फसली सीजन में 553 किलोमीटर लंबे बार्डर की सुरक्षा करना BSF के लिए चुनौती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Mar, 2018 09:33 AM

heroin smugller at bsf border

पंजाब बार्डर पर हैरोइन की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है, जबकि पंजाब सरकार दावा कर रही है कि वह नशे बेचने वालों व तस्करी करने वालों पर शिकंजा कस चुकी है। हालात यह हैं कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पंजाब के मैदानी इलाकों व बार्डर फैंसिंग के दोनों...

अमृतसर(नीरज): पंजाब बार्डर पर हैरोइन की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है, जबकि पंजाब सरकार दावा कर रही है कि वह नशे बेचने वालों व तस्करी करने वालों पर शिकंजा कस चुकी है। हालात यह हैं कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पंजाब के मैदानी इलाकों व बार्डर फैंसिंग के दोनों तरफ गेहूं की फसल खड़ी हो चुकी है और कटाई के लिए तैयार है और हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी पाकिस्तान व भारत में सरगर्म हैरोइन तस्कर इस गेहूं की खड़ी फसल की आड़ लेकर अपने इरादों को अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं। अमृतसर सैक्टर की बी.ओ.पी. रामकोट में बी.एस.एफ. जवानों की तरफ से 11 किलो हैरोइन जब्त किए जाने का मामला भी इस बात का पुख्ता सबूत है कि अमृतसर सहित पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में काम करने वाले हैरोइन तस्कर पूरी तरह से सरगर्म हैं और पाकिस्तानी तस्करों को गेहूं की खड़ी फसल की आड़ मिल रही है। रामकोट बी.ओ.पी. में भी जब बी.एस.एफ. के जवानों की तरफ से फायरिंग शुरू की गई तो पाकिस्तानी तस्कर गेहूं की खड़ी फसल की आड़ लेकर फरार होने में कामयाब हो गए। बी.एस.एफ. की तरफ से की गई फायरिंग की आवाज सुनने के बाद भी पाकिस्तान रैंजर्स की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि बी.ओ.पी. रामकोट से पाकिस्तान रेंजर्स की पोस्ट काफी नजदीक है। बार्डर पर रात के समय जब सूई के गिरने की आवाज भी गूंजती है, ऐसे में पाकिस्तान रैंजर्स ने अपने तस्करों के संबंधी किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी लेने से साफ इंकार कर दिया है।

फॉलोअप नहीं करती है पंजाब पुलिस व अन्य सुरक्षा एजैंसियां
हैरोइन तस्करी को बंद करने के लिए बार्डर पर सिर्फ बी.एस.एफ. नहीं, बल्कि पंजाब पुलिस सहित सभी सुरक्षा एजैंसियों का आपस में तालमेल होना जरूरी है, लेकिन आमतौर पर देखने में आया है कि जब बी.एस.एफ. किसी बी.ओ.पी. में हैरोइन की बड़ी खेप जब्त करती है तो मुख्य रुप से पंजाब पुलिस की तरफ से संबंधित केस का फॉलोअप नहीं किया जाता है, जबकि पंजाब पुलिस को जिस किसान के खेत में हैरोइन फैंकी गई होती है, उस किसान से पूछताछ करनी चाहिए, लेकिन केस को बार्डर पर ही रोक दिया जाता है और मैदानी इलाके तक आने ही नहीं दिया जाता है, जबकि बी.एस.एफ. की तरफ से कई बार लिखित अपील भी सुरक्षा एजैंसियों को की जाती है, लेकिन देखने में आता है कि सभी एजैंसियां आपस में तालमेल करने की बजाय एक दूसरे को नीचा दिखाने की फिराक में रहती हैं। 

कोट अल्ला बखश के किसान राडार पर
बी.ओ.पी. रामकोट में हैरोइन जब्त किए जाने के बाद इस बी.ओ.पी. के इलाके में आते सबसे नजदीकी गांव कोट अल्ला बख्श के कुछ किसान भी इस समय सुरक्षा एजैंसियों के राडार पर हैं, क्योंकि बी.एस.एफ. की बी.ओ.पी. से सटे इलाके के नजदीक रहने वाला व्यक्ति ही इलाके के किसी कमजोर प्वाइंट की रैकी व पैट्रोङ्क्षलग कर सकता है और पाकिस्तान में बैठे तस्करों को मैसेज दे सकता है कि हैरोइन की खेप को कहां पर व किस प्वाइंट पर डिलीवर करना है।

पाकिस्तान तस्करों के लिए मुख्य तस्करी का जरिया है पंजाब बार्डर 
पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के भारत-पाक बार्डर की बात करें तो पता चलता है कि पंजाब का 55& किलोमीटर लंबा बार्डर पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है। देश के अन्य रा’यों जम्मू-कश्मीर, गुजरात व राजस्थान की तुलना में पंजाब बार्डर में किसी प्रकार की आतंकी हमले तो बहुत कम होते हैं, लेकिन हैरोइन की तस्करी के मामले में पंजाब बार्डर को पाकिस्तानी तस्कर मुख्य जरिया बनाते हैं। इसी 55& किलोमीटर लंबे इलाके में 1&2 किलोमीटर लंबा बार्डर अमृतसर का है, जहां कुछ संवेदनशील बी.ओ.पी. हैं। इस पूरे पंजाब बार्डर पर जब गेहूं व धान की फसल खड़ी हो जाती है और पक कर कटाई के लिए तैयार हो जाती है तो बी.एस.एफ. के लिए भी इस फसली सीजन में तस्करों की गतिविधियों पर शिकंजा कसना चुनौती बन जाता है, क्योंकि गेहूं की खड़ी फसल में एक आदमी आसानी के साथ बैठकर आड़ ले सकता है और कुछ इलाकों में तो खड़ी फसल में चल भी सकता है, जिनको ट्रेस कर पाना बी.एस.एफ. के लिए आसान नहीं रहता है। बी.एस.एफ. पंजाब फ्रटियर के इंस्पैक्टर जनरल व डी.आई.जी. अमृतसर सैक्टर की मानें तो इस सीजन में बी.एस.एफ. पहले से ही काफी अलर्ट रहती है और संवेदनशील बी.ओ.पीज में नफरी को बढ़ा दिया जाता है।

आई.बी. से 200 मीटर दूरी पर है बी.ओ.पी. रामकोट
पाकिस्तान व अमृतसर की सीमा में सरगर्म हैरोइन तस्कर अपने इरादों को अंजाम देने के लिए आए दिन नए नए पैतरे बदलते रहत हैं। इस बार भी तस्करों ने कुछ ऐसा ही किया है। आमतौर पर बी.ओ.पी. रामकोट तस्करी के मामलों में कोई बदनाम या अति संवेदनशील बी.ओ.पी. नहीं है, हां रामकोट बी.ओ.पी. आई.बी. से सिर्फ 200 मीटर दूरी पर है, जिससे तस्करों के लिए भागना काफी आसान हो जाता है। ऊपर से गेहूं की खड़ी फसल सोने पे सुहागा का काम करती है।

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