Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Aug, 2017 10:03 AM
पंजाब के स्कूलों में आजकल रोजाना प्रयोग में आने वाली कापियों की जिल्दों पर विद्यार्थियों को जो परोसा जा रहा है वह उनका पढ़ाई में मन नहीं लगने दे रहा। वहीं अकादमिक क्षेत्रों से संबंधित चिंतकों के अनुसार विद्यार्थियों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम की...
फरीदकोट(हाली): पंजाब के स्कूलों में आजकल रोजाना प्रयोग में आने वाली कापियों की जिल्दों पर विद्यार्थियों को जो परोसा जा रहा है वह उनका पढ़ाई में मन नहीं लगने दे रहा। वहीं अकादमिक क्षेत्रों से संबंधित चिंतकों के अनुसार विद्यार्थियों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम की कापियों पर आदर्श की जगह अनैतिकता परोसी जा रही है।
‘विद्या ददाति विनयं’ का नारा तो चाहे स्कूलों के मुख्य गेटों पर लिखा मिलता है परन्तु इन स्कूलों में पढ़ते बच्चों के बस्तों में जो कापियां (नोट बुक्स) होती हैं, उनकी जिल्दों पर फिल्मी एक्टरों, एक्ट्रैसों, गायकों, माडलों, खिलाडियों आदि की तस्वीरें छपी होती हैं।
शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार स्कूली कापियों का यह रूप न सिर्फ बाल मन की मनोदिशा व मनोदशा को ही बिगाड़ता है बल्कि स्कूलों और घरों में पढ़ाई के माहौल को भी प्रभावित करता है।
स्कूली कापियों का मौजूदा रूप शैक्षिक माहौल के बिल्कुल भी अनुकूल नहीं है।उनपर लिखे गानों के मुखड़े देखकर बच्चे वही गाना गुनगुनाने लग पड़ते हैं या फिर दिमाग में उसी गाने, अभिनेता, गायक आदि के फिल्मांकन के बारे में सोचने लग पड़ते हैं।
यह सब कुछ इन कापियों के निर्माताओं, गायकों, अदाकारों की तरफ से किए व्यापारिक समझौते के अंतर्गत ही तैयार किया जा रहा है। इस तरह स्कूली पीढ़ी को हमारे महान गुरुओं, पीरों, देश भक्तों और इतिहास से दूर किया जा रहा है।शिक्षा शास्त्रियों के अनुसार यह बड़ी त्रासदी है कि पंजाब के महान नायकों, शूरवीरों, योद्धाओं, देश भक्तों आदि को भुलाकर गाने वालों को विद्यार्थियों के बस्तों और पढने वाली सामग्री में शामिल किया जा रहा है। इस पर पूर्ण पाबंदी होनी चाहिए।