दिव्यांग सर्टीफिकेट बनाने वाली व्यवस्था को मार गया ‘लकवा’

Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Dec, 2017 11:25 AM

handicapped certificate

स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष जरूरतों वाले व्यक्तियों के दिव्यांग सर्टीफिकेट जारी करने की चलाई जा रही व्यवस्था को ‘लकवा’ मार गया है। सरकारी तंत्र में कई खामियां होने के कारण जहां दिव्यांगों को सर्टीफिकेट हासिल करने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर...

अमृतसर(दलजीत): स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष जरूरतों वाले व्यक्तियों के दिव्यांग सर्टीफिकेट जारी करने की चलाई जा रही व्यवस्था को ‘लकवा’ मार गया है। सरकारी तंत्र में कई खामियां होने के कारण जहां दिव्यांगों को सर्टीफिकेट हासिल करने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, वहीं सिविल अस्पताल अमृतसर में सरकार के दावों के विपरीत डाक्टर न होने के कारण दिव्यांग सर्टीफिकेट लेने के लिए दर-दर भटकते दिखाई दिए।

जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार द्वारा विशेष जरूरत वाले व्यक्तियों को दिव्यांग सर्टीफिकेट समय पर जारी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग को सख्त दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। अमृतसर की बात करें तो जिला स्तरीय सिविल अस्पताल अमृतसर, सब-डिवीजनल अस्पताल बाबा बकाला तथा सब-डिवीजनल अजनाला में सप्ताह में हर बुधवार को दिव्यांगों के सर्टीफिकेट बनाए जाते हैं जहां सर्टीफिकेट बनाने के लिए दिव्यांग दूर-दूर से आते हैं परन्तु सरकारी तंत्र की खामियों के कारण उनके सर्टीफिकेट नहीं बन पाते हैं। सिविल अस्पताल में आज कुछ डाक्टर मैडीकल कैंप तथा मुख्यमंत्री की वी.आई.पी. ड्यूटी में लगे होने के कारण दिव्यांगों को डाक्टर नहीं मिल पाए। 

कमी के बावजूद डाक्टरों की लगती हैं वी.आई.पी. ड्यूटियां
सिविल अस्पताल में गायनी की 4 पोस्टें हैं परन्तु मौजूदा समय में एक ही डाक्टर काम कर रही है। इसी तरह ऑर्थो के 2 डाक्टरों की पोस्टें हैं लेकिन एक ही डाक्टर काम कर रहा है। डाक्टरों की कमी के बावजूद उक्त डाक्टरों को एमरजैंसी भी देखनी पड़ती है तथा वी.आई.पी. ड्यूटियां भी करनी पड़ती हैं। दिव्यांगों को सप्ताह में एक ही दिन बुलाया जाता है परन्तु अधिकतर बार उन्हें डाक्टर ही नसीब नहीं होते हैं। 

श्राप बन गया है दिव्यांग होना : प्रवीण सहगल
दिव्यांग के साथ सर्टीफिकेट लेने आए आर.टी.आई. एक्टीविस्ट प्रवीण सहगल ने बताया कि दिव्यांग होना किसी श्राप से कम नहीं है। पहले ही भगवान ने उक्त वर्ग के लोगों के किसी न किसी अंग को कम किया है। दूसरा सरकारी तंत्र में खामियां होने के कारण दिव्यांगता उनके लिए श्राप बन गई है। उनके साथ आए व्यक्ति को पिछले डेढ़ महीने से सर्टीफिकेट लेने के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कभी मैडीकल कालेज भेजा जाता है तथा कभी सिविल अस्पताल।  

सुबह से आए हैं, फिर आना पड़ेगा अगले बुधवार : रणजीत राय
ब्यास से आए रणजीत राय ने बताया कि वह सर्टीफिकेट लेने के लिए सुबह से आए हुए हैं परन्तु डाक्टर न होने के कारण उन्हें इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। अगले बुधवार दोबारा आना पड़ेगा। इसी तरह छहर्टा से आई महिला रजनी ने बताया कि वह भी सुबह से सर्टीफिकेट हासिल करने के लिए भटक रही है परन्तु कोई भी डाक्टर उन्हें नहीं मिल रहा है।

टैस्टों के लिए दिव्यांगों को किया जाता है रैफर
पंजाब सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों को अति आधुनिक तरीकों से लैस कहा जाता है परन्तु असलियत इससे कोसों दूर है। सिविल अस्पताल सहित अन्य सब-डिवीजन अस्पतालों में दिव्यांगों के न तो ऑडियोमीटरी टैस्ट, न ही साइकॉलोजिकल टैस्ट तथा न ही दिमाग से संबंधित टैस्ट होते हैं। मरीजों को टैस्टों के लिए मैडीकल कॉलेज या अन्य सरकारी अस्पतालों में रैफर किया जाता है। अधिकतर दिव्यांगों को सर्टीफिकेट जारी करने की बजाय इन्हीं टैस्टों में फंसा दिया जाता है।

जिला अस्पताल में ही बनें दिव्यांग सर्टीफिकेट : रामेशानंद सरस्वती
समाज सेवक महंत रामेशानंद सरस्वती ने कहा कि सरकार द्वारा यदि दिव्यांग व्यक्तियों को सर्टीफिकेट जारी करने की परेशानी से बचाना है तो यह दिव्यांग सर्टीफिकेट जिला स्तरीय सिविल अस्पताल में बनने चाहिएं। सरकार को इसी अस्पताल को इतना आधुनिक बना देना चाहिए कि दिव्यांगों को सर्टीफिकेट हासिल करने के लिए दर-दर की ठोकरें न खानी पड़ें। कई दिव्यांग तो ऐसे हैं कि सरकारी अस्पतालों में परेशानी के कारण ही आज तक उनके सर्टीफिकेट नहीं बन पाए हैं। 

उच्चाधिकारियों को लिखा है पत्र : डा. चरनजीत
सिविल अस्पताल के इंचार्ज डा. चरनजीत से इस संबंध में बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में डाक्टरों की कमी है। आज भी डाक्टरों की मैडीकल कैंप तथा वी.आई.पी. ड्यूटी लगी हुई है। दिव्यांगों को कोई परेशानी न आए, इस संबंधी खास ध्यान दिया जाता है। मरीजों की भलाई के लिए भी उच्चाधिकारियों को डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए कई पत्र लिखे गए हैं। 

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