तहसीलदार सिद्धू ने सारी कागजी कार्रवाई पूरी करते हुए आरोपियों की जमीन-जायदाद की शिनाख्त भी कर ली है। इस कार्रवाई के बाद आरोपी अपनी जमीन-जायदाद किसी को नहीं बेच सकते हैं, जब तक अदालत की तरफ से या फिर विभाग की तरफ से उनको बरी नहीं कर दिया जाता है।
दोषी पाए जाने पर आरोपियों की जमीन-जायदाद जब्त भी हो सकती है, जैसा कि सरकार का नियम है। हालांकि रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्री अफसर किसी की भी जमीन-जायदाद को रजिस्टर्ड करने से मना नहीं कर सकते हैं, लेकिन ई.डी. जैसे विभागों के आदेश पर उनको ऐसा करना पड़ता है।पता चला है कि आरोपियों ने बैंक से फ्रॉड करके पंजाब व चंडीगढ़ के कई जिलों में अपनी प्रापर्टी बना रखी थी और अमृतसर में भी उनकी करोड़ों की जायदाद है।
क्या है आई.ओ.बी. का 321 करोड़ का घोटाला
इंडियन ओवरसीज बैंक की दिल्ली शाखा की तरफ से सी.बी.आई. को शिकायत की गई थी कि उनकी चंडीगढ़ ब्रांच में कुछ रिटायर्ड अधिकारियों ने मिलीभगत करके करोड़ों रुपए का फ्रॉड किया है जिसके बाद सी.बी.आई. ने पूर्व असिस्टैंट मैनेजर आशु मेहरा, नीतिश नेगी व गौरव भाटिया सहित चंडीगढ़ की 3 प्राइवेट कंपनियों के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
इसके अलावा चंडीगढ़, जीरकपुर, पंचकूला, लुधियाना व अमृतसर स्थित उनके प्रतिष्ठानों पर रेड भी की थी और जरूरी दस्तावेज हाथ में लिए थे। इसके बाद ई.डी. ने भी इस केस को अपने हाथों में ले लिया और अब आरोपियों की जमीन-जायदाद अटैच करके उनको कुर्क करनी की भी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।विभागीय सूत्रों के अनुसार इस समय कागजों में यह घोटाला 321 करोड़ का नजर आ रहा है लेकिन वास्तव में यह घोटाला एक हजार करोड़ के आस-पास का है। आशु मेहरा अपने बैंक की सभी बारीकियों को अच्छी तरह से जानता था जिसका उसने फायदा उठाया।