Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jul, 2017 12:25 PM
इन दिनों महानगर की सड़कों में दिन से लेकर रात तक दर्जनों की संख्या में खूंखार आवारा कुत्ते बेखौफ घूमते देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं कुत्ते बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को काटने के साथ नोच-नोच कर उनका मांस खाने के आदी हो चुके हैं।
जालंधर (शौरी) : इन दिनों महानगर की सड़कों में दिन से लेकर रात तक दर्जनों की संख्या में खूंखार आवारा कुत्ते बेखौफ घूमते देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं कुत्ते बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को काटने के साथ नोच-नोच कर उनका मांस खाने के आदी हो चुके हैं। कई मामलों में तो कुत्तों ने लोगों को इतना काट खाया कि उनकी मौत तक हो चुकी है। लेकिन इसके विपरीत नगर निगम खामोश बैठा हुआ है, लोगों में हाहाकार मची पड़ी है। मेयर साहिब को अब तो अपनी गहरी नींद से जाग जाना चाहिए क्योंकि शहर में इन खूंखार आवारा कुत्तों की फौज बढ़ती ही जा रही है।
गौर हो कि कुत्ता काटने के बाद घायल को लगने वाला टीका बाजार में महंगे भाव मिलता है। पैसे न होने के चलते गरीब वर्ग के लोग तो टीका लगवाने में समक्ष नहीं होते, जिस कारण इंफैक्शन इतनी बढ़ जाती है कि कई बार तो घायल को जान से हाथ धोना पड़ता है। महानगर का शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला या गली हो जहां दर्जनों के हिसाब से आवारा कुत्ते घूमते न देखे जा सकें। वैसे तो सिविल अस्पताल में कुत्ता काटने के बाद लगने वाला टीका फ्री में उपलब्ध है, लेकिन कई बार तो पीछे से स्टाक न आने के कारण अस्पताल से लोगों को निराश होकर वापस लौटना पड़ता है।
सिविल अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में अस्पताल में कुत्ते के शिकार हुए 11,544 घायलों ने टीका लगवाया, जबकि 2016 में 14,040 घायलों ने टीका लगवाया, 2017 में अब तक 5,863 लोग टीका लगवा चुके हैं। जहां कुत्तों की संख्या हर माह बढ़ती जा रही है तो प्रति वर्ष कुत्तों द्वारा लोगों को काटने के बाद घायलों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। हालांकि कई लोग तो सिविल अस्पताल टीका लगवाते हैं, जबकि बाकी बाहर प्राइवेट अस्पतालों से भी टीका लगवा लेते हैं, जिनका आंकड़ा सिविल अस्पताल के पास नहीं होता। इतना कुछ होने के बावजूद नगर निगम को जागने की जरूरत है और आवारा कुत्तों की नसबंदी करनी शुरूकर देनी चाहिए। नहीं तो हालात आने वाले दिनों में यह न हो जाएं कि शहर की जनसंख्या से अधिक आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ जाए।
ओबराय के पास पुख्ता बंदोबस्त नहीं : मेयर
दूसरी ओर मेयर सुनील ज्योति का कहना है कि ओबराय के पास पुख्ता बंदोबस्त न होने के कारण उनका प्रोजैक्ट रद्द कर दिया गया। एक सवाल के जवाब में मेयर ने कहा कि यदि ओबराय के पास फंड है तो वह उन्हें बैंक बैलेंस दिखा दें। कम से कम सोसायटी के अकाऊंट में 5 या 10 लाख का फंड तो होना चाहिए। इसके साथ विधायक के.डी. भंडारी द्वारा उन्हें अढ़ाई लाख की मिली ग्रांट से उन्होंने गाड़ी तो खरीदी है और 10 या 15 हजार का और सामान ही खरीदा है। पूरे इंतजाम न होने के कारण ही उनका प्रोजैक्ट रद्द किया गया है।
राजनीति की भेंट चढ़ा मेरा प्रोजैक्ट
ओबरायवहीं सीनियर अकाली नेता व पूर्व पार्षद कुलदीप सिंह ओबराय ने बताया कि शहर में कुत्तों के कारण लोगों को आने वाली परेशानी को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने स्टेट डॉग्स एंड ह्यूमन वैल्फेयर सोसायटी (रजि.) नामक संस्था बनाई थी। इसके साथ निगम में पार्षदों की सहमति से उन्हें नंगलशामां रोड स्थित श्मशानघाट के पास निगम ने बिल्डिंग तैयार करवाकर दी, जहां कुत्तों की नसबंदी हो सके। ओबराय ने बताया कि उनकी संस्था ने एक गाड़ी भी खरीदने के साथ निगम द्वारा तैयार बिल्डिंग में खुद पैसे खर्च कर बिजली का मीटर तक लगवाया है, ताकि कुत्तों को पकड़ कर नंगलशामां पहुंचाया जा सके।
इसके साथ उन्होंने डॉग काबू करने का सामान, वर्दी आदि भी खरीद रखी है। नंगलशामां में तैयार उक्त बिल्डिंग के उद्घाटन समारोह बाबत उन्होंने निमंत्रण पत्र भी छपा लिए, लेकिन उनका प्रोजैक्ट राजनीति की भेंट चढ़ गया। जिस कारण कुत्तों की नसबंदी का काम रुक गया। करीब 8 माह से रुके इस प्रोजैक्ट के कारण कुत्तों की संख्या और बढ़ती गई, यदि उक्त प्रोजैक्ट चल रहा होता तो अब तक करीब 2 हजार आवारा कुत्तों की नसबंदी हो जाती।
ओबराय ने बताया कि उनकी संस्था निगम से कुत्ते की नसबंदी के पैसे नहीं मांग रही, बल्कि लोगों की सेवा के लिए फ्री में यह काम कर रही है। संस्था को कई लोगों ने फंड देना भी शुरू कर दिया था। अब निगम की पार्किंग में खड़ी कुत्ते काबू करने वाली गाड़ी को भी जंग लगना शुरू हो गया है।