Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Oct, 2017 02:52 PM
डी.सी. दफ्तर की ब्रांचों में कब क्या हो जाए, इसको लेकर कोई कुछ नहीं कह सकता क्योंकि यहां काम करने वाले कुछ कर्मचारियों द्वारा सुबह से लेकर शाम...........
जालंधर (अमित): डी.सी. दफ्तर की ब्रांचों में कब क्या हो जाए, इसको लेकर कोई कुछ नहीं कह सकता क्योंकि यहां काम करने वाले कुछ कर्मचारियों द्वारा सुबह से लेकर शाम तक केवल टाइम-पास करके अपनी ड्यूटी का निर्वाह करने को ही सही माना जाता है जिसका नतीजा है कि किसी भी गलत चीज को सालों-साल सही करने की जहमत तक कर्मचारी नहीं उठा रहे।
ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब सुपरिंटैंडैंट ग्रेड-1 राजिंद्र शर्मा के पास वी.आई.पी. ड्यूटी में इस्तेमाल होने वाली गाडिय़ों के लिए इस्तेमाल किए गए डीजल के बिल पास होने के लिए पहुंचे। अपने पास आए 10-12 हजार रुपए के बिल को थोड़ा-सा ध्यान से देखते ही उनका माथा ठनका क्योंकि बिल पर लगभग 2 साल पहले बंद हो चुका हाई-स्पीड डीजल लिखा हुआ था। सुपरिंटैंडैंट ने तुरंत एम.ए. ब्रांच को नोटिस जारी करते हुए निर्देश दिए कि वी.आई.पी. गाडिय़ों के लिए हाई-स्पीड डीजल का इस्तेमाल न किया जाए।
सुपरिंटैंडैंट ग्रेड-1 राजिंद्र शर्मा ने कहा कि जब हाई-स्पीड डीजल मार्कीट में आता ही नहीं तो फिर बिल पर क्यों लिखा जाए? वैसे भी हाई-स्पीड डीजल की कीमत नॉर्मल डीजल से अधिक होती है। उन्होंने कहा कि एम.ए. ब्रांच के सारे डीजल के बिलों का रिव्यू किया जाएगा।
मुझे फोन आया था, मगर मामले की सही जानकारी संंबंधित क्लर्क के पास : एम.ए.
एम.ए. महेश कुमार ने कहा कि उन्हें सुपरिंटैंडैंट ग्रेड-1 का फोन अवश्य आया था मगर उन्हें मामले की पूरी जानकारी नहीं है क्योंकि उक्त काम जिस क्लर्क के पास है उसे ही इसके बारे में पता है। जहां तक हाई-स्पीड डीजल का सवाल है तो ऐसा कोई डीजल होता ही नहीं। डीजल केवल एक ही तरह का आता है और जो पर्ची उनकी ब्रांच से जारी होती है, उसके ऊपर केवल एच.डी.एल. ही लिखा होता है जबकि पैट्रोल पंपों से डीजल नॉर्मल ही डलवाया जाता है।